NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर- तनाव के बीच हमले से बचने की तैयारी: सायरन बजेगा, बिजली कटेगी, 244 जिलों में मॉक ड्रिल; देखें क्या आपका शहर भी शामिल h3>
कल यानी 7 मई को देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल होगी। यानी इन जगहों पर सायरन बजेगा, बिजली कटेगी और लोग छिपने के लिए इधर-उधर भागेंगे। 1971 की जंग के बाद ये पहला मौका है कि लोगों को हमले के दौरान बचने के तरीके सिखाए जाएंगे। इसे लेकर गृह मंत्रालय में मंग
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NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर में जानेंगे कि ये सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या होती है, ये क्यों कराई जाती है और पाकिस्तान से तनाव के बीच इसे कराने का क्या मतलब है…
सवाल-1: भारत सरकार ने देश में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल को लेकर क्या आदेश जारी किया? जवाब: 5 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में मॉक ड्रिल करवाने के आदेश जारी किए…
- 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल में नागरिकों को हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- मॉक ड्रिल सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहर से लेकर ग्रामीण स्तर के इलाकों में होगी।
- इसमें जिला कलेक्टर, सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स, होम गार्ड्स, नेशनल कैडेट कोर (NCC), नेशनल सर्विस स्कीम (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), कॉलेज और स्कूल के स्टूडेंट्स शामिल होंगे।
- इसमें लोगों और छात्रों को हमलों के दौरान सुरक्षित रहने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि हमले की चेतावनी कितनी कारगर है और कंट्रोल रूम का कामकाज कैसा है।
सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के सेक्शन 19 के तहत केंद्र सरकार ने सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आदेश जारी किया। यह कानून हमले और आपदा के दौरान लोगों के बचाव के लिए उन्हें नागरिक सुरक्षा से जुड़े नियमों और आदेशों का पालन करना सिखाता है। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उसे 3 महीने तक जेल या 500 रुपए तक जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
पुलिस, SDRF समेत अन्य रेस्क्यू टीमों को युद्ध के दौरान बचने की ट्रेनिंग दी गई।
सवाल-2: देश के कौन से 244 जिलों में मॉक ड्रिल की जाएगी? जवाब: मार्च 2010 में गृह मंत्रालय के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल डिफेंस ने तीन कैटेगरी में 259 जिलों को शामिल किया। भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के चलते इनमें से 244 संवेदनशील जिलों में मॉक ड्रिल कराई जाएगी। हालांकि सरकार की ओर इसकी लिस्ट अभी जारी नहीं हुई है। फिर भी इन इलाकों में मॉक ड्रिल होने का अनुमान है…
- जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और पंजाब राज्य पाकिस्तान के साथ बॉर्डर साझा करते हैं। ऐसे में इन राज्यों के संवेदनशील इलाकों में मॉक ड्रिल होगी।
- दुश्मन देश भारत के जरूरी रक्षा संस्थान, पावर ग्रिड, बंदरगाह, रिफाइनरी और अन्य जरूरी फैक्ट्रियों पर भी हमला कर सकता है। ऐसे में इन इलाकों में भी मॉक ड्रिल होगी।
- तटीय जिले जहां से दुश्मन के जहाज हमले कर सकते हैं या घनी आबादी वाले शहर जहां हमले से ज्यादा नुकसान हो सकता है, वहां भी मॉक ड्रिल होगी।
