NDA छोड़ेंगे पशुपति पारस? RLJP प्रवक्ता का बयान- बीजेपी ने अन्याय किया, हमारे सारे विकल्प खुले हैं h3>
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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला फिर उलझता हुआ हुआ दिख रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी आरएलजेपी ने इसमें पेंच फंसा दिया है। सीट शेयरिंग का हालिया फार्मूला उन्हें मंजूर नहीं है जिसमें चिराग पासवान को पांच जबकि पारस की पार्टी को जीरो सीट दी गयी है। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा है कि भाजपा ने हमारे साथ अन्याय किया है इसलिए हमारे सारे विकल्प खुले हैं। दिल्ली में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है जिसमें पारस कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। गुरुवार को भी संसदीय बोर्ड की मीटिंग हुई थी जिसमें सभी प्रकार के फैसले लेने के लिए आरएलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को अधिकृत किया गया था।
राजनीति किसी भी पल कोई भी करवट ले सकती है। पिछले कई दिनों से चर्चा चल रही थी कि बिहार एनडीए में सब कुछ सेट हो गया है। बीजेपी के साथ जदयू, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास, पशुपति पारस की पार्टी आरएलजेपी, जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेंद्र कुशवाहा मिलकर बिहार की 40 सीटों पर फतह करने के लिए एक साथ जुट गए हैं। सीट शेयरिंग में बताया गया कि भाजपा को 17, जदयू को 16, लोजपा राम विलास को पांच, हिंदुस्तानी एवं मोर्चा को एक और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ना है। वहीं पशुपति कुमार पारस को राज्यसभा या राज्यपाल का पद और उनके भतीजे समस्तीपुर सांसद प्रिंस पासवान को बिहार सरकार में मंत्री का ऑफर दिया गया। चिराग पासवान ने जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सीट बंटवारा तय हो जाने की खबर पर मोहर लगा दी। लेकिन आरएलजेपी ने बीजेपी के फार्मूले को ना मंजूर कर दिया है।
शुक्रवार को पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक दिल्ली में पारस के आवास पर बुलाई गई। उसके पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने अपनी नाराजगी मीडिया के माध्यम से जाहिर कर दी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने हमारे साथ अन्याय किया है। इसलिए कार्यकर्ताओं का दबाव है जिसे देखते हुए हमारे लिए सारे विकल्प खुले हैं। यदि भारतीय जनता पार्टी अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो आरएलजेपी अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि आरएलजेपी बीजेपी की सबसे विश्वस्त और ईमानदार साथी है। सबसे ईमानदार पार्टनर के साथ एनडीए में बेईमानी की गई है। इससे कार्यकर्ता काफी नाराज हैं और हमारे नेता पर दबाव बना रहे हैं।
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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला फिर उलझता हुआ हुआ दिख रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी आरएलजेपी ने इसमें पेंच फंसा दिया है। सीट शेयरिंग का हालिया फार्मूला उन्हें मंजूर नहीं है जिसमें चिराग पासवान को पांच जबकि पारस की पार्टी को जीरो सीट दी गयी है। राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा है कि भाजपा ने हमारे साथ अन्याय किया है इसलिए हमारे सारे विकल्प खुले हैं। दिल्ली में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है जिसमें पारस कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। गुरुवार को भी संसदीय बोर्ड की मीटिंग हुई थी जिसमें सभी प्रकार के फैसले लेने के लिए आरएलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को अधिकृत किया गया था।
राजनीति किसी भी पल कोई भी करवट ले सकती है। पिछले कई दिनों से चर्चा चल रही थी कि बिहार एनडीए में सब कुछ सेट हो गया है। बीजेपी के साथ जदयू, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास, पशुपति पारस की पार्टी आरएलजेपी, जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेंद्र कुशवाहा मिलकर बिहार की 40 सीटों पर फतह करने के लिए एक साथ जुट गए हैं। सीट शेयरिंग में बताया गया कि भाजपा को 17, जदयू को 16, लोजपा राम विलास को पांच, हिंदुस्तानी एवं मोर्चा को एक और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ना है। वहीं पशुपति कुमार पारस को राज्यसभा या राज्यपाल का पद और उनके भतीजे समस्तीपुर सांसद प्रिंस पासवान को बिहार सरकार में मंत्री का ऑफर दिया गया। चिराग पासवान ने जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सीट बंटवारा तय हो जाने की खबर पर मोहर लगा दी। लेकिन आरएलजेपी ने बीजेपी के फार्मूले को ना मंजूर कर दिया है।
शुक्रवार को पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक दिल्ली में पारस के आवास पर बुलाई गई। उसके पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने अपनी नाराजगी मीडिया के माध्यम से जाहिर कर दी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने हमारे साथ अन्याय किया है। इसलिए कार्यकर्ताओं का दबाव है जिसे देखते हुए हमारे लिए सारे विकल्प खुले हैं। यदि भारतीय जनता पार्टी अपने फैसले को वापस नहीं लेती है तो आरएलजेपी अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि आरएलजेपी बीजेपी की सबसे विश्वस्त और ईमानदार साथी है। सबसे ईमानदार पार्टनर के साथ एनडीए में बेईमानी की गई है। इससे कार्यकर्ता काफी नाराज हैं और हमारे नेता पर दबाव बना रहे हैं।