गुजरात की रैली, रैली में हजारों की भीड़। सामने बड़ा मंच और मंच पर एक ऐसा वक्ता जो काम से ही नहीं विपक्षियों को अपनी बातों से भी हराता है। वो भीड़ को प्रोत्साहित करता है और अपनी बातें मनवाने के लिए बार-बार उनसे सहमति के लिए बड़े ही आक्रामक रूप से हां में हां मिलवाता है।
याद आती है वो अदा जब बातों को चभला-चभला के मोदी भीड़ से कहता है कि भाइयों और बहनों देश को लूटने वालों से समझौता कर लूं क्या, समझौता कर लूं क्या, बताइये समझौता कर लूं क्या? वो कांग्रेस को लुटेरों की पार्टी बोलते हैं और लोग उनकी बातों के हां में हां मिलाते हैं।
मोदी ने विकास का नारा दिया साथ ही लोगों के ज़ेहन में भर दिया कि देश को मजबूत बनाना है तो कांग्रेस को सत्ता से दूर रखना होगा और मोदी को दोबारा सत्ता में लाना होगा। साथ ही मोदी ने ये भी विश्वास दिलाया कि कांग्रेस देश को मजबूत करने के बदले खोखला ही किया है।
बार-बार मोदी की परीक्षा होती है और मोदी उसमें पास होते जाते हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े फैसलों के बाद भी जनता जिस तरह से मोदी के दीवाने हैं उसे देखते हुए तो मोदी को यही एहसास हो रहा होगा कि हमारा चाहने वाला अभी दीवाना बाकी है। जनता है कि मोदी छोड़कर और किसी को मानने के लिए तैयार है ही नहीं। विपक्ष एक तरफ और मोदी एक तरफ पलड़ा फिर भी मोदी का ही भारी है।