OPINION : केजरीवाल की राह पर प्रशांत किशोर, आखिर किसके लिए कर रहे जनसुराज पदयात्रा

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OPINION : केजरीवाल की राह पर प्रशांत किशोर, आखिर किसके लिए कर रहे जनसुराज पदयात्रा

OPINION : केजरीवाल की राह पर प्रशांत किशोर, आखिर किसके लिए कर रहे जनसुराज पदयात्रा

नीलकमल, पटना: बिहार के बक्सर जिला के रहने वाले प्रशांत किशोर को लोग PK के नाम से भी जानते हैं। प्रशांत किशोर का नाम तब सामने आया था, जब 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लिए कैंपेनिंग की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद प्रशांत किशोर को विपक्षी दलों ने चुनावी रणनीतिकार का तमगा दे दिया था। चुनावी रणनीतिकार के तौर पर मशहूर हुए प्रशांत किशोर ने उसके बाद पीछे का रास्ता कभी नहीं देखा।

बीजेपी से संबंध तोड़ने के बाद प्रशांत किशोर ने अन्य राजनीतिक दलों के लिए काम करना शुरू किया। 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के एक साथ आने के बाद प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के लिए काम करते हुए ‘बिहार में बहार है-नीतीशे कुमार है’ जैसा नारा दिया था। 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को बड़ी जीत मिली थी, वहीं बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उस वक्त भी यही कहा गया था कि प्रशांत किशोर की रणनीति की वजह से महागठबंधन की जीत सुनिश्चित हो सकी थी।

हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि BJP के 2015 का विधानसभा चुनाव हारने का कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान था, जिसमें संघ प्रमुख ने आरक्षण की समीक्षा की बात चुनाव के ठीक पहले कही थी। तब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इसे हाथों हाथ लेते हुए पूरे चुनाव को बैकवर्ड फॉरवर्ड में बदल दिया था। राजनीतिक विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि 2015 में बीजेपी की स्थिति इतनी खराब नहीं थी कि 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान मिले प्रचंड जीत के बाद बिहार में 53 सीट पर सिमट जाती। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि 2020 और 2022 के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बीजेपी भले ही अभी अकेले खड़े दिखाई दे रही हो लेकिन चुनाव के दौरान बिहार की जनता का महत्वपूर्ण सहयोग पार्टी को हासिल हो सकता है।

गांधी जयंती के दिन पदयात्रा शुरू करेंगे PK
बिहार की जनता का मन टटोलने और उन्हें अपनी कार्य योजना बताने के लिए प्रशांत किशोर रविवार 2 अक्टूबर से आगामी डेढ़ साल तक पदयात्रा पर रहेंगे। इस दौरान प्रशांत किशोर बिहार की हर पंचायत तक पहुंचेंगे और वहां के लोगों से इलाके के मुद्दे के साथ साथ राज्य और देश के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। साथही उनसे फीडबैक लेकर आगे की योजना तैयार करेंगे। प्रशांत किशोर कह चुके हैं कि वे अपनी पद यात्रा के दौरान हर पंचायत में डेढ़ सौ से अधिक ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ेंगे, जिन्हें समाज सही मानता है। बता दें, प्रशांत किशोर यह कह चुके हैं कि किसी राजनीतिक दल के लिए चुनावी रणनीतिकर बनकर काम करना अब वह छोड़ चुके हैं।

आने वाले समय में राजनीतिक दल बनाएंगे प्रशांत किशोर
डेढ़ साल तक बिहार की हर पंचायत में पदयात्रा करने के दौरान प्रशांत किशोर करीब दो लाख ऐसे लोगों को साथ में जोड़ना चाहते हैं जो बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए काम कर सकें। प्रशांत किशोर कई बार यह बात कह चुके हैं कि हर पंचायत की अलग-अलग समस्या और अलग-अलग मुद्दे होते हैं। हर पंचायत में चुने गए लोगों से उस पंचायत की समस्या का फीडबैक लिया जाएगा और उस समस्या का निदान किया जाएगा। प्रशांत किशोर का कहना है कि इसी तर्ज पर एक राजनीतिक दल बनाकर बिहार के विकास के लिए प्राथमिकताओं का घोषणा पत्र भी तैयार किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया है कि पदयात्रा के बाद घोषणा पत्र जारी किया जाएगा और 10 साल के लक्ष्य के साथ बिहार को देश के 10 प्रमुख राज्यों में शामिल कराना होगा।

क्या अरविंद केजरीवाल की राह पर चल रहे हैं प्रशांत किशोर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशांत किशोर भी अरविंद केजरीवाल की राह पर ही चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मैं भी इसी तरह अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उस वक्त अरविंद केजरीवाल बिजली की समस्या लेकर पोल पर भी चढ़ जाते थे। तब केजरीवाल की ओर से ‘सरकार बनने पर सभी भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने’ का नारा लगाए जाने पर लोग खूब तालियां बजाते थे। लगभग इसी तर्ज पर प्रशांत किशोर भी बिहार में पदयात्रा कर लोगों को यह बताने और समझाने की कोशिश करेंगे कि बिहार के तमाम राजनीतिक दल बिहार के विकास में फेल हो चुके हैं। हालांकि राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि लोगों को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने के नाम पर सत्ता में पहुंचे अरविंद केजरीवाल, अब क्या कर रहे हैं, लोग इसे भी देख रहे हैं।

बदल चुका है नीतीश कुमार का स्वभाव : प्रशांत किशोर
एक अखबार को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा कि 2015 के लिए उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ नहीं बल्कि नीतीश कुमार के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी। प्रशांत किशोर ने कहा कि 2015 के नीतीश कुमार और 2022 के नीतीश कुमार में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। नीतीश कुमार का ग्राफ बहुत तेजी से गिर रहा है। 2020 में भले ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन गए हो लेकिन, एक तरह से जनता ने उन्हें हरा दिया था। यही वजह है कि खुद नीतीश कुमार ने कई बार यह कहा कि वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे। लेकिन 2022 में नीतीश कुमार ने क्या किया यह सभी जानते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में जिस ऊंचाई को छुआ था और जो मुकाम हासिल किया था, नीतीश कुमार की सालों की मेहनत महज पिछले 7 से 8 साल में पूरी तरह से धुल चुकी है।

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