Ntish Vs Kushwaha: ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं’ फॉर्म्यूले पर कुशवाहा, कहां से मिल रही ताकत? जानें

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Ntish Vs Kushwaha: ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं’ फॉर्म्यूले पर कुशवाहा, कहां से मिल रही ताकत? जानें

Ntish Vs Kushwaha: ‘जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं’ फॉर्म्यूले पर कुशवाहा, कहां से मिल रही ताकत? जानें


नील कमल, पटना: जनता दल यूनाइटेड संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) आखिर पार्टी और नीतीश कुमार पर टिप्पणी क्यों कर रहे हैं? क्या उपेंद्र कुशवाहा को पीछे से महागठबंधन विरोधी पार्टियों का समर्थन मिल रहा है? क्या जेडीयू के बागी और पार्टी से हटाए गए नीतीश के नेता अब उन्हीं के खिलाफ गोलबंद हो रहे हैं? आरजेडी का कहना है कि बीजेपी के समर्थन की वजह से उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू को तोड़ना चाहते हैं। वहीं, बीजेपी का कहना है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) में निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो चुकी है।

जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक पार्टी नहीं छोड़ेंगे?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के बीच चल रही बयानबाजी के दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने ये ऐलान कर दिया कि वो किसी के कहने पर पार्टी छोड़कर नहीं जाने वाले। उन्होंने ये भी कहा है कि पार्टी में उनकी भी हिस्सेदारी है इसलिए किसी को भी बाप-दादा की संपत्ति हड़पने नहीं देंगे। जबकि नीतीश कुमार उन्हें तीन-तीन बार पार्टी छोड़कर जाने की नसीहत दे चुके हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि उपेंद्र कुशवाहा आखिर पार्टी छोड़कर जा क्यों नहीं रहे? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दरअसल उपेंद्र कुशवाहा जानते हैं कि जेडीयू के भीतर कई विधायक ऐसे हैं, जो आरजेडी के साथ मिलकर सरकार चलाए जाने के खिलाफ हैं। उपेंद्र कुशवाहा उन्हीं विधायकों को गोलबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि उन्हें लेकर पार्टी से बाहर निकले और जेडीयू में न सिर्फ टूट हो बल्कि नीतीश कुमार के पास मंत्रियों के अलावा और कोई ना बचे। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा भीतर ही भीतर पार्टी के दो तिहाई विधायकों को तोड़ने की कोशिश में लगे हैं।

BJP से क्या डील हुई है, ये बताएं उपेंद्र कुशवाहा: RJD

जनता दल यूनाइटेड के भीतर मचे घमासान पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा की निगाहें कहीं और है और निशाना कहीं और लगा रहे हैं। मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा फिर से नए ठिकाने की तलाश कर रहे हैं, इसलिए वो उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उपेंद्र कुशवाहा ने भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना दिल मिला लिया है। इसलिए उन्हें जेडीयू से पूछने की बजाए ये बताना चाहिए कि बीजेपी के साथ उनकी क्या डील हुई है? राष्ट्रीय जनता दल का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी उपेंद्र कुशवाहा के जरिए नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

कैबिनेट में शामिल जेडीयू के ज्यादातर मंत्री बाहरी: BJP

नीतीश कुमार निर्णय लेने की क्षमता खो चुके हैं और उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से नीचे जा रहा है। बिहार में नीतीश कुमार अब अप्रासंगिक हो गए हैं। राजनीतिक दलों के साथ-साथ जनता भी अब नीतीश कुमार पर विश्वास नहीं करती। ये कहना है बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ये कहते हैं कि पार्टी में कई लोग बाहर से आए और गए। उपेंद्र कुशवाहा पर इस तरह की टिप्पणी करने वाले नीतीश कुमार को ये बताना चाहिए कि उनके मंत्रिमंडल में शामिल कितने लोग पार्टी में कब से जुड़े हुए हैं। प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि श्रवण कुमार और लेसी सिंह को छोड़कर जदयू कोटे के जितने भी मंत्री हैं, सारे लोग दूसरे दल से निकलकर जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए थे। जबकि उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश कुमार के पार्टी के फाउंडर मेंबर में से एक है।

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नीतीश से नहीं, ललन सिंह से खफा है उपेंद्र कुशवाहा?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी नीतीश कुमार से नहीं बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा को ये लगता है कि ललन सिंह ही वो व्यक्ति हैं, जो पार्टी और खुद उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा ललन सिंह ही उनके खिलाफ नीतीश कुमार के कान भर रहे हैं। बीजेपी के पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का भी ये कहना है कि ललन सिंह ने हाल ही में उपेंद्र कुशवाहा से ये पूछा था कि पार्टी में उनका योगदान क्या है? प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने ही पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के विषय में जब इस तरह बातें कहे तो समझना मुश्किल नहीं है कि पार्टी के भीतर क्या चल रहा है और पार्टी अध्यक्ष क्या करना चाहते हैं?

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आरसीपी और अजय आलोक की कुशवाहा से मुलाकात

जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह, जो नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते थे। जब नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से बाहर किया तो उन्होंने पार्टी और नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जनता दल यूनाइटेड के ही राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अब ये दोनों नेता बागी हो चुके उपेंद्र कुशवाहा के साथ खड़े दिख रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरसीपी सिंह पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं तो ऐसे में कई विधायक ऐसे होंगे जो आरसीपी सिंह के कहने पर पाला बदल सकते हैं। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का ये भी कहना है कि अभी जल्दबाजी होगी। मगर इतना तो तय है कि आने वाला समय नीतीश कुमार के लिए और भी परेशानी बढ़ाने वाला हो सकता है।

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