National Youth Day: अटूट है खेतड़ी और स्वामी विवेकानंद का रिश्ता, दूसरा घर बताते थे खेतड़ी को, देखें वीडियो | National Youth Day, Khetri and Swami Vivekananda | Patrika News
National Youth Day: झुंझुनूं के खेतड़ी नगर और स्वामी विवेकानंद का रिश्ता अटूट है। विवेकानंद नाम और पगड़ी भी खेतड़ी की देन है। खेतड़ी आने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेन्द्र था, खेतड़ी के राजा ने ही उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा था।
जयपुर
Updated: January 12, 2022 12:13:52 pm
National Youth Day: झुंझुनूं के खेतड़ी नगर और स्वामी विवेकानंद का रिश्ता अटूट हैं। विवेकानंद नाम और पगड़ी भी खेतड़ी की देन है। खेतड़ी आने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेन्द्र था, खेतड़ी के राजा ने ही उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा था। वर्ष 1891 से 1897 के बीच स्वामीजी खेतड़ी तीन बार आए। पहली बार 82, दूसरी बार 21 और तीसरी बार 9 दिन तक रुके। स्वामीजी खेतड़ी को अपना दूसरा घर बताते थे। आज स्वामी विवेकानंद जयंती पर हम आपको बताएंगे कि उनका और खेतड़ी का रिश्ता इतना गहरा कैसे हुआ।
खेतड़ी में विशेष संग्रहालय
युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद केवल भारत ही नहीं बल्कि सात समंदर पार विदेशों में भी पूजे जा रहे हैं। स्वामी जी की यादों को चिरस्थाई करने के लिए खेतड़ी में विशेष संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है। उनके विचारों को विश्व के सात बड़े देशों में भी फैलाया जा रहा है। वहां भी उनके अनुयायी बने हुए हैं। खास बात यह है कि जिस सक्रियता से भारत में स्थित मठ व संस्थान कार्य कर रहे हैं उसी सक्रियता से विदेशों में कार्यरत है। महाशक्ति अमरीका, रूस, जर्मनी, जापान व अफ्रीका सहित अनेक विकसित देशों में भी स्वामी के विचारों से शिक्षा ली जा रही है। स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी करने वाले जुल्फीकार के अनुसार वर्तमान समय में विश्व में कुल 205 रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन सस्थाएं कार्यरत हैं। भारत में 155 सस्थाएं कार्य कर रही हैं। विदेशों में 50 सस्थाएं कार्यरत हैं।
अटूट है स्वामी, खेतड़ी और राजा का रिश्ता
-खेतड़ी आने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेन्द्र था, खेतड़ी के राजा ने ही उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा।
-पगड़ी व अंगरखा भी खेतड़ी के राजा की देन है जो बाद में स्वामीजी की पहचान बन गए।
-विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लेने शिकागो जाने के लिए जहाज के टिकट अजीत सिंह ने ही करवाकर दिया था।
-वर्ष 1891 से 1897 के बीच स्वामीजी खेतड़ी तीन बार आए।
-पहली बार 82, दूसरी बार 21 और तीसरी बार 9 दिन रुके।
-स्वामीजी खेतड़ी को अपना दूसरा घर बताते थे।
-स्वामी जी की यादों को चिरस्थाई करने के लिए खेतड़ी में विशेष संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है।
किस देश में कितनी संस्थाएं
देश—संस्थाएं
भारत–155
बांग्लादेश–15
अमरीका–14
रूस–3
कनाडा–1
आस्ट्रेलिया–1
इंग्लैंड–1
अर्जटीना–1
ब्राजील–1
फिजी–1
फ्रांस–1
जर्मनी–1
जापान–1
मलेशिया–1
मॉरिशस–1
नेपाल–1
नीदरलैंड–1
सिंगापुर–1
दक्षिण अफ्रीका–1
श्रीलंका–1
स्विट्जरलैंड–1
जांबिया–1
बांग्लादेश में 15 रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन सेन्टर
बताया जाता है कि विश्व में बांग्लादेश ही एक ऐसा मुस्लिम देश है जहां सर्वाधिक 15 रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन सेन्टर हैं। देश के बागेरहाट, बलियाटी, बरीसाल, चटगांव, कोमिल्ला, राजधानी ढाका, दिनाजपुर, फरीदपुर, हबीगंज, जैसोर, मैमनसिंह, नारायणगंज, रंगपुर,नाजपुर व सिलहट में रामकृष्ण मठ है। यहां हजारों युवा विवेकानंद की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
