NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर- सेना का ‘ऑपरेशन केलर’ क्या है: शोपियां का जंगल कैसे बना आतंकियों का सेफजोन; लोकल लोग देते हैं रहने की जगह h3>
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सेना ने 13 मई को जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन केलर’ लॉन्च किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के शोपियां इलाके में आतंकियों को ढूंढकर उनका एनकाउंटर किया जा रहा है। सेना ने अब तक तीन आतंकी मार गिराए हैं।
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आखिर सेना ने इसका नाम ‘ऑपरेशन केलर’ क्यों रखा, शोपियां इलाका आतंकवादियों का गढ़ कैसे बना, क्या अब वहां इस तरह के ऑपरेशन होते रहेंगे, जानेंगे NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर में…
सवाल-1: सेना ने इसका नाम ‘ऑपरेशन केलर’ क्यों रखा है?
जवाब: 13 मई की दोपहर 12 बजकर 53 मिनट पर भारतीय सेना के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन यानी ADGPI ने सोशल मीडिया X पर ऑपरेशन केलर की जानकारी दी। पोस्ट में लिखा-
‘भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (RR) विंग को खुफिया सोर्सेज से शोपियां के शोकल केलर इलाके में आतंकियों के होने की जानकारी मिली । इसके बाद भारतीय सेना ने ‘सर्च एंड डिस्ट्रॉय’ यानी आतंकियों को ढूंढकर मारने का ऑपरेशन लॉन्च किया।’
दरअसल, ये ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के ‘शोकल केलर’ नाम के गांव में जारी है। ये गांव शोपियां के केलर ब्लॉक में आता है। ये शोपियां कस्बे से 12.5 किमी और श्रीनगर से 47 किमी. दूर है। ये इलाका घने जंगलों से घिरा है, जिसे ‘सुखरू फॉरेस्ट’ कहा जाता है। इस इलाके से अक्सर आतंकी गतिविधियों की खबरें आती रहती हैं।
ADGPI ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ऑपरेशन केलर की जानकारी दी थी।
सवाल-2: शोपियां का ये जंगली इलाका आतंकियों का गढ़ क्यों बना हुआ है?
जवाब: आतंकवादी और घुसपैठिए पीर पंजाल की पहाड़ियों को बॉर्डर पार करने के लिए सबसे मुफीद मानते हैं। दरअसल, पीर पंजाल की पहाड़ियां पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी PoK और जम्मू-कश्मीर के बीच फैली हुई हैं। इस इलाके में जंगल इतने घने हैं कि महज 100 मीटर दूर से भी किसी हलचल को देख पाना मुश्किल है।
शोपियां जिला, पीर पंजाल की पहाड़ियों से सिर्फ 141 किमी दूर है। पीर पंजाल दर्रे से शोपियां की दूरी सिर्फ 40 किमी रह जाती है। पीर पंजाल के आसपास के इलाके जैसे- कुपवाड़ा, उरी, तंगधार, पुंछ और राजौरी में आतंकी लंबे समय से घुसपैठ करते रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के सीनियर जर्नलिस्ट जुनैद हाशमी कहते हैं, ‘दक्षिणी कश्मीर में सबसे ज्यादा घुसपैठ पुंछ और राजौरी से होती है। पुंछ, मुगल रोड के जरिए शोपियां से जुड़ता है। इसी रास्ते से आतंकी शोपियां में दाखिल होते हैं। यहां शुकेल केलर गांव के पास का सुखरू एरिया बहुत खूबसूरत और घना जंगल है, जहां आतंकी अपने हाइडआउट बनाते हैं।’
रिटायर्ट लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं, ‘कुपवाड़ा, उरी, तंगधार, पुंछ और राजौरी जैसे इलाके पहाड़ी हैं। जबकि शोपियां मैदानी इलाका है, यहां सेब के बागान और घने जंगल हैं। सड़क या ट्रांसपोर्ट की कोई कमी नहीं है। आबादी काफी ज्यादा है। एक बार आतंकी इन इलाकों तक आ गए तो उन्हें अपनी बाकी एक्टिविटीज करने में कोई दिक्कत नहीं होती। ये उनके लिए एक सेफजोन की तरह है।’
सवाल-3: सेना की नजर से बचकर पुंछ से शोपियां में कैसे घुसते हैं आतंकी?
