Patna में बन रही आगरा स्मार्ट सिटी, जानिए मामले का पूरा सच
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत आगरा में करीब 900 करोड़ से अधिक के कार्य हुए हैं। योजना शुरू होते ही तत्कालीन नगरायुक्त अरुण प्रकाश ने अधिशासी अभियंता आरके सिंह को नोडल प्रभारी बना दिया। करीब 6 साल से आरके सिंह आगरा नगर निगम में कुर्सी जमाए बैठे हैं। नगर निगम सूत्रों की मानें तो महापौर नवीन जैन के लिए भी यह खास अधिकारी बने हुए हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी का कहना है कि स्मार्ट सिटी का नोडल अधिकारी चीफ इंजीनियर को होना चाहिए। अधिकारियों और नेताओं की सरपरस्ती से आरके सिंह स्मार्ट सिटी के नोडल अधिकारी बने बैठे हैं।
विधायक ने लगाए आरोप
बीजेपी विधायक डॉ. जीएस धर्मेश के आरोप है कि स्मार्ट सिटी के नोडल अधिकारी आरके सिंह ने बिना टेंडर निकाले ही योजनाओं के काम कराए हैं। ये काम अपने चहेतों को देकर मोटा कमीशन कमाया है। अरबों रुपये के काम में करोड़ो का कमीशन लिया है, जिससे लखनऊ, गाजियाबाद, पटना और अपने गांव में बेनामी सम्पत्ति अर्जित कर ली है।
बिल पास कराने के एवज में लेता है रिश्वत
बीजेपी विधायक डॉ. जीएस धर्मेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरोपी अधिशासी अभियंता की विजीलेंस जांच कराने की मांग की है। विधायक का कहना है कि ‘हर घर नल’ योजना के नाम पर घरों में चाइनीज मीटर लगाए हैं, जिनकी कीमत 800 से 1000 रुपये है, जबकि इसके एवज में सरकार से 8 हजार रुपये वसूले हैं। यही वजह है कि घरों में लगे पानी के ज्यादातर मीटर खराब हो चुके हैं। रिश्वत लेकर ठेकेदारों का बिल पास करने का आरोप है।
पटना में बन रहा है मॉल
बीजेपी विधायक डॉ. जीएस धर्मेश का कहना है कि जी-20 सम्मेलन में हुए निर्माण कार्य में हद दर्जे का भ्रष्टाचार हुआ है। ताजगंज क्षेत्र में हुए स्मार्ट सिटी के काम गुणवत्तहीन हैं। 143 करोड़ की पेयजल योजना में बिछाई गई पानी की पाइपलाइन में पानी नहीं आ रहा है। मैन होल पर प्लास्टिक का ढक्कन लगा दिए हैं, जोकि क्षतिग्रस्त हो गए हैं। रिश्वत के 1.5 करोड़ रुपये लेकर ट्रेन से पटना गए थे। जहां अपने भाई के नाम पर शॉपिंग मॉल बना रहे हैं।
कंप्यूटर ऑपरेटर बना जरिया
नगर निगम के सूत्रों की मानें तो अधिशासी अभियंता आरके सिंह ठेकेदारों या फर्म मालिकों से रिश्वत का पैसा अपने कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा वसूलता है। कंप्यूटर ऑपरेटर लंबे समय से संविदा पर लगा है। दिन भर का कलेक्शन उसी के द्वारा किया जाता है। जिसकी टेबल की दराज में नोटों की गड्डियां पड़ी रहती हैं।