Nuh Violence: यहां तो सेनेटरी पैड तक की हो गई किल्लत, नूंह हिंसा के बीच महिलाओं ने बताई आपबीती

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Nuh Violence: यहां तो सेनेटरी पैड तक की हो गई किल्लत, नूंह हिंसा के बीच महिलाओं ने बताई आपबीती

Nuh Violence: यहां तो सेनेटरी पैड तक की हो गई किल्लत, नूंह हिंसा के बीच महिलाओं ने बताई आपबीती

गुरुग्राम: हरियाणा के नूंह में बीते दिनों हुई हिंसा का असर महिलाओं पर भी खासा पड़ता दिख रहा है। यहां महिलाएं किचन और राशन के सामान के साथ ही यूज में लाए जाने वाले सिनेटरी पैड न मिलने से परेशान हैं। आलम यह है कि कर्फ्यू में ढील के बाद भी मेडिकल स्टोर्स सही से तय समय पर दुकान खोलने से कतरा रहे हैं। इसे लेकर महिलाओं का कहना है कि हमारा क्या कसूर है? क्योंकि यह हंगामा तो हम महिलाओं या फिर बच्चों की वजह से तो नहीं हुआ… फिर क्यों हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इसको लेकर हमारे सहयोगी टीओआई से पीड़ित महिलाओं ने बातचीत की।

दिहाड़ी मजदूर महिला ने कही घर वापसी की बात

मध्य प्रदेश से आई दिहाड़ी मजदूर ने कहा कि वह कुछ महीने पहले आजीविका कमाने के लिए अपने पति के साथ यहां आई थी, लेकिन अब उसे इस कदम पर पछतावा है। यहां स्थिति इतनी तनावपूर्ण है कि कोई भी हमें काम देने के लिए तैयार नहीं है। मैं और मेरी 17 वर्षीय बेटी दोनों के लिए सेनेटरी पैड खरीदने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए मैं कपड़े का उपयोग कर रही हूं। मैंने शनिवार को अपनी दो साड़ियां फाड़ीं और पांच नैपकिन बनाई। हम अपने घर वापस जा रहे हैं और लंबी यात्रा के लिए मुझे पैड की जरूरत है।

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‘हमारा क्या कसूर’?

पीड़ित महिला ने अपने पति से पूछते हुए कहा कि, ‘पूरा हंगामा पुरुषों द्वारा किया गया था। हम अभी भी नहीं जानते कि वास्तव में यहाँ क्या हुआ था। इसके चलते हम जैसी महिलाएं और हमारे बच्चे ही पीड़ित हैं। हमारा क्या कसूर था जो हमें बेघर और बेरोजगार कर दिया गया? अब हमें ज़रूरतों के लिए संघर्ष करने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है?

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डिलीवरी के लिए जाना पड़ा राजस्थान

एक महिला ने कहा कि चौक के पास रहने वाली उसकी दोस्त को डिलीवरी के लिए शुक्रवार रात राजस्थान के अलवर जाना पड़ा। क्योंकि नूंह में अस्पताल, अल्ट्रासाउंड क्लीनिक और डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे। नूंह चौक के आसपास और आसपास लगभग आधा दर्जन अल्ट्रासाउंड क्लीनिक हैं, लेकिन सभी बंद हैं। मैं चार महीने की गर्भवती हूं और मुझे बुखार है। मेरे पति दोपहर में दवाएं खरीदने के लिए बाहर निकले, लेकिन सभी दुकानें बंद होने के कारण खाली हाथ लौट आए। क्योंकि ज्यादातर दुकानदार कर्फ्यू हटने के बाद भी दुकानें बंद रख रहे हैं।’

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क्या बोले डेप्युटी कमिश्नर ?

नूंह के डेप्युटी कमिश्नर धीरेंद्र खडगटा ने कहा कि कर्फ्यू कुछ दिनों के लिए लगाया गया है। निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। हर दिन, कर्फ्यू में कुछ घंटों के लिए ढील दी जाती है, जिससे कि लोग आवश्यक वस्तुएं, विशेषकर दवाएं खरीद सकें। अस्पताल और मेडिकल स्टोर भी काम कर रहे हैं। अगर वे बंद हैं या आवश्यक वस्तुओं की अनुपलब्धता है, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए।

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