Patra Chawl: संजय राउत का हमने क्या बिगाड़ा है? अगर मुझे मिल जाए तो… सुनिए पात्रा चॉल निवासियों दर्द

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Patra Chawl: संजय राउत का हमने क्या बिगाड़ा है? अगर मुझे मिल जाए तो… सुनिए पात्रा चॉल निवासियों दर्द

Patra Chawl: संजय राउत का हमने क्या बिगाड़ा है? अगर मुझे मिल जाए तो… सुनिए पात्रा चॉल निवासियों दर्द

Sanjay Raut Patra Chawl Case: पात्रा चॉल की बुजुर्ग महिला शांताबाई सोनावने कहा कि अब वह उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं। उन्होंने कहा कि जब वह 13 साल की थी तब शादी के बाद वह यहां रहने आई थीं। लेकिन अब लेकिन घर छोड़ने के बाद के 15 साल बाद भी उन्हें उनका फ्लैट नहीं मिल पाया है। उन्होंने पूछा कि आखिर हमने संजय राउत का क्या बिगाड़ा था?

 

हाइलाइट्स

  • संजय राउत पर भड़की पात्रा चॉल की बुजुर्ग महिला
  • बोलीं अगर वो मुझे मिल जाये तो मैं उसे पीटूंगी
  • महिला ने पूछा कि हमने संजय राउत का क्या बिगाड़ा था
  • महिला ने कहा कि अब मैं मरने वाली हूँ लेकिन मुझे अपना घर नहीं मिल पाया
मुंबई: संजय राउत (Sanjay Raut) का हमने क्या बिगाड़ा था? अगर वह मुझे मिल जाए तो मैं उन्हें चप्पलों से चप्पलों से पीटूंगी। यह गुस्सा है पात्रा चॉल (Patra Chawl) की पीड़िता 85 साल के बुजुर्ग शांताबाई मारुती सोनवणे का। उन्होंने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को बताया कि बताया जब वह 13 साल की थीं। तब शादी के बाद वह यहां रहने आई थीं उस वक्त 20 रुपये किराया था। आज किराया आसमान छू रहा है। लेकिन उसका भी कोई अता-पता नहीं है। बिल्डर ने घर खाली कराने के बाद कुछ साल तक तो किराया दिया लेकिन उसके बाद हाथ खड़े कर लिए। वो बार-बार यही सवाल पूछ रही हैं कि आखिर हमने संजय राउत का क्या बिगाड़ा है? उसके घोटाले की वजह से हमें क्यों सफर करना पड़ रहा है।

शांताबाई ने बताया कि अब हमें कोई उम्मीद नहीं है। तेरह साल की उम्र से आज मैं 85 साल की हो चुकी हूं। लेकिन अभी तक हमारे घर के बदले जो फ्लैट मिलने वाला था। उसका कोई अता-पता नहीं है। यह मेरे जीवन में मिल पाएगा या नहीं मुझे अब इसकी भी कोई उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि नेता यहां पर आते हैं, वादे करते हैं और चले जाते हैं उसके बाद कोई मुड़कर भी नहीं देखता। आज की तारीख में इस चॉल में रहने वाला हर व्यक्ति बेघर है। जैसे तैसे गुजर-बसर कर रहा है। शांताबाई के घर पर आमदनी का कोई खास जरिया नहीं है। परिवार दूसरों के घर में काम करके जीवन यापन करता है।

घर चलाएं या किराया दें
शांताबाई ने बताया कि पात्रा चॉल से निकलने के बाद हम किराए के मकान में रह रहे हैं। जिसका 20 हज़ार किराया है, अगर एक-दो दिन भी किराया लेट होता है तो मालिक कहता है कि घर छोड़ दो। ऐसे में हम कैसे अपना परिवार चलाएं। उन्होंने बताया कि हमारे घर में कोई कमाने वाला भी नहीं है। परिवार की महिलाएं दूसरों के घरों में काम करके दो वक्त की रोटी जुटा रही हैं। एक घर में कई परिवार रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीवी के जरिए हमें पता चला कि पात्रा चॉल में घोटाला हो गया है। संजय राउत का नाम सुनते ही महिला आग बबूला हो जाती हैं। वो पूछती हैं कि संजय राउत के बाप ने हमें घर दिया था क्या?

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Web Title : Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

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