नवाबों के शहर में बदला होली का रंग

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बदलते समय के साथ नवाबों के शहर लखनऊ में होली का स्वरूप बदल गया है. लेकिन वहां के लोग रंगों के इस त्यौहार से जुड़ी परंपराओं को और ‘गंगा जमुनी तहजीब’ को जिन्दा रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.

नवाबों और रजवाड़ो के परिवार आम तौर पर पुराने लखनऊ में हैं. वे परंपHoli celebrationररर -राओं में यकीन रखते हैं और त्यौहारों के जरिए एक दूसरे से गले मिलने, गिला शिकवा दूर करने में भी विश्वास करते हैं. बता दें कि लखनऊ में नवाबजादा सैयद मासूम रजा अवध के राज परिवार से हैं. उन्होंने कहा, ‘बच्चे और बूढे सभी हमारे यहां त्यौहार के दिन आते हैं. एक दूसरे को रंग लगाते हैं. हम उन्हें गुझिया खिलाते हैं और सभी मिलकर मस्त होकर नाचते गाते हैं.’

इसी बीच महमूदाबाद इस्टेट के शहजादा आमिर ने कहा कि अब वक्त बदल गया है. त्यौहार भी बदल गये हैं. त्यौहारों में राजनीति का रंग घुल गया है और अब संस्कृति को बचाकर सहेज कर रख पायें, इतना प्रयास ही काफी है. उन्होंने कहा कि कोई किसी भी मज​हब का क्यों ना हो, अवध में होली डूबकर खेली जाती है. हम प्राकृतिक रंगों का उपयोग करते हैं जो टेसू के फूल से तैयार होते हैं. शाम को सांस्कृतिक संध्या होती है, कवि सम्मेलन होते हैं, मुशायरा होता है, गीत संगीत होता है. म​हफिल सजती है.

रजा बताते हैं कि समय बदल रहा है. नयी पीढ़ी के लोग कैरियर की तलाश में यहां से दूर चले गये हैं हालांकि कोशिश होती है कि त्यौहार के मौके पर सब एक साथ हों. अब लखनऊ की होली भी पहले जैसी नहीं रह गयी है.