Nitish Kumar: क्या यूपी से सिंबल बदल कर चुनावी मैदान में उतरेंगे नीतीश कुमार?
पटना: लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन चर्चाओं का बाजार गरम है। अभी से ही चर्चा शुरू हो गई है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार से निकलकर उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। चर्चा है कि नीतीश कुमार फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे, यह समय आने पर पता चलेगा लेकिन यह बात जरूर है कि यूपी के कार्यकर्ताओं की मांग है कि सीएम नीतीश उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ें। ललन सिंह ने कहा कि इस पर कुछ भी कहने का अभी सही समय नहीं है, जब समय आएगा, तब इस पर विचार किया जाएगा। इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि नीतीश कुमार यूपी में सिंबल बदलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे?
दरअसल, कुछ दिन पहले एक पोस्टर सामने आया था। यह पोस्टर समाजवादी पार्टी की ओर से लगाया गया है। पोस्टर पर नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की तस्वीर थी, जिसमें लिखा था- यूपी+बिहार= गई बीजेपी सरकार। मतलब साफ है कि 2024 में पीएम मोदी को रोकने के लिए नीतीश कुमार और अखिलेश यादव एक हो गए हैं। ऐसे में नीतीश कुमार अगर उत्तर प्रदेश के किसी भी सीट से चुनाव लड़ते हैं तो अखिलेश यादव की पार्टी उन्हें खुलकर समर्थन करेगी। जहां तक सिंबल का सवाल है तो नीतीश कुमार जेडीयू के सिंबल पर ही चुनाव लड़ेंगे। सिंबल बदलकर चुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर है। हालांकि इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
नीतीश यूपी से क्यों लड़ सकते हैं चुनाव?
बता दें कि नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं। उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज की आबादी 6 फीसदी के आसप-पास है, जो ओबीसी में 35 फीसदी के करीब है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज की सबसे बड़ी नेता हैं और इस वक्त बीजेपी के साथ हैं। जातीय समीकरण को साधने के लिए अखिलेश यादव नीतीश कुमार को समर्थन कर बड़ा दांव चल सकते हैं। समाजवादी पार्टी को लगता है कि अगर नीतीश कुमार उत्तर-प्रदेश चुनाव लड़ते हैं तो कुर्मी समाज का एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ आ सकता है। यही नहीं, ओबीसी समाज का गैर यादव वोटर भी उनका समर्थन कर सकता है।
नीतीश+अखिलेश= बीजेपी 15
इधर, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि अगर नीतीश कुमार और अखिलेश यादव मिलकर यूपी में प्रचार करते हैं तो बीजेपी वहां 15 सीट पर पहुंच जाएगी। इस तरह बीजेपी के सीधे तौर 50 सीटों का नुकसान होगा। हालांकि ललन सिंह ने ये भी कहा कि अभी लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। इसमें अभी 20 महीने हैं, जब समय आएगा तो इस पर फैसला लिया जाएगा। इस दौरान ललन सिंह ने कहा कि बिहार की 40 सीटों में से हर सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए मुफीद है।
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नीतीश यूपी से क्यों लड़ सकते हैं चुनाव?
बता दें कि नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं। उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज की आबादी 6 फीसदी के आसप-पास है, जो ओबीसी में 35 फीसदी के करीब है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज की सबसे बड़ी नेता हैं और इस वक्त बीजेपी के साथ हैं। जातीय समीकरण को साधने के लिए अखिलेश यादव नीतीश कुमार को समर्थन कर बड़ा दांव चल सकते हैं। समाजवादी पार्टी को लगता है कि अगर नीतीश कुमार उत्तर-प्रदेश चुनाव लड़ते हैं तो कुर्मी समाज का एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ आ सकता है। यही नहीं, ओबीसी समाज का गैर यादव वोटर भी उनका समर्थन कर सकता है।
नीतीश+अखिलेश= बीजेपी 15
इधर, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का कहना है कि अगर नीतीश कुमार और अखिलेश यादव मिलकर यूपी में प्रचार करते हैं तो बीजेपी वहां 15 सीट पर पहुंच जाएगी। इस तरह बीजेपी के सीधे तौर 50 सीटों का नुकसान होगा। हालांकि ललन सिंह ने ये भी कहा कि अभी लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। इसमें अभी 20 महीने हैं, जब समय आएगा तो इस पर फैसला लिया जाएगा। इस दौरान ललन सिंह ने कहा कि बिहार की 40 सीटों में से हर सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए मुफीद है।