सवाल-3: सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या होती है? जवाब: सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक पूर्वाभ्यास या नकली अभ्यास है, जिसमें आपातकालीन स्थिति बनाई जाती है। यानी युद्ध, हवाई हमला, प्राकृतिक आपदा या किसी और इमरजेंसी के समय लोगों को अपनी हिफाजत करना सिखाया जाता है।
आसान भाषा में समझें तो यह एक तरह का रिहर्सल है। इसमें आम लोग, स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स, सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स, होम गार्ड, पुलिस और स्थानीय प्रशासन मिलकर यह देखते हैं कि असली खतरे के समय क्या करना होगा।
उदाहरण से समझें- मॉक ड्रिल में कोई हवाई हमला हुआ, तो सायरन बजता है, लोग अपनी जगह छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाते हैं, बिजली काटी जाती है और वॉलंटियर्स घायलों की मदद करते हैं। यह सब असली नहीं होता, लेकिन ऐसा करने से लोग सीखते हैं कि असली स्थिति में क्या करना है।
मॉक ड्रिल कराने के लिए कोई एक ऑर्गनाइजेशन नहीं है, बल्कि इसमें 12 सरकारी और गैर-सरकारी ऑर्गनाइजेशन मिलकर काम करते हैं…
- गृह मंत्रालय: यह मॉक ड्रिल का सबसे बड़ा कंट्रोलर है। गृह मंत्रालय इमरजेंसी के दौरान मॉक ड्रिल के आदेश जारी करता है, एक्सरसाइज की प्लानिंग और फंडिंग देता है।
- DGFS, CDHG: डायरेक्टोरेट जनरल फायर सर्विस, सिविल सर्विस एंड होम गार्ड्स स्थानीय लेवल पर ड्रिल को लागू करने में मदद करते हैं और नकली घायलों का इलाज करते हैं। इनमें नागरिक भी शामिल होते हैं, जिन्हें सिविल डिफेंस की ट्रेनिंग दी गई।
- होम गार्ड्स: इन्हें इमरजेंसी में पुलिस और प्रशासन की मदद करने की ट्रेनिंग मिली होती है। यह ड्रिल में भीड़ को कंट्रोल करते हैं और सुरक्षित जगह पर पहुंचने में मदद करते हैं।
- पुलिस और फायर सर्विसेज: स्थानीय पुलिस ड्रिल के दौरान मैनेजमेंट करती है और फायर सर्विस के लोग नकली बचाव अभियान में हिस्सा लेते हैं, जैसे मलबे से लोगों को निकालना।
- NCC: नेशनल कैडेट कोर के स्टूडेंट्स ड्रिल में हर समय एक्टिव रहते हैं। यह लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने और अन्य एक्टिविटीज में हिस्सा लेते हैं।
- NSS: नेशनल सर्विस स्कीम में ज्यादातर कॉलेज के स्टूडेंट्स होते हैं, जो ड्रिल में जागरूकता फैलाने का काम करते हैं और भीड़ को कंट्रोल करते हैं।
- NYKS: नेहरू युवा केंद्र संगठन युवाओं को इकट्ठा करता है उन्हें ड्रिल में पार्टिसिपेट करवाता है।
- रेड क्रॉस सोसाइटी: मॉक ड्रिल में प्राथमिक उपचार मुहैया कराती है और नकली घायलों की मदद करती है। ये लोग इमरजेंसी में मेडिकल सर्विस देने के लिए प्रशिक्षित होते हैं।
- स्कूल और कॉलेज: स्टूडेंट्स और टीचर्स मॉक ड्रिल का अहम हिस्सा हैं। बच्चे भी हमले वाली जगहों से लोगों को निकालने और ब्लैकआउट जैसे अभ्यास में हिस्सा लेते हैं। टीचर्स इन्हें निर्देश देते हैं।
- NGO: गैर-सरकारी संगठन जागरूकता फैलाने और लोगों को इकट्ठा करने का काम करते हैं। NGO के लोग ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में कारगर साबित होते हैं।
सवाल-4: 7 मई को 244 चिन्हित सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट में मॉक ड्रिल कैसे की जाएगी? जवाब: 244 चिन्हित जिलों के कलेक्टर तय करेंगे कि मॉक ड्रिल किन जगहों पर की जाएगी। कुछ जगह सुबह, कुछ जगह दोपहर या शाम को ड्रिल होगी…
- ड्रिल की शुरुआत एयर रेड सायरन से होगी, जो नकली हवाई हमले की चेतावनी देगा। यह सायरन पुलिस स्टेशनों, ऊंची इमारतों, हॉस्पिटल या स्कूल-कॉलेज पर लगे होंगे।
