लेकिन नहीं रूकी अंधविश्वास की खटिया!

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लेकिन नहीं रूकी अंधविश्वास की खटिया!
लेकिन नहीं रूकी अंधविश्वास की खटिया!

देश में अंधविश्वास की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है। अंधविश्वास की चपेट में आकर लोग न जाने क्या क्या करने लगे है। देश में यह बिमारी सदियों से चली आ रही है, कलयुग में तो अंधविश्वास ने नये-नये रूप धारण कर लिये है। अंधविश्वास के नये रूप से हम आपको रूबरू कराने जा रहै है। जी हाँ, एमपी के घंसौर के अमोदा गांव से अंधविश्वास की एक नई तस्वीर सामने आई है।

खबर के मुताबिक, बीते 10 दिनों में गांव में तीन लोगों की अकाल मौत हो गई, अकाल मौत से डरकर गांव वालों ने पूरे गांव में खटिया घूमाने का फैसला किया। ग्रामीणों के मुताबिक जहां खटिया रुकेगी, उसी घर से जादू-टोना हुआ होगा। दरअसल, ग्रामीणों का मानना है कि लगातार हो रही मौत के पीछे किसी जादू-टोने का हाथ है। इसीलिए ग्रामीणों ने गांव में खटिया घूमाने का फैसला लिया। हैरीनी की बात तो यह रही है कि वहां मौजूद पुलिस-प्रशासन इस अंधविश्वास को रोकने के बजाय यह निगरानी कर रही है कि इस अंधविश्वास के चक्कर में किसी परिवार के साथ मारपीट न की जाए।

हालांकि सुरक्षा व्यवस्था के नजरिये से पुलिस-प्रशासन की बात सही है लैकिन यहीँ सवाल यह खड़ा होता है कि पुलिस प्रशासन ऐसे किसी अंधविश्वास में लोगों को रोकने का प्रयास क्यों नहीं रही है? क्या पुलिस-प्रशासन भी लोगों के साथ अंधविश्वास में भरोसा रखकर उसे बढ़ावा देने में मदद कर रही है?

आपको बता दे कि गांव वालों ने मिलकर 50 हजार रुपए का चंदा जुटाने के साथ ही गांव के बाहर खैरमाई में पंडाल लगाकर सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में पंडे ने पूजा पाठ कर लाल चादर बिछाकर, खाली खटिया को गांव के लिए रवाना किया। इतना ही नहीं खटिया घूमाने के दौरान घरों से निकलकर ग्रामीणों ने खटिया में पान, प्रसाद और चढ़ोत्तरी चढ़ाई। गांव वालों ने खटिया को पूरे गांव में घूमाया लेकिन यह खटिया कहीं नहीं रूकी। जब खटिया नहीं रूकी तो पंडा ने मंत्र पढ़कर कहा कि जो जादू-टोना कर रहा है, वह खुद ही मर जाएगा।

पुलिस-प्रशासन का इस मामलें में यह कहना है कि लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा-पाठ कर सकते है, इसमें कोई रोकटोक नहीं लगाई जा सकती है। प्रशासन के इस बयान से यही सवाल खड़ा होता है कि भक्ति की आड़ में अंधश्रद्धा का होना कहां तक मुनासिफ है? भक्ति और अंधविश्वास में बहुत बड़ा फर्क होता है, उस फर्क को देश-प्रदेश की जनता को समझना चाहिए।

बहरहाल, देश-प्रदेश में अंधविश्वास का खात्मा होना अत्यंत जरूरी हो चुका है, क्योंकि अंधविश्वास की आड़ में न जाने कितनी जाने जा चुकी है।