NDA के शासनकाल में निकली बहाली, महागठबंधन सरकार बांट रही नियुक्ति पत्र, डेटा से सुशील मोदी दिखा रहे आइना h3>
नील कमल, पटना : 2020 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो पहली कलम से 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का काम करेंगे। हालांकि तब आरजेडी की सरकार नहीं बनी थी और तेजस्वी के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमकर उनकी खिंचाई की थी। चुनाव प्रचार के दौरान ही नीतीश कुमार ने यहां तक कह दिया था कि 10 लाख नौकरी देने का वादा करने वाले तेजस्वी यादव, सैलरी के लिए पैसा कहां से लाएंगे? क्या वो घोटाले के पैसे से सैलरी का वितरण करेंगे? लेकिन आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी के बयान का समर्थन किया। 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही। अब बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसी 10 लाख नौकरी के वादे को लेकर महागठबंधन सरकार और नीतीश कुमार पर सवाल खड़ा किया है।
’25 साल में भी 10 लाख लोगों को नौकरी नहीं’
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने सामूहिक नियुक्तियां करने वाले चारो आयोगों पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष प्रशासनिक पद ही आधे से ज्यादा खाली पड़े हैं। ये कछुआ चाल से काम कर रहे हैं। बिहार सरकार 25 साल में भी 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा पूरा नहीं कर पाएगी। नीतीश कुमार उन युवाओं को नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं, जिनकी बहाली की प्रक्रिया एनडीए सरकार के समय ही पूरी हो चुकी थी। राजद-समर्थित सरकार झूठा श्रेय लूटना चाहती है।
BPSC और विश्वविद्यालय में खाली पड़े हैं पद
सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) के 6 में से 3 सदस्य कार्यरत हैं। एक पद 22 माह से और दो पद 6 माह से खाली है। विश्वविद्यालय सेवा आयोग को सहायक प्रोसेसर के 4,638 पदों पर नियुक्ति करनी थी, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी आयोग बमुश्किल 300 लोगों का चयन कर पाया। पांच साल पहले के पेपर लीक कांड में दोषी पाए गए कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष तीन साल बाद जेल से छूटे। आयोग के सचिव अब भी जेल में हैं। इस चार सदस्यीय आयोग के दो पद खाली हैं। सुशील मोदी ने कहा कि इसके अलावा तकनीकी सेवा आयोग डेढ़ साल से कामचलाऊ अध्यक्ष के सहारे चल रहा है।
सात दलों का दबाव नहीं झेल पा रहे नीतीश कुमार
काफी लंबे समय तक नीतीश कुमार के सुशील मोदी सहयोगी रहे हैं। उन्होंने कहा कि सात दलों के दबाव में महागठबंधन सरकार काम कर रही है। जिसके चलते आयोगों के शीर्ष प्रशासनिक पदों पर बहाली नहीं कर पा रही है। ऐसे में रिक्त पदों पर 4.5 लाख और नए पदों पर 5.5 लाख नियुक्तियां कैसे कर पाएगी? उन्होंने कहा कि उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन फरवरी 2019 में निकला था। मई 2022 तक परीक्षा, रिजल्ट और काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी कर 149 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जा चुका था। इन्हीं लोगों को नियुक्ति पत्र बांट कर दिखावा किया गया। सुशील मोदी ने कहा कि अब नीतीश कुमार इसी तरह 10 हजार सिपाहियों को भी नियुक्ति पत्र बांटने वाले हैं।
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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने सामूहिक नियुक्तियां करने वाले चारो आयोगों पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष प्रशासनिक पद ही आधे से ज्यादा खाली पड़े हैं। ये कछुआ चाल से काम कर रहे हैं। बिहार सरकार 25 साल में भी 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा पूरा नहीं कर पाएगी। नीतीश कुमार उन युवाओं को नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं, जिनकी बहाली की प्रक्रिया एनडीए सरकार के समय ही पूरी हो चुकी थी। राजद-समर्थित सरकार झूठा श्रेय लूटना चाहती है।
BPSC और विश्वविद्यालय में खाली पड़े हैं पद
सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) के 6 में से 3 सदस्य कार्यरत हैं। एक पद 22 माह से और दो पद 6 माह से खाली है। विश्वविद्यालय सेवा आयोग को सहायक प्रोसेसर के 4,638 पदों पर नियुक्ति करनी थी, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी आयोग बमुश्किल 300 लोगों का चयन कर पाया। पांच साल पहले के पेपर लीक कांड में दोषी पाए गए कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष तीन साल बाद जेल से छूटे। आयोग के सचिव अब भी जेल में हैं। इस चार सदस्यीय आयोग के दो पद खाली हैं। सुशील मोदी ने कहा कि इसके अलावा तकनीकी सेवा आयोग डेढ़ साल से कामचलाऊ अध्यक्ष के सहारे चल रहा है।
सात दलों का दबाव नहीं झेल पा रहे नीतीश कुमार
काफी लंबे समय तक नीतीश कुमार के सुशील मोदी सहयोगी रहे हैं। उन्होंने कहा कि सात दलों के दबाव में महागठबंधन सरकार काम कर रही है। जिसके चलते आयोगों के शीर्ष प्रशासनिक पदों पर बहाली नहीं कर पा रही है। ऐसे में रिक्त पदों पर 4.5 लाख और नए पदों पर 5.5 लाख नियुक्तियां कैसे कर पाएगी? उन्होंने कहा कि उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन फरवरी 2019 में निकला था। मई 2022 तक परीक्षा, रिजल्ट और काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी कर 149 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जा चुका था। इन्हीं लोगों को नियुक्ति पत्र बांट कर दिखावा किया गया। सुशील मोदी ने कहा कि अब नीतीश कुमार इसी तरह 10 हजार सिपाहियों को भी नियुक्ति पत्र बांटने वाले हैं।