- सायरन सुनते ही लोग बंकर, बेसमेंट या मजबूत इमारतों जैसी सुरक्षित जगहों पर पहुंच जाएंगे। यानी अगर आप स्कूल में हैं, तो सायरन सुनते ही टीचर्स आपको बंकरों में ले जाएंगे।
- कलेक्टर, सिविल डिफेंस अधिकारी और अन्य ऑर्गनाइजेशन मिलकर जांच करेंगे। अगर सायरन की आवाज कम या न बजने और निकासी में देरी हुई तो सुधार की योजना बनाई जाएगी।
- नागरिकों को इमरजेंसी में खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। हवाई हमलों के दौरान गिरकर छिपना, सिर और शरीर को बचाने के तरीके सिखाए जाएंगे।
- नकली घायलों को फर्स्ट एड देने का अभ्यास होगा, घबराहट से बचने और शांत रहने की ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि सायरन सुनते ही लोग घबरा न जाएं।
- शहरों और इमारतों की लाइटें बंद करके ब्लैकआउट किया जाएगा, ताकि रात में दुश्मन की हवाई निगरानी या हमले से बचा जा सके। इसके लिए लोग अपने घरों, दुकानों और ऑफिस की लाइटें बंद कर देंगे।
- सैन्य ठिकानों, बिजली घर, मोबाइल टावर और रेलवे स्टेशन जैसी जगहों को छिपाने का रिहर्सल होगा। इन्हें पेड़-पत्तियों, जाल या अन्य तरीकों से ढंका जाएगा, ताकि सैटेलाइट या हवाई निगरानी से बचा जा सके।
- ज्यादा खतरे वाले इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने की रिहर्सल होगी। लोगों को तेजी से बंकरों या शेल्टर्स जैसी जगहों पर पहुंचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- इसके अलावा आग बुझाने, मेडिकल इमरजेंसी में जान बचाने, चोट लगने पर फर्स्ट एड देने और खाने-पीने के तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा, ताकि सभी लोग जंग होने पर खुद को महफूज रख सकें।
गृह मंत्रालय ने नागरिकों को हिदायत दी है कि वे मेडिकल किट, राशन, टॉर्च और मोमबत्तियां अपने घरों पर रखें। इसके अलावा कैश भी साथ रखें, क्योंकि इमरजेंसी में मोबाइल और डिजिटल ट्रांजैक्शन फेल हो सकते हैं।
सवाल-5: इस मॉक ड्रिल में सायरन और ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्यों जरूरी है? जवाब: मॉक ड्रिल के दौरान सायरन और ब्लैकआउट एक्सरसाइज बेहद जरूरी है, ताकि लोग युद्ध होने पर खुद को और खास जगहों को बचा सकें…
- एयर रेड सायरन: युद्ध के दौरान जब दुश्मन हवाई हमला करता है, तब सायरन बजाकर आम लोगों को अलर्ट किया जाता है। सायरन सुनते ही लोगों को हमले का पता चलता है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाना होता है। मॉक ड्रिल के दौरान सायरन एक्सरसाइज कराई जाती है ताकि लोगों को हमला होने पर बिना पैनिक हुए खतरे वाले स्थान से निकलने और सुरक्षित स्थान पर छिपने की ट्रेनिंग दी जा सके।
- ब्लैकआउट एक्सरसाइज: दुश्मन के हवाई हमले के दौरान अगर लाइटें बंद करके ब्लैकआउट कर दिया जाए तो उसे हमला करने के ठिकाने ढूंढने में परेशानी होगी। दुश्मन के एयरक्राफ्ट सटीक निशाने नहीं लगा पाएंगे। अंधेरे में आम लोग दुश्मन की नजर में आने से बच जाएंगे। इसी कारण मॉक ड्रिल के दौरान ब्लैकआउट एक्सरसाइज कराई जाती है, जिससे लोग अंधेरे में भी सुरक्षित स्थान तक पहुंचने का अभ्यास कर सकें।
4 मई को फिरोजपुर कंटोनमेंट एरिया में 09:00 से 09:30 बजे के बीच यह एक्सरसाइज कराई गई थी। इस दौरान सभी लाइट्स बंद कर दी गई थीं। यहां तक कि गाड़ियों की लाइटें भी बंद करवाई गई थीं।
फिरोजपुर छावनी में ब्लैक आउट।
