Opinion : बाबा बागेश्वर, बजरंग दल और फिर ‘बजरंग बली’, बिहार की सियासत में क्यों मचा है इन पर घमासान?

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Opinion : बाबा बागेश्वर, बजरंग दल और फिर ‘बजरंग बली’, बिहार की सियासत में क्यों मचा है इन पर घमासान?

Opinion : बाबा बागेश्वर, बजरंग दल और फिर ‘बजरंग बली’, बिहार की सियासत में क्यों मचा है इन पर घमासान?

पटना: बिहार अभी राजनीतिक रूप से काफी जागृत हो गया है। यहां कोशिश लगातार हो रही कि कैसे किसी माहौल या घटना हंगामा बढ़े। अभी जातीय जनगणना पर राजनीतिक आक्रमण चल ही रहा था। इसी बीच धार्मिक घेरेबंदी का भी खेल चुनौतियों के मार्फत खेला जाने लगा है। अभी राजनीति के तवे पर हनुमान जी को चढ़ा कर क्या पक्ष और क्या विपक्ष अपनी-अपनी रोटी सेंक रहे हैं। इस मुहिम का एक सच ये भी है कि बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री भी राजनीतिक टूल बन गए है। जिसको देखो अपने बयान से न केवल सुर्खियां बटोर रहा है बल्कि एक-दूसरे को चुनौती भी दे रहा। साथ ही जुबानी जंग के मैदान में भी उतरने से कोई कोताही भी नहीं बरती जा रही है। वैसे भी बीजेपी के पास नीतीश कुमार से अलग होने के बाद हिंदुत्व पर कॉन्सेंट्रेट करना एक राजनीतिक जरूरत बन गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछड़े की राजनीति के सहारे जेडीयू और आरजेडी मुस्लिम मतों की प्राप्ति के साथ बीजेपी को परास्त करने का समीकरण तैयार कर रही है। सो, बीजेपी अब हिंदुत्व के हर मसले पर संवेदनशील और मुखर भी हो गई है।

बजरंग दल पर बैन की बात और राजनीति

बजरंग दल पर बैन की बात भले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक चुनाव में कही थी। वहां से उठी बात वाया उत्तरप्रदेश, बिहार की धरती पर धार्मिक कट्टरता की कहानी लिखनी शुरू कर दी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बजरंग दल पर बैन की मांग कर महागठबंधन के नेताओं को उद्वेलित कर दिया। बिहार में जेडीयू के नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात को हवा दी। फिर क्या बीजेपी भी आरजेडी और जदयू नेताओं के बयानों पर चढ़ कर सियासी संग्राम की स्थिति ले आई। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बयान पर कुछ भी टिप्पणी नहीं की। इतना जरूर कहा कि सभी दलों के साथ बैठेंगे तो इसपर चर्चा करेंगे। सीएम नीतीश कुमार के इस बयान पर बीजेपी खुलकर चेतावनी के मूड में आ गई।

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क्या कहा बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं ने

बजरंग दल पर बैन के सवाल पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने मोर्चा खोलते कहा कि अगर प्रतिबंध लगाया गया तो मस्जिदों को भी बंद करना होगा। नीतीश कुमार टोपी पहनें, नमाज पढ़ें इससे उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन उन्हें सनातन धर्म के साथ खिलवाड़ करने नहीं देंगे। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह यहीं नहीं रुके उन्होंने खुल कर नीतीश कुमार से पूछ डाला कि क्या देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की चाह रखने वाले PFI की सरकार बिहार में है? उन्होंने राज्य सरकार को चेतावनी देते कहा कि जब तक एक-एक सनातनी बच्चा जिंदा है बजरंगबली और बजरंग दल पर रोक लगाने नहीं देंगे।

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सुशील मोदी भी उखड़ गए

कभी नीतीश कुमार के कंधे से कंधा मिला कर राज्य की सत्ता में शामिल पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि अगर सरकार में दम है तो बजरंग दल पर बैन लगा कर दिखाए। उन्होंने कहा कि सत्ता में लौटते ही आरजेडी एक तरफ हिंदू संस्कृति, राम मंदिर, रामचरित मानस, धीरेंद्र शास्त्री जैसे संतों और ब्राह्मणों पर अमर्यादित टिप्पणी कर रहा। दूसरी तरफ एम-वाई समीकरण के दुर्दांत अपराधियों तक को जेल से रिहा करवा रहा है। आरजेडी के मंत्रियों-पदाधिकारियों में अगर हिम्मत है, तो वे इस्लाम और ईसाई पंथ के प्रचारकों पर भी टिप्पणी करें। जब महागठबंधन के एक एमएलसी ने पूरे देश को कर्बला (युद्ध भूमि) बना देने की धमकी दी, तब क्या यह नफरती बयान नहीं था?

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चिराग ने भी खोला मोर्चा

एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’ चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार को चुनौती दिया। उन्होंने कहा कि अगर हिम्मत है तो बजरंग दल पर बैन लगाकर देख लें। किसी भी संगठन को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उसके नाम का इस्तेमाल करना, इस तरह बयानबाजी करना बिल्कुल गलत है। क्या विपक्ष के पास मोदी सरकार से चुनाव जीतने के लिए और दूसरा विकल्प नहीं रहा जो इस तरह का बयान दिया जा रहा है। जेडीयू बताए कि किस घटना के आधार पर बजरंग दल को बैन करने की मांग कर रहे।

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बजरंग दल का मुद्दा और फिर बैकफुट पर कांग्रेस!

बहरहाल, कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल की एंट्री वह भी बैन के रूप में उल्टे कांग्रेस पर ही सवार हो गई। कांग्रेस के घोषणा पत्र में इसे शामिल करना कई विवादों का कारण बन गया। उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी रैली में कहा कि वोट करने से पहले बजरंग बली का नाम लेना और बटन दबा देना भी हिंदू मतों की गोलबंदी का कारण बनने लगा। कांग्रेस पार्टी के भीतर उठते विवादों ने बीजेपी को एक राजनीतिक जमीन उपलब्ध करा दी है।

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बिहार में क्या होगा इन मुद्दों का सियासी असर

बिहार बीजेपी के फायर ब्रांड नेताओं ने अब इसे राज्य के महागठबंधन सरकार के खिलाफ हिंदुओं की गोलबंदी का पर्याय बना डाला है। हालांकि, मुस्लिम मतों की गोलबंदी के विरुद्ध हिंदू मतों को समग्रता में देखने की राजनीति का बिहार में यह बीजेपी का प्रारंभिक कदम है। वह भी अमित शाह के इस नारे के साथ कि जब तक देश के पीएम नरेंद्र मोदी हैं हिंदुओं को डरना नहीं है। अब ये घटनाक्रम आगे क्या गुल खिलाएगा अभी देखना शेष है।

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