जवाब: भारत और पकिस्तान के बीच 3323 किमी लंबा बॉर्डर है। इसमें से करीब 1000 किमी बॉर्डर जम्मू-कश्मीर में मौजूद है। सीमापार से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ के पीछे दो बड़ी वजहें हैं…
1. पूरे साल बाड़ेबंदी रखना मुमकिन नहीं
- जम्मू-कश्मीर में LoC और इंटरनेशनल बॉर्डर की कुल लंबाई करीब 1000 किमी है। लगभग पूरी सीमा पर बाड़ेबंदी की गई है।
- रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पीसी कटोच के मुताबिक, हर साल बर्फबारी, हिमस्खलन जैसी कुदरती समस्याओं के चलते जम्मू-कश्मीर में करीब 400 किमी बाड़ खराब हो जाती है, जिसे गर्मियों के समय दोबारा ठीक करवाना होता है।
- रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा के मुताबिक, बाड़ ठीक करने में लगने वाला वक्त एक तरह का गैप पैदा करता है, जिसका फायदा आतंकी उठाते हैं।
2- आतंकियों को लोकल सपोर्ट
- जुनैद हाशमी बताते हैं कि पुंछ, राजौरी से घुसपैठ करने वाले आतंकी जंगलों में या इनमें मौजूद गुफाओं में अपना शुरुआती ठिकाना बनाते हैं। शोपियां में दाखिल होने पर अलगाववादी सोच के लोकल लोग इन आतंकियों को सपोर्ट करते हैं और हाइडआउट बनाने यानी छिपने में मदद करते हैं।
- लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं, ‘अलगाववादी सोच के चलते लोकल युवा आतंकी संगठनों से आसानी से जुड़ जाते हैं। शोपियां के कई लोग हमेशा से आतंकियों को घरों में छिपाने से लाकर बाकी लॉजिस्टिक्स से मदद करते रहे हैं।’
हालांकि जुनैद ये भी कहते हैं कि जैसे ही ये आतंकी आबादी के इलाकों में आते हैं, इनकी जिंदगी कम हो जाती है। शोपियां से निर्दलीय विधायक शब्बीर अहमद कुल्ले नेशनलिस्ट सोच के माने जाते हैं। उनकी जीत ये बताती है कि यहां ऐसे भी लोग हैं जो आतंकियों को सपोर्ट नहीं करते। आबादी के इलाकों में अगर कोई टेररिस्ट मूवमेंट देखी गई तो उसकी खबर आर्मी और पुलिस को दी जाती है।
सवाल-4: ऑपरेशन केलर कब तक चलेगा?
जवाब: ऑपरेशन केलर में अब तक 3 आतंकी मारे गए हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। ADGPI ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया कि राष्ट्रीय रायफल्स को मिले इनपुट के आधार पर ऑपरेशन केलर लॉन्च किया गया है। ये अभी जारी है।
सवाल-5: क्या इस कार्रवाई का ऑपरेशन सिंदूर से कोई लिंक है?
जवाब: रिटायर्ट लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी बताते हैं,
ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन केलर दोनों अलग-अलग हैं। दोनों का मकसद अलग-अलग है। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक कर उन्हें नेस्तनाबूद करना है। यानी आतंक को जड़ से नष्ट करना। जबकि ऑपरेशन केलर का मकसद साउथ कश्मीर के जंगलों में छिपे आंतकियों का एनकाउंटर करना है। फिलहाल ये दोनों ही ऑपरेशन जारी हैं।
इसके अलावा पहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादियों की तलाश अभी जारी है। ऑपरेशन केलर भी इसी का हिस्सा है। इसके शुरू होने से पहले सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में तीन आतंकियों के पोस्टर लगाए हैं। इनकी पुख्ता जानकारी देने पर 20 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।
सवाल-6: क्या अब ऐसे ऑपरेशन लगातार जारी रहेंगे?
जवाब: संजय कुलकर्णी कहते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले भी जम्मू-कश्मीर में सेना आतंकियों के खिलाफ लगातार सर्च और डिस्ट्रॉय ऑपरेशन चलाती रही है। अब सरकार का सीमा पार आतंकवाद पर जो रुख है, उसी हिसाब से अंदर भी ऑपरेशंस में तेजी आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सेना ने कहा है कि अब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। 12 मई की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संदेश दिया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है।’
PM मोदी ने ‘अखंड प्रतिज्ञा’ शब्द का इस्तेमाल कर बताया कि भारत आतंकी ठिकानों और आतंकियों को खत्म करने की अपनी नीति जारी रखेगा। यही बात 11 मई को रक्षा मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं के ऑपरेशंस हेड ने भी कही।
नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के मेंबर पंकज सरन के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर ने एक नया बेंचमार्क बनाया है, जो भारत की सिक्योरिटी डॉक्ट्रिन में ‘न्यू नॉर्मल’ है। यानी अब आतंकवाद के खिलाफ भारत किसी भी तरह का एक्शन लेने से नहीं हिचकेगा, फिर चाहे वो पाकिस्तान में ही क्यों न हो।
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पाकिस्तान के साथ सीजफायर के 51 घंटे बाद PM मोदी ने सोमवार रात 8 बजे देश को संबोधित किया। अपने 22 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर, आतंकवाद, सिंधु जल समझौते और PoK पर बात की। पूरी खबर पढ़ें…