सवाल-6: भारत सरकार सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्यों करवा रही है? जवाब: रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ कहते हैं, ‘पाकिस्तान से युद्ध होने की स्थिति में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल बेहद जरूरी है, ताकि हमला होने पर आम नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जा सके और उन्हें खुद को बचाने के उपाय बताए जा सकें। जब भी युद्ध होता है तो दोनों तरफ लोगों की जानें जाती हैं। युद्ध की स्थिति बेहद भयानक होती है। ऐसे में मॉक ड्रिल से कोशिश की जाती है कि युद्ध होने पर ज्यादा से ज्यादा लोगों की जानें बचाई जा सकें।’
रि. ले. जन. सतीश दुआ बताते हैं, ‘भारत और पाकिस्तान जंग की कगार पर खड़े हैं। ऐसे में भारत मॉक ड्रिल से यह बताना चाहता है कि हम हर हाल में किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। इस कारण पाकिस्तान के बॉर्डर से लगे इलाकों में मॉक ड्रिल कराई जा रही है। आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है।’
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने के पीछे 5 बड़ी वजहें होती हैं-
- लोगों को तैयार करना: लोगों को सिखाना कि इमरजेंसी में घबराना नहीं है, बल्कि सही कदम उठाना है।
- सुरक्षा योजनाओं की जांच: यह देखना कि ब्लैकआउट, निकासी या सायरन जैसी तैयारियां ठीक काम कर रही हैं या नहीं।
- टीमवर्क बढ़ाना: प्रशासन, वॉलंटियर्स और आम लोगों के बीच तालमेल बनाना, ताकि असली खतरे में सब एकजुट होकर काम करें।
- खामियों को सुधारना: अगर ड्रिल में कोई गलती होती है, जैसे सायरन नहीं सुनाई देता या लोग गलत जगह जाते हैं, तो उसे पहले ही ठीक किया जा सकता है।
- जागरूकता फैलाना: लोगों को यह समझाना कि युद्ध या आपदा में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
सवाल-7: क्या पहले भी भारत सरकार सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल करवा चुकी है? जवाब: भारत अब तक चीन और पाकिस्तान के साथ कुल पांच युद्ध लड़ चुका है। इनमें से 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत सरकार ने सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराई थी।
1971 में मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले होने पर बजने वाले सायरन बजाए जाते और ब्लैकआउट किया जाता। लोगों को हवाई हमलों से बचने की ट्रेनिंग दी जाती। ड्रिल के दौरान लोगों को अपने घरों के शीशों को कागज से ढंक लेना होता था। सायरन बजने पर जो लोग घरों से बाहर होते, उन्हें जमीन पर लेटकर अपने कान बंद करने होते थे।
इसके बाद 1999 में भी भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल में संघर्ष हुआ, लेकिन इस दौरान पहले से तैयारी के लिए किसी भी तरह की मॉक ड्रिल नहीं करवाई गई थी। वहीं इसके बाद भी कई मौकों पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा, लेकिन ऐसी कोई मॉक ड्रिल नहीं हुई। 1971 के बाद यह पहला मौका होगा, जब भारत सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल करवा रहा है।
सवाल-8: क्या दुनिया के अन्य देशों में भी मॉक ड्रिल की जाती है? जवाब: युद्ध की आशंका को देखते हुए दुनिया के दूसरे देश भी इस तरह की डिफेंस मॉक ड्रिल करवाते हैं, जिससे आम लोग दुश्मन के हमले के लिए तैयार हो सकें। रूस और यूक्रेन में फरवरी 2022 से शुरू हुए संघर्ष के चलते कई मौकों पर यूक्रेन में भी इसी तरह की सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराई गई थी। इसी तरह इजराइल ने भी अपने लोगों को हमास के हमलों से बचने के लिए मॉक ड्रिल करवाई थी।
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