बुंदेलखंड में बीमारियों पर रिसर्च के लिए MDR यूनिट को सैद्धांतिक मंजूरी

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अब बुंदेलखंड मे नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज अर्थात असंचारी रोगों पर भी रिसर्च की जा सकेगी. इस इलाके में कैंसर क्यों बढ़ रहा है, युवाओं में हाईपर टेंशन बढ़ने के क्या कारण हैं, डेंगू और चिकिनगुनिया पीड़ित मरीजों की हडि्डयों के जोड़ क्यों दशकों तक दर्द देते हैं, अब इन सभी बातों और बीमारियों पर रिसर्च की जाएगी.

केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य के मामले में सागर संभाग को एक और सौगात दी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अधीन सागर में साढ़े पांच करोड़ स्र्पए की लागत से मल्टी डिसिप्लीनरी रिसर्च यूनिट को सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यूनिट के लिए फाइनल प्रपोजल बनाकर भेज दिया है. यहाँ कॉर्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों सहित तमाम तरह की छोटी-बड़ी बीमारियों पर रिसर्च संभव हो सकेगी.

माइक्रोबायोलॉजी विभाग में होगा रिसर्च सेन्टर

मेडिकल कॉलेज भवन में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के ऊपरी हिस्से में यूनिट स्थापित करने के लिए जगह का चयन भी कर लिया गया है. शासन ने बीएमसी से यूनिट के लिए फैकल्टी की डिटेल, सेटअप के लिए आवश्यक संसाधनों, सांइटिस्ट की पोस्टिंग, रिसर्च के लिए सपोर्टिग्स स्टॉफ सहित अन्य डिटेल मांगी थी. बीएमसी डीन की तरफ से प्रपोजल तैयार कर सरकार को भेज दिया गया है.

आईसीएमआर की कमेटी में रखा जाएगा प्रपोजल

मल्टी डिसिप्लीनरी रिसर्च यूनिट के लिए बीएमसी की तरफ से जो प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज गया है वह प्रस्ताव इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की कमेटी के सामने रखा जाएगा. उम्मीद है कि इसे जस के तस स्वीकार करते हुए परमिशन मिल जाएगी. चूंकी बीएमसी के कॉलेज भवन में यूनिट स्थापित करने के लिए पर्याप्त जगह और सेटअप है इस कारण तकनीकी रूप से कहीं भी अड़चन नहीं आएगी.

सेकंड फेज़ में सागर व भोपाल शामिल

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चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश के सभी छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमडीआरयू को स्थापित किया जा रहा है. पहले फेज में ग्वालियर, रीवा, जबलपुर व इंदौर को शामिल किया गया था. यहां यूनिट को स्वीकृति मिल चुकी है. दूसरे फेज में सागर के बीएमसी और भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज को शामिल कर प्रस्ताव मांगे गए थे. इस लिहाज़ से सागर में यूनिट खुलना तय हो गया है.

बायोलॉजी लैब से अलग सेटअप होगा

एमडीआरयू रिसर्च यूनिट बायोलॉजी लैब से अलग सेटअप है. बायोलॉजी लैब में जहां कम्यूनिकेबल डिज़ीज़ और वायरस व बीमारियों के एक मरीज से दूसरे मरीज में फैलने के कारणों और वायरस की स्टेज व दवाओं के असर पर रिसर्च की जाती है तो एमडीआरयू में असंचारी रोग अर्थात ऐसी नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज पर रिसर्च होती है जो एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलती हैं.

सागर में बायोलॉजी लैब का प्रपोजल भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है, इसके लिए भी मेनपानी में जगह आरक्षितकी गई है. दोनों यूनिट खुलने के बाद सागर मेडिकल रिसर्च सेंटर के मामले में 60 साल पुराने मेडिकल कॉलेजों के बराबर पर खड़ा हो सकेगा.

प्रपोजल सबमिट, आईसीएमआर की कमेटी में रखा जाएगा

शासन ने बीएमसी में मल्टी डिसिप्लीनरी रिसर्च यूनिट स्थापित करने के लिए प्रपोजल मांगा था. इसके लिए बजट पहले से ही तय कर दिया गया था. प्राइमरी रूप से 5.50 करोड़ का प्रपोजल है. हमारे पास पूरा सेटअप है. हमने फैकल्टी, सांटिस्ट के पद, ग्रेड 1-2 के पदों सहित सभी बिंदुओं पर प्रपोजल तैयार कर भेज दिया है. एक हिसाब से शासन से सैद्धांतिक स्वीकृति है, आईसीएमआर से एप्रूवल होना बाकी है.