नई दिल्ली: साल 2014 से साल 2017 के बीच पुलिस और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जब्त किया गए अत्यन्त मांस बैल और भैंस का था. इसमें काफी थोड़ा भाग गाय के मांस का था.
राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र ने अपनी जांच में इस बड़ी बात का किया खुलासा
आपको बता दें कि ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबर के अनुसार हैदराबाद स्थित ‘मांस पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएम) ने अपनी विशेष जांच में इस बात का खुलासा किया है. उन्होंने देशभर से कुल 112 सैंपल की डीएनए जांच की और पता चला कि इसमें से सिर्फ सात प्रतिशत ही गोमांस है.
एनआरसीएम के मुताबिक, काम करने वाले अग्रणी मांस रिसर्च अनुसंधान है. इन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, छतीसगढ़, आन्ध्रप्रदेश और तेलंगाना में पुलिस और पशुपालन विभागों के कुल 139 सैंपल प्राप्त किए है. जिसमें से करीब 112 ही डीएनए परीक्षण के लिए उपयुक्त है. संस्थान के अधिकारियों को इस बात का संदेह था कि सैंपलों में से 69 गाय के मांस होंगे लेकिन यह गलत निकला. शोधकर्ता ने कहा कि रोचक बात तो यह है कि गाय के मांस के संदिग्ध तीन नमूने ऊंट के मांस के पाए गए और एक कुत्ते के मांस का संदेह वाला नमूना भेड़ के मांस का था. ये ही नहीं संस्थान द्वारा साल 2018 में मांस के 80 और नमूने प्राप्त किए गए, और उनके विश्लेषण में भी सामान रूप की प्रवृत्ति देखी गई है.
देश के कई राज्यों में गोमांस के सेवन को लेकर रोक लगा दी गई
आपको बता दें कि देश के कई राज्यों में गोमांस के सेवन को लेकर रोक लगा दी गई है. बीते सालों में गोमांस के शक में लोगों को पीटने और भीड़ में हमला कर हत्या के कई मामले सामने आए है. वहीं 29 जून 2017 को रामगढ़ के मांस कारोबारी अलीमुद्दीन अंसारी द्वारा कथित रूप से गो मांस ले जाने के शक में जमकर पिटाई की गई जिसके के कारण उसकी हत्या हो गई.
हालांकि इसके स्थानीय अदालत ने मामले के 11 आरोपियों को ‘गो-रक्षकों’ को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिनमें से अब आठ आरोपियों को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिली है. इसके अलावा 20 जुलाई 2018 को राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र में कथित तौर से गो-तस्करी के संदेह में भीड़ द्वारा अकबर खान नाम के एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. बीते कुछ सालों में इस प्रकार के कई मामले देखने को मिलें है.
भीड़ द्वारा हमले की 87 घटनाएं सामने आई है
इंडियास्पेंड की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010 से गो-हत्या के शक से अब तक भीड़ द्वारा हमले की 87 घटनाएं सामने आई है. जिनमें से 34 लोग की मौत हुई और 158 लोग गंभीर रूप से घायल हुए है. इन आंकड़ों के मुताबिक, देश में साल 2014 से पहले गो हत्या के नाम पर हिंसा की दो घटनाएं सामने आई थी. साल 2014 के बाद ही गो-हत्या के शक में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्याएं हुई है.
इस प्रकार की बढ़ती घटनाओं को गंभीर रूप से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ‘भीड़तंत्र’ से निपटने के लिए सरकार को कानून बनाने को कहा था, इसी के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लिंचिंग जैसी घटनाओं से निपटने को लेकर दो उच्च स्तरीय समितियां बनाई थी. साथ ही साथ उन्होंने कहा था कि अगर जरूरी पड़ा तो मॉब लिंचिंग पर क़ानून भी बनाया जाएगा.