Opinion: कहां गई रिकी पोंटिंग की खेल भावना? अश्विन-दीप्ति पर बवाल, जम्पा पर चुप्पी कैसी!

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Opinion: कहां गई रिकी पोंटिंग की खेल भावना? अश्विन-दीप्ति पर बवाल, जम्पा पर चुप्पी कैसी!


Opinion: कहां गई रिकी पोंटिंग की खेल भावना? अश्विन-दीप्ति पर बवाल, जम्पा पर चुप्पी कैसी!

क्रिकेट में खेमेबाजी नई नहीं है। जब कोई विवाद एशिया या इंडियन क्रिकेट से जुड़ा होता है तो इंग्लिश, ऑस्ट्रेलियन, साउथ अफ्रीकी और न्यूजीलैंड के क्रिकेटर मुखर होते हैं और खुलकर बयान देते हैं, लेकिन जब उनसे जुड़ा होता है तो अधिकतर को सांप सूंघ जाता है। अब एडम जम्पा को ही देख लीजिए। बिग बैश लीग के एक मुकाबले में मेलबर्न स्टार्स के ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने इसी तरह से मेलबर्न रेनेगेड्स के टॉम रोजर्स को आउट करने की कोशिश की। हालांकि, बल्लेबाज को आउट नहीं दिया गया, लेकिन जो लोग भारत के अश्विन और दीप्ति शर्मा पर गला फाड़ रहे थे, वे पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं।

रविचंद्रन अश्विन और दीप्ति शर्मा पर रिकी पोंटिंग ने किया था बवाल

पंजाब का कप्तान रहते हुए रविचंद्रन अश्विन ने इंडियन प्रीमियर लीग में जोस बटलर को इसी तरह से रन आउट किया था तो भयंकर बवाल मचा था। उन्हें कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने धोखेबाज तक कहा था। खासकर ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने काफी आलोचना की थी। जब दिल्ली कैपिटल्स से अश्विन जुड़े तो पोंटिंग ने तुरंत बयान दिया कि वह इस तरह की हरकत टॉलरेट नहीं करेंगे। उन्होंने टीम की ओर से खेलते हुए ऐसा नहीं करने की चेतावनी भी दी। इस पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी काफी तल्ख टिप्पणी की थी।

जब भारत की बेटी दीप्ति शर्मा ने इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में बार-बार गेंद फेंकने से पहले क्रीज से बाहर निकल रहीं चार्ली डीन को रन आउट किया तो इस पर काफी बवाल मचा। इंग्लैंड के पुरुष क्रिकेटरों ने खुलकर मोर्चा संभाला था। जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड और सैम बिलिंग्स ने इस रन आउट को खेल भावना के खिलाफ बताया था। ब्रॉड का कहना था कि इस तरह से जीतना हार के बराबर है। जब वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे भारतीय दिग्गज क्रिकेटरों ने मोर्चा संभाला और उनकी पूर्व में की गई हरकतों को गिनाया तो उनका मुंह बंद हुआ।

एडम जम्पा पर पोंटिंग की चुप्पी बहुत कुछ कह जाती है

एडम जम्पा की टीम के कोच डेविड हसी का कहना था कि अच्छा हुआ वह आउट नहीं दिया गया। अगर दिया जाता तो हम अपील वापस ले लेते, लेकिन जम्पा इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह नियमों के मुताबिक था। यह उनका हक है कि अगर बल्लेबाज इस तरह की हरकत करता है तो वह उसे आउट कर सकते हैं। रोचक बात है कि हसी, जो टीम के कोच, के अलावा किसी बड़े खिलाड़ी का बयान नहीं आया।

अगर यही मामला भारत से जुड़ा होता तो सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बौछार हो जाती। हर कोई आग उगलते दिखता। एडम जम्पा ने जब यह कोशिश की तो सोशल मीडिया पर अश्विन ट्रेंड करने लगे। सवाल यह है कि इस तरह का दोहरा मापदंड क्यों? क्यों मामला उनसे जुड़ा होता है तो वह चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन जब भारत से जुड़ा होता है तो आग उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ते। क्या यही खेल भावना है? एडम जम्पा ने जो किया क्या वह उनकी नजर में खेल भावना थी? इस बारे में नहीं बोलना अपने खिलाड़ी का मूक समर्थन है।

सारे ढकोसले भारतीय खिलाड़ियों के लिए हैं

भारतीय खिलाड़ी होता तो उसे खेल भावना की कसौटी पर कसा जाता। इतना ट्रोल कर दिया जाता कि एक तरह से उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता, लेकिन यह मामला जम्पा का है तो सबकी बोलती बंद है। सभी की खेल भावना न जाने कहां चली गई है। कोई विवाद नहीं हो रहा है। मामला समंदर सा ठंडा है। यहां एक और बात जरूरी है कि जब भी उनके यहां इस तरह की हरकत होती है, तो उन्हें भारत याद आता जाता है। ब्रिस्बेन टेस्ट को ही ले लीजिए। बेहद घटिया पिच थी। मैच दो ही दिन में खत्म हो गया।

आलोचना हुई तो मैच जीतने वाले कप्तान पैट कमिंस ने उस पिच को भारत की कैटेगिरी का बता दिया। शायद वह यह भूल गए कि मैच गाबा में हुआ था और मैदान ऑस्ट्रेलिया का था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब ऑस्ट्रेलिया में ऐसी पिच मिली। यह अलग बात है कि पहली बार इंटरनेशनल लेवल पर ऑस्ट्रेलिया इस तरह से शर्मसार हुआ। हर किसी ने खुलकर आलोचना की। खासकर भारतीय दिग्गजों ने जमकर उसे शर्मसार किया। तब पैट कमिंस को तुरंत ही भारत की याद आ गई। वह पूरे मामले में भारत को घसीटना नहीं भूले।

यही नहीं, सबसे बड़ी बात यह है कि अगर क्रिकेट बुक में रन आउट का यह नियम है तो उसका पालन क्यों नहीं होना चाहिए? खेल भावना सिर्फ दिखावा है। अंग्रेजों का दोहरा रवैया बताया है कि यह सिर्फ ढकोसला है। नियम के अनुसार, गेंदबाज के हाथ से गेंद छूटने से पहले अगर बल्लेबाज नॉनस्ट्राइकिंग ऐंड पर क्रीज से बाहर निकलता है तो उसे रन आउट किया जा सकता है। इस पर बवाल भी खूब होता है। कुछ लोग इसे मांकडिंग कहकर भारतीय महान क्रिकेटर वीनू मांकड़ को बदनाम भी करते हैं, जो गलत है।
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