Opinion: भारतीय कॉरपोरेट जगत की ‘चंदा’ को क्यों लगा ग्रहण! h3>
नई दिल्ली: सीबीआई (CBI) ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की एमडी और सीईओ रही चंदा कोचर (Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया है। चंदा कोचर पर अपने पति को फायदा पहुंचाने के लिए पद के दुरुपयोग का आरोप है। एक दौर में उन्हें भारतीय बैंकिंग जगत की सबसे ताकतवर शख्सियत माना जाता था। साल 2009 में वह देश के प्रमुख निजी बैंक आईसीआईसीआई (ICICI) की एमडी और सीईओ बनीं। वह भारत में किसी बैंक की सीईओ बनने वाली पहली महिला थीं। उस समय उनकी उम्र 47 साल थी। तब फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में 20वें स्थान पर रखा था। वह भारत में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर उभरी थीं। कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के लिए तो चंदा कोचर रोल मॉडल थी। लेकिन भारत उद्योग जगत में करीब एक दशक तक चंदा जैसी चमक बिखेरने वाली चंदा कोचर आज खुद ग्रहण से जूझ रही है।
चंदा कोचर का जन्म राजस्थान के जोधपुर में एक सिंधी परिवार में हुआ था। मुंबई यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री लेने का बाद उन्होंने 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी आईसीआईसीआई जॉइन किया। साल 1994 में जब आईसीआईसीआई बैंकिंग कंपनी बनी तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया। इसके बाद वह लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए 2009 में सीईओ और एमडी बनी। साल 2009 से 2018 तक चंदा कोचर भारतीय उद्योग जगत में धूमकेतु की तरह चमकी। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में बड़ा नाम कमाया और बैंक को बुलंदियों पर पहुंचाया। इस दौरान सरकार ने उन्हें 2011 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
मोदी को चिट्ठी
लेकिन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नाम आई एक चिट्ठी ने चंदा कोचर के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। आईसीआईसीआई बैंक के शेयरहोल्डर अरविंद गुप्ता ने इस पत्र में लिखा कि वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत और चंदा कोचर के परिवार के बीच अवैध कमर्शियल और बैंकिंग रिलेशनशिप है। जुलाई 2016 में आरबीआई ने मामले की व्यापक जांच की। लेकिन उसे इस बात के सबूत नहीं मिले कि वीडियोकॉन और आईसीआईसीआई बैंक ने एक दूसरे को फायदा पहुंचाया।
मार्च 2018 में सीबीआई ने इस मामले की शुरुआती जांच की। इसके साथ ही कोचर के पतन की दास्तान शुरू हो गई। कोचर पर रिश्वत के बदले वीडियोकॉन समूह को हजारों करोड़ रुपये का लोन देने का आरोप लगाया। आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए। 2017 में इस लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया। चंदा कोचर बैंक की उस कमेटी का हिस्सा थीं, जिसने 26 अगस्त 2009 में वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी। आरोप है कि कमेटी ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया था।
नियमों का उल्लंघन
जांच एजेसियों ने उनके और पति दीपक कोचर के खिलाफ सबूत जुटाने आरंभ किए। जांच आगे बढ़ने के साथ यह साफ होता गया कि कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक को हजारों करोड़ के नुकसान की कीमत पर अपने पति की कंपनी को लाभ पहुंचाने में मदद दी। चंदा कोचर ने इन आरोपों से इनकार किया लेकिन अक्टूबर 2018 में कोचर ने अचानक सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया। श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट में चंदा कोचर को विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया। बैंक ने उनके रिटायरमेंट बेनेफिट्स रोक दिए और 9.82 करोड़ रुपये के बोनस की वसूली करने का फैसला किया। अब सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
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चंदा कोचर का जन्म राजस्थान के जोधपुर में एक सिंधी परिवार में हुआ था। मुंबई यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री लेने का बाद उन्होंने 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी आईसीआईसीआई जॉइन किया। साल 1994 में जब आईसीआईसीआई बैंकिंग कंपनी बनी तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया। इसके बाद वह लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए 2009 में सीईओ और एमडी बनी। साल 2009 से 2018 तक चंदा कोचर भारतीय उद्योग जगत में धूमकेतु की तरह चमकी। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में बड़ा नाम कमाया और बैंक को बुलंदियों पर पहुंचाया। इस दौरान सरकार ने उन्हें 2011 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
मोदी को चिट्ठी
लेकिन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नाम आई एक चिट्ठी ने चंदा कोचर के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। आईसीआईसीआई बैंक के शेयरहोल्डर अरविंद गुप्ता ने इस पत्र में लिखा कि वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत और चंदा कोचर के परिवार के बीच अवैध कमर्शियल और बैंकिंग रिलेशनशिप है। जुलाई 2016 में आरबीआई ने मामले की व्यापक जांच की। लेकिन उसे इस बात के सबूत नहीं मिले कि वीडियोकॉन और आईसीआईसीआई बैंक ने एक दूसरे को फायदा पहुंचाया।
मार्च 2018 में सीबीआई ने इस मामले की शुरुआती जांच की। इसके साथ ही कोचर के पतन की दास्तान शुरू हो गई। कोचर पर रिश्वत के बदले वीडियोकॉन समूह को हजारों करोड़ रुपये का लोन देने का आरोप लगाया। आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए। 2017 में इस लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया। चंदा कोचर बैंक की उस कमेटी का हिस्सा थीं, जिसने 26 अगस्त 2009 में वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी। आरोप है कि कमेटी ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया था।
नियमों का उल्लंघन
जांच एजेसियों ने उनके और पति दीपक कोचर के खिलाफ सबूत जुटाने आरंभ किए। जांच आगे बढ़ने के साथ यह साफ होता गया कि कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक को हजारों करोड़ के नुकसान की कीमत पर अपने पति की कंपनी को लाभ पहुंचाने में मदद दी। चंदा कोचर ने इन आरोपों से इनकार किया लेकिन अक्टूबर 2018 में कोचर ने अचानक सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया। श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट में चंदा कोचर को विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया। बैंक ने उनके रिटायरमेंट बेनेफिट्स रोक दिए और 9.82 करोड़ रुपये के बोनस की वसूली करने का फैसला किया। अब सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।
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