Nuh News: नूंह हिंसा पर सरकार और BJP नेताओं के अलग-अलग सुर बढ़ा रहे हरियाणा गवर्नमेंट की मुश्किलें

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Nuh News: नूंह हिंसा पर सरकार और BJP नेताओं के अलग-अलग सुर बढ़ा रहे हरियाणा गवर्नमेंट की मुश्किलें

Nuh News: नूंह हिंसा पर सरकार और BJP नेताओं के अलग-अलग सुर बढ़ा रहे हरियाणा गवर्नमेंट की मुश्किलें

गुरुग्राम: मेवात हिंसा को लेकर सरकार के गठबंधन के साथी जेजेपी और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की अलग-अलग बयानबाजी ने नई राजनीतिक चर्चा शुरू कर दी है। इससे आने वाले समय में विपक्षी दल न केवल हरियाणा सरकार पर हमलावर होंगे बल्कि जांच को भी प्रभावित करेंगे। बीजेपी नेताओं की अलग-अलग बयानबाजी राजनीतिक हलके में चर्चा का विषय बन गई है। राजनीतिक उथल-पुथल की चर्चा होने लगी है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने शुरुआत में एक बयान में कहा कि उन्होंने मोनू मानेसर की विडियो देखी है, जिसमें मोनू मानेसर लोगों को राजनीतिक यात्रा के लिए कह रहा है। इसमें उसकी कोई साजिश नजर नहीं आ रही है। अगले ही दिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने SIT बनाकर पूरे प्रकरण में मोनू मानेसर की भूमिका की जांच की घोषणा कर दी। जहां एक तरफ गृहमंत्री ने मोनू मानेसर को क्लीन चिट दे दी, वहीं मुख्यमंत्री ने उनकी भूमिका की जांच के आदेश देकर गृह मंत्री के बयान को कटघरे में खड़ा कर दिया।

दूसरी तरफ, सरकार में गठबंधन के साथी जेजेपी नेता उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यात्रा पर ही सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यात्रा के आयोजकों ने जिला प्रशासन को पूरी जानकारी नहीं दी, जिस कारण यह स्थिति बनीं।

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सांसद इंद्रजीत राव ने उठाए सवाल

इस लोकसभा क्षेत्र के सांसद राव इंद्रजीत ने पूरे प्रकरण पर ही सवाल खड़े किए। उन्होंने अपने बयान में कहा कि धार्मिक यात्रा में लाठी-डंडे और हथियार कहां से आए? दूसरे पक्ष ने पत्थर इकट्ठे कर हिंसा फैलाने की पहले से तैयारी कर रखी थी? इसकी जांच की जानी चाहिए। दोनों पक्षों को हथियार किसने मुहैया कराए?

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लोगों के मन में सवाल

वहीं, दूसरी तरफ स्थानीय लोग सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर नाराज दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सरकार की मुश्किल बढ़ गई है। वे विपक्ष के वारों का जवाब दे या अपने ही नेता के उठाए गए सवालों पर जवाब दें। पूरे प्रकरण में सरकार के नुमाइंदों के बीच में आपसी समन्वय की कमी नजर आई। सरकार की ओर से मेवात हिंसा पर आधिकारिक रूप से बयान देने के लिए किसी को भी अधिकृत नहीं किया।

इसके अलावा बौखलाहट यहां तक दिखाई दी कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी लीग से हटकर बयान देते नजर आए। सत्ता पक्ष के नेताओं की अलग-अलग बयानबाजी ने न केवल सरकार और सरकार के कामकाज को कटघरे में खड़ा कर दिया बल्कि यह भी जता दिया कि फिलहाल सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।

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