Nikay Chunav Result: बसपा को मिली करारी हार, जानिए वजह

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Nikay Chunav Result: बसपा को मिली करारी हार, जानिए वजह

Nikay Chunav Result: बसपा को मिली करारी हार, जानिए वजह


Lucknow Nikay Chunav Result बसपा में भगदड़ के बाद पिछले विधानसभा चुनाव का दर्द अभी खत्म भी नही हो पाया था कि निकाय चुनाव में उसे फिर करारा झटका लगा है। चार बार उप्र में सत्ता के शिखर तक पहुंची बसपा के दुर्दिन जारी हैं। नगर निकाय चुनाव का परिणाम आया तो बसपा दूसरे नंबर से खिसककर जीरो पर पहुंच गई।

महापौर पद पर खाता भी नहीं खोल पाई

बसपा प्रमुख मायावती ने इस चुनाव में दलित मुस्लिम समीकरण साधा था लेकिन मुस्लिमों ने ही बसपा का साथ नहीं दिया। उल्टा काडर वोटर दलितों ने भी बसपा को एकतरफा वोट नहीं किया। परिणाम यह रहा कि बसपा इस बार महापौर पद पर खाता भी नहीं खोल पाई। निकाय चुनाव में मेयर की 17 सीटों में से 17 को जीत कर भाजपा ने इतिहास रच दिया।

नगर पालिका परिषद में मिली विजय

नगर पालिका परिषद में भाजपा 98, सपा 59 और बसपा 19 और कांग्रेस 7 पर अपने अध्यक्ष जीता पाई। नगर पंचायत अध्यक्ष की 204 भाजपा, 171 सपा और बसपा 44 जबकि दोनों पदों पर निर्दल के रूप में क्रम 74 और 16 निर्दल विजय रहे।

बसपा ने भाजपा का विजयी रथ रोक दिया

अगर हम बात करे नगर निकाय चुनाव 2017 की बात करें तो दो नगर निगमों में महापौर पद बसपा ने कब्जाकर दूसरे स्थान पर जगह बना ली थी। कुल 16 में से 14 पदों पर भाजपा का कब्जा हुआ था जबकि मेरठ और अलीगढ़ में बसपा ने भाजपा का विजयी रथ रोक दिया था। सपा और कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुला था। इस बार बसपा भी चारों खाने चित हो गई और उसकी मेरठ और अलीगढ़ की सीट भी भाजपा ने जीत ली। इसके अलावा आगरा, झांसी, सहारनपुर में बसपा नंबर दो पर ही थी।

बसपा की सहारनपुर में हुई हार

सहारनपुर में तो बसपा ने जमकर मुकाबला किया था और मामूली अंतर से ही हारी थी। चूंकि सहारनपुर में बसपा का काडर वोटर काफी है, इसलिए इस बार भी माना जा रहा था कि बसपा वहां तगड़ा मुकाबला करेगी।

बसपा का समीकरण हुआ फेल

देखा जाए तो बसपा ने इस बार दलित मुस्लिम दांव खेला। 17 में से 11 महापौर प्रत्याशी के रूप में मुस्लिमों को टिकट दिया था। बसपा थिंक टैंक का मानना था कि यदि दलितों के साथ मुस्लिम आ गए तो नैया पार हो ही जाएगी। विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने सपा का साथ दिया था पर सपा सत्ता प्राप्त नहीं कर सकी थी। ऐसे में बसपा मुस्लिमों को यह संदेश देना चाहती थी कि दलित मुस्लिम समीकरण से ही भाजपा को रोका जा सकता है और यह समीकरण बसपा के पास है। बावजूद इसके यह गणित पूरी तरह से फ्लॉप ही साबित हुई।

मुस्लिम और दलित वोट बटे

मुस्लिम भी बंटे तो दलितों ने भी अपना वोट बांटा। इससे पहले विधानसभा चुनाव में भी बसपा की दुर्गति हुई थी। बसपा का मात्र एक विधायक ही जीता था। ऐसे में यह माना जा रहा था कि इस बार बसपा मेहनत कर रही है और नगर निकाय चुनाव में कुछ इसकी भरपाई करेगी पर ऐसा नहीं हो पाया। जबकि वर्ष 2017 में बसपा का प्रदर्शन में महापौर 2, पालिका अध्यक्ष 29, पंचायत अध्यक्ष 45, पार्षद 147, पालिका सदस्य 262 और पंचायत सदस्य 218 जीतने में सफल रही थी।

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