अफसर बनने से पहले ही दी एकता की लाजवाब मिसाल, दोस्त को पीठ पर लादकर ढाई किमी दौड़ा जवान

340

भारतीय सेना का पहला मंत्र है एकता. इसी वजह से अलग-अलग प्रान्तियो के सैनिक एक दुसरे के साथ रहते हैं और अपनी एकता के बल पर दुश्मन के दांत खट्टे कर देते हैं. देश की विभिन्न डिफेन्स अकादमी में कैडेट को सबसे पहले इसी बात की सीख दी जाती है कि अपने साथी का साथ कभी ना छोड़ें. एकता की सहक्ति की ऎसी ही मिसाल नेशनल डिफेंस एकेडमी के एक कैडेट ने दिखायी है. इस कैडेट ने गज़ब की बहादुरी दिखाते हुए रेस में हार-जीत का मोह छोड़कर अपने घायल साथी की मदद करना ज़्यादा ज़रूरी समझा.

रेस से ज़्यादा मदद ज़रूरी

नेशनल डिफेंस एकेडमी क ओर से हर छह महीने पर क्रास कंट्री रेस आयोजित होती है. यह रेस करीब साढ़े 12 किलोमीटर की होती है. इसमें पहले टर्म के कैडेट्स को छोड़ बाकी सभी का भाग लेना अनिवार्य होता है. पुणे में आयोजित रेस के दौरान छठें और फाइनल टर्म के कैडेट चिराग अरोड़ा ने देखा कि उनके साथी देवेश जोशी घायल हो गए हैं,  और इस कारण अब आगे नहीं दौड़ सकते. चिराग की जगह कोई और शख्स होता तो शायद सिर्फ अपनी रेस पर ध्यान देता, मगर चिराग अरोड़ा ने नजीर पेश करते हुए साथी कैडेट देवेश को पीट पर लाद दिया और दौड़ लगाने लगे. ढाई किलोमीटर के बाद दोनों ने एक साथ रेस पूरी की. चिराग का कारनामा देखकर मैदान में मौजूद लोगों ने जमकर तालियां बजाईं.

चिराग अरोड़ा ने 55 मिनट में रेस पूरी की. एनडीए के एक अफसर के मुताबिक चिराग की कोशिश थी कि उनका घायल साथी रेस अधूरी छोड़कर स्कोर न गंवाए. एकेडमी की ओर से इंटर स्क्वॉड्रन चैंपियनशिप ट्रॉफी रखी जाती है. अकेडमी का हिस्सा बनने के बाद हर कैडेट को 18 में से एक एक स्क्वॉड्रन अलॉट किया जाता है. हर स्क्वॉड्रन के लिए यह करो या मरो वाली रेस होती है.

Indian solider -

हर जगह मिल रहा सम्मान

चिराग ने अपने चोटिल साथी को पीठ पर लादकर लगभग ढाई किलोमीटर तक दौड़ लगाई. सिपाही ने जांबाज़ी दिखाते हुए अपने साथ अपने दोस्त को भी मंजिल तक पहुंचाकर ही दम लिया.

भारतीय जवान के इस हौसले और सहयोग की भावना को देखकर हर जगह उसकी वाहवाही हो रही है. कैडेट को विशेष रूप से सम्मानित करने के लिए एनडीए के अफसर खातौर पर अंबाला से पुणे आये. मेजर सुरेंद्र पुनिया ने कैडेट की तस्वीरों को ट्वीट कर इसे सोल्जर स्पिरिट करार दिया और बताया कि बहादुर कैडेट को लेफ्टिनेंट जनरल ने सम्मानित भी किया. इतना ही नही इस बहादुर कैडेट की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

इस वाकये ने एक बात तो सिद्ध कर दी है कि भारतीय रक्षा अकादमी में सिर्फ बहादुर ही नहीं मानवीय अफसर भी तैयार होते हैं, जिनमें ट्रेनिंग के वक़्त ही त्याग, एकता, सहयोग जैसे गुणों को कूट-कूटकर भरा जाता है.