जीएसटी के तहत किसानों की नई परिभाषा।

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जीएसटी के तहत किसानों की नई परिभाषा।

जुलाई 1 से लागू होने वाले जीएसटी के तहत किसानों की परिभाषा पर भी पूरा असर नजर आता दिख रहा है। जीएसटी के तहत बने नए कानून और नियमो के बाद किसानों के लिए भी कुछ शर्तें रखी गयी है। ऐसे लोग जो गैर-पारिवारिक सदस्य को खेती करने के लिए जमीन देते है तो वो किसान नहीं कहलाएंगे। किसान बने रहने के लिए उन्हें खुद या पारिवारिक सदस्य की निगरानी में खेती करानी होगी।

जीएसटी के तहत ऐसे सभी लोगों को पंजीकरण कराना होगा, जो शहरों और कस्बों में रहते है और कृषि भूमि को पट्टे पर देकर खेती कराते है। अभी तक ऐसे लोग किसानों की श्रेणी में आते थे मगर जीएसटी के नए नियमो के तहत किसान को नए तरीके से परिभाषित किया गया है। इसमें किसी व्यक्ति या उसके पारिवारिक सदस्य द्वारा कृषि भूमि पर खुद कृषि करने या परिवार और निजी निगरानी में खेती कराने वाले ही किसान कहलाएंगे। अगर कृषि भूमि का मालिक किसी अन्य व्यक्ति को खेती की गतिविधियों की जिम्मेदारी सौंपता है या पट्टे पर देता है तो उसे किसान नहीं माना जायेगा।

साथ ही खबरों की माने तो उर्वरक-टैक्टर महंगे होने की आंशका भी जताई जा रही है। जीएसटी के तहत उर्वरक कीटनाशक और ट्रेक्टर उपकरण महंगे हो जायेंगे। विशेषज्ञ सवाल उठा रहें है कि सरकार एक तरफ किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने की बात करती है और दूसरी तरफ जीएसटी के नियमो के तहत कृषि से जुडी वस्तुओं पर कर दरों में बढ़ावा कर रही है। हालाँकि आशा यह भी जताई जा रही है कि जीएसटी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत लाभप्रद साबित होगा और इससे विकास की दर नौ प्रतिशत पहुंच सकती है। अब देखना यह होगा कि 1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी के नियमों का किसानो और देश की अर्थव्यवस्था पर कितना असर होता है।