मुस्लिम महिला ने करी जुमा की नमाज़ की अगुवाई, उलेमाओं को दिक्कत

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मुस्लिम समाज में सरकार दिन-ब दिन कुछ न कुछ बदलाव करने की कोशिश में है. पिछले दिनों तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया. इससे मासूम महिलायों का जीवन बर्बाद होने से थम गया. उम्मीद है कि इस फैसले के बाद महिलाओं के आत्म-सम्मान पर कोई आंच नहीं आएगी. दूसरी तरफ अब मुस्लिम महिलायों ने स्वयं नमाज़ को लेकर एक और ठोस कदम उठाया है.

तोड़ी रूढ़ीवादिता की दीवार

केरल के मलप्पुरम से नमाज़ की अगुवाई को लेकर एक और खबर सामने आ रही है. कुरान सुन्नत सोसायटी की महासचिव जमीता ने पहली बार बरसों से चली आ रही रूढ़ीवादिता की दीवार को तोड़ते हुए जुमा की नमाज की अगुवाई की. इस महिला की उम्र ३४ वर्ष बताई जा रही है. मुस्लिम समाज में मस्जिद में नमाज़ की अगुवाई पुरुष ही करते हैं.

ये है विद्रोह

महिला के इस तरह यूँ अचानक मर्दों की जमात को नमाज़ा पढ़ाने पर विद्रोह देखने को मिल रहा है. जमीता के नमाज़ पढ़ाने के बाद अब कट्टरपंथी उनके विरोध में उतर आए हैं. साथ ही जमीता को उसकी हत्या होने की भी धमकी दी जा रही हैं.

दारुल उलूम वक्फ के मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा है कि जुम्मे की नमाज़ सिर्फ मुसलमान मर्द ही कर सकते हैं. औरतें भले ही जुमे की नमाज़ की अगुवाई कर लें, लेकिन उनकी नमाज़ मानी नही जायेगी. औरत के पीछे मर्द की नमाज़ हरगिज़ अदा नहीं हो सकती, क्योंकि औरत को इमामत करने का हक नहीं है.

औरत-मर्द सब एक समान

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जमीता की अगुवाई में महिलाओं समेत करीब 80 लोगों ने इस नमाज में हिस्सा लिया. अपनी इस अनूठी पहल का पक्ष रखते हुए जमीता ने कहा कि पवित्र कुरान मर्द और औरत में कोई भेदभाव नहीं करता है तथा इस्लाम में महिलाओं के इमाम बनने पर कोई रोक नहीं है.

Namaz -

 

जमीता के इस नए कदम से सोशल मीडिया पर भी बहुत बहस हो रही है. लोग अपनी-अपनी राय दे रहे हैं. लोगों के ट्रोल को लेकर जमीता ने उनका करारा जवाब दिया वो कहती हैं कि  ”मुझे यूट्यूब और फेसबुक के जरिए धमकी मिल रही है. मैं न ही इससे किसी प्रकार के खौफ में हूं और ना ही किसी दबाव में आने जा रही हूं. यदि वो मेरी हत्या करना चाहते हैं तो कर सकते हैं.”