NDA या महागठबंधन, कहां जाएंगे मुकेश सहनी? वीआईपी चीफ ने बता दी मन की बात h3>
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लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। हालांकि बिहार के दोनों गठबंधन (एनडीए और महागठबंधन) अपने घटक दलों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच नहीं सुलझा सके हैं। एनडीए की ओर से तो दावा किया गया है कि अगले 24 घंटों के अंदर सब कुछ साफ हो जाएगा। इस बीच वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की ओर से बड़ा बयान सामने आया है। सहनी ने साफ कहा है कि आने वाले चुनाव में मेरी पार्टी के लिए सीट मायने नहीं रखता है। हम बस यही चाहते हैं कि निषाद आरक्षण की मांग को स्वीकार किया जाए।
बुधवार को बयान जारी कर मुकेश सहनी ने कहा कि तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ इंडिया अलायंस। इन दोनों में से जिस किसी को भी निषाद समाज का वोट चाहिए, उसे निषाद आरक्षण को स्वीकार करना होगा। जो भी इस पर सहमति देगा, मैं उसके साथ जाऊंगा। सहनी ने यह भी कहा कि बगैर आरक्षण पर बात किये मैं किसी के साथ समझौता नहीं करूंगा।
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वीआईपी प्रमुख ने आगे कहा कि हमारे मुद्दे पर अभी गोल-मोल सहमति की बात सामने आ रही है, लेकिन स्पष्ट रूप से भी कुछ नहीं कहा जा रहा है। सहनी ने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन को छोड़कर के एनडीए के साथ चले आने के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ चुका है लेकिन इतना बड़ा भी बदलाव नहीं आया है, जिसमें निषाद समाज के मतों को अनदेखा किया जा सके।
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मुकेश सहनी ने इशारों इशारों में ही लोजपा रामविलास प्रमुख चिराग पासवान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजनीति में आज के वक्त में उनका जो मुकाम है, वह उन्होंने अपने दम पर बनाया है। वह उन्हें विरासत में नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि मैंने सड़क पर उतरकर संघर्ष किया। उद्देश्य केवल यही था कि निषाद समाज को आरक्षण मिले। देश के कई दूसरे राज्यों में निषाद समाज को आरक्षण मिल रहा है तो वह आरक्षण बिहार में क्यों नहीं मिल रहा है? तब जबकि देश एक है और संविधान एक है।
वीआईपी नेता ने कहा है कि 2018 में हमने पार्टी बनाई और उसके बाद से कई चुनाव को लड़ा। पूरे बिहार में मेहनत करके हमने अपनी एक दुनिया और पहचान बनाई है। उद्देश्य यही है कि समाज का भला है। मैंने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा केवल समाज की भलाई के लिए लगा दिया।
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लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। हालांकि बिहार के दोनों गठबंधन (एनडीए और महागठबंधन) अपने घटक दलों के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच नहीं सुलझा सके हैं। एनडीए की ओर से तो दावा किया गया है कि अगले 24 घंटों के अंदर सब कुछ साफ हो जाएगा। इस बीच वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की ओर से बड़ा बयान सामने आया है। सहनी ने साफ कहा है कि आने वाले चुनाव में मेरी पार्टी के लिए सीट मायने नहीं रखता है। हम बस यही चाहते हैं कि निषाद आरक्षण की मांग को स्वीकार किया जाए।
बुधवार को बयान जारी कर मुकेश सहनी ने कहा कि तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ इंडिया अलायंस। इन दोनों में से जिस किसी को भी निषाद समाज का वोट चाहिए, उसे निषाद आरक्षण को स्वीकार करना होगा। जो भी इस पर सहमति देगा, मैं उसके साथ जाऊंगा। सहनी ने यह भी कहा कि बगैर आरक्षण पर बात किये मैं किसी के साथ समझौता नहीं करूंगा।
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वीआईपी प्रमुख ने आगे कहा कि हमारे मुद्दे पर अभी गोल-मोल सहमति की बात सामने आ रही है, लेकिन स्पष्ट रूप से भी कुछ नहीं कहा जा रहा है। सहनी ने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन को छोड़कर के एनडीए के साथ चले आने के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ चुका है लेकिन इतना बड़ा भी बदलाव नहीं आया है, जिसमें निषाद समाज के मतों को अनदेखा किया जा सके।
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मुकेश सहनी ने इशारों इशारों में ही लोजपा रामविलास प्रमुख चिराग पासवान पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजनीति में आज के वक्त में उनका जो मुकाम है, वह उन्होंने अपने दम पर बनाया है। वह उन्हें विरासत में नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि मैंने सड़क पर उतरकर संघर्ष किया। उद्देश्य केवल यही था कि निषाद समाज को आरक्षण मिले। देश के कई दूसरे राज्यों में निषाद समाज को आरक्षण मिल रहा है तो वह आरक्षण बिहार में क्यों नहीं मिल रहा है? तब जबकि देश एक है और संविधान एक है।
वीआईपी नेता ने कहा है कि 2018 में हमने पार्टी बनाई और उसके बाद से कई चुनाव को लड़ा। पूरे बिहार में मेहनत करके हमने अपनी एक दुनिया और पहचान बनाई है। उद्देश्य यही है कि समाज का भला है। मैंने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा केवल समाज की भलाई के लिए लगा दिया।