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National Youth Day: झुंझुनूं के खेतड़ी नगर और स्वामी विवेकानंद का रिश्ता अटूट है। विवेकानंद नाम और पगड़ी भी खेतड़ी की देन है। खेतड़ी आने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेन्द्र था, खेतड़ी के राजा ने ही उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा था।
जयपुर
Updated: January 12, 2022 12:13:52 pm
National Youth Day: झुंझुनूं के खेतड़ी नगर और स्वामी विवेकानंद का रिश्ता अटूट हैं। विवेकानंद नाम और पगड़ी भी खेतड़ी की देन है। खेतड़ी आने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेन्द्र था, खेतड़ी के राजा ने ही उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा था। वर्ष 1891 से 1897 के बीच स्वामीजी खेतड़ी तीन बार आए। पहली बार 82, दूसरी बार 21 और तीसरी बार 9 दिन तक रुके। स्वामीजी खेतड़ी को अपना दूसरा घर बताते थे। आज स्वामी विवेकानंद जयंती पर हम आपको बताएंगे कि उनका और खेतड़ी का रिश्ता इतना गहरा कैसे हुआ।
खेतड़ी में विशेष संग्रहालय
युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद केवल भारत ही नहीं बल्कि सात समंदर पार विदेशों में भी पूजे जा रहे हैं। स्वामी जी की यादों को चिरस्थाई करने के लिए खेतड़ी में विशेष संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है। उनके विचारों को विश्व के सात बड़े देशों में भी फैलाया जा रहा है। वहां भी उनके अनुयायी बने हुए हैं। खास बात यह है कि जिस सक्रियता से भारत में स्थित मठ व संस्थान कार्य कर रहे हैं उसी सक्रियता से विदेशों में कार्यरत है। महाशक्ति अमरीका, रूस, जर्मनी, जापान व अफ्रीका सहित अनेक विकसित देशों में भी स्वामी के विचारों से शिक्षा ली जा रही है। स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी करने वाले जुल्फीकार के अनुसार वर्तमान समय में विश्व में कुल 205 रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन सस्थाएं कार्यरत हैं। भारत में 155 सस्थाएं कार्य कर रही हैं। विदेशों में 50 सस्थाएं कार्यरत हैं।
अटूट है स्वामी, खेतड़ी और राजा का रिश्ता
-खेतड़ी आने से पहले स्वामी विवेकानंद का नाम नरेन्द्र था, खेतड़ी के राजा ने ही उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा।
-पगड़ी व अंगरखा भी खेतड़ी के राजा की देन है जो बाद में स्वामीजी की पहचान बन गए।
-विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लेने शिकागो जाने के लिए जहाज के टिकट अजीत सिंह ने ही करवाकर दिया था।
-वर्ष 1891 से 1897 के बीच स्वामीजी खेतड़ी तीन बार आए।
-पहली बार 82, दूसरी बार 21 और तीसरी बार 9 दिन रुके।
-स्वामीजी खेतड़ी को अपना दूसरा घर बताते थे।
-स्वामी जी की यादों को चिरस्थाई करने के लिए खेतड़ी में विशेष संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है।
किस देश में कितनी संस्थाएं
देश—संस्थाएं
भारत–155
बांग्लादेश–15
अमरीका–14
रूस–3
कनाडा–1
आस्ट्रेलिया–1
इंग्लैंड–1
अर्जटीना–1
ब्राजील–1
फिजी–1
फ्रांस–1
जर्मनी–1
जापान–1
मलेशिया–1
मॉरिशस–1
नेपाल–1
नीदरलैंड–1
सिंगापुर–1
दक्षिण अफ्रीका–1
श्रीलंका–1
स्विट्जरलैंड–1
जांबिया–1
बांग्लादेश में 15 रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन सेन्टर
बताया जाता है कि विश्व में बांग्लादेश ही एक ऐसा मुस्लिम देश है जहां सर्वाधिक 15 रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन सेन्टर हैं। देश के बागेरहाट, बलियाटी, बरीसाल, चटगांव, कोमिल्ला, राजधानी ढाका, दिनाजपुर, फरीदपुर, हबीगंज, जैसोर, मैमनसिंह, नारायणगंज, रंगपुर,नाजपुर व सिलहट में रामकृष्ण मठ है। यहां हजारों युवा विवेकानंद की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
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