एक बार फिर से इंसानियत का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया देहरादून के इस शख्स ने

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देहरादून : रमजान के इस पाक महीने में रोजा रखना हर मुस्लमान के लिए फर्ज माना जाता है. वहीं धर्म का सहारा लेकर मानवता को बार-बार कलंकित करने वाले और देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाले लोगों के लिए इस शख्स द्वारा किया गया यह अनमोल काम इन सभी लोगों के ऊपर करार जवाब है. जी हां, देहरादून के आरिफ खान ने रमजान के इन दिनों एक व्यक्ति की जान बचा कर मानवता का एक अनोखा उदहारण दिया है. उसने एक हिन्दू व्यक्ति की मदद की है. इस दौरान उसको अपना रोजा भो तोड़ना पड़ा.

यह मामला 19 मई को देहरादून में हुआ था. आरिफ खान को सामाजिक कार्य करना काफी पसंद है. वह इस कार्यो से काफी जुड़े भी रहते है.

muslim man violates his roza for donating blood to a hindu patient 1 news4social -

आरिफ खान ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह बताया कि शनिवार की सुबह उसने जब अपना वाट्सएप खोल. तो ग्रुप में एक मैसेज आया था. उसमें यह लिखा था कि अजय बिजल्वाण देहरादून के निजी अस्पताल में आईसीयू में भर्ती है. उसके पेट में संक्रमण होने के कारण गंभीर रूप से बीमार है. जिसकी वजह से उसकी प्लेटलेट्स 5 हजार से नीचे गिर गई है. लगातार गिरते प्लेटलेट्स के वजह से उसकी जान भी जाने का डर था. उसको दस दिन पहले भी खून चढ़ाया गया था. पर जब तबियत ज्यादा बिखड़ने लगी तो उसे शुक्रवार शाम को मैक्स अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने कहा दिया था की जल्द ही अगर अजय को ब्लड नहीं चढ़ाया गया तो उसकी जान जाने की भी आशंका है. आपको बता दें कि अजय का ब्लड ग्रुप ए पॉजीटिव है. जैसी ही इस बात के बारे में आरिफ ने वाट्सएप मैसेज में पढ़ा कि अजय को खून की सख्‍त जरूरत है. और अगर उन्‍हें यह समय पर नहीं मिले तो उनकी जान भी जा सकती है. उसने फ़ौरन ही अस्पताल में फ़ोन कर ब्लड देने की इच्छा जाहिर की. डॉक्टरों ने आरिफ को बताया की खून देने की बाद आपको अपना रोजा तोड़ना होगा और नाश्ता करना होगा. उसने रोजा की परवाह ना किए बिना अजय को खून दिया और उसकी जान बचाई.

इस अमूल्य काम से देश के उन लोगों को सीख मिलनी चाहिए जो कि धर्म के नाम पर लोगों को अलग करने की कोशिश करते है. इस काम को लेकर सभी वर्ग के लोगों ने आरिफ की खूब प्रशंसा की. आरिफ के इस रक्तदान के काम से सभी लोगों को सीखने की जरूरत है. वहीं आरिफ ने इस मामले में यह कहा कि अगर मेरे रोजा तोड़ने से एक इंसान की जान बचा सकती है तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. इस प्रकार की सेवा का हक़दार हर कोई नहीं हो पता है.

इससे पहले भी देहरादून में पेश हुई इंसानियत की मिसाल

इससे पहले भी एक अन्य मुस्लिम परिवार ने एक हिन्दू लड़के का ना सिर्फ केवल उसका पालन-पोषण किया बल्कि उसकी हिन्दू रीति-रिवाजों से शादी भी करवाई थी. इस मुस्लिम परिवार ने उस लड़के के हिन्दू परम्परा का हमेश से आदर किया. उन्होंने 9 फरवरी, 2018 को मोइनुद्दीन के घर से राकेश की बारात धूमधाम से निकली और हिंदू संस्कारों से शादी संपन्न कराकर बारात वापस आई. ऐसा उदहारण काफी कम देखने को मिलता है कि किसी मुस्लिम परिवार या फिर हिन्दू परिवार ने अपने धर्म के खिलाफ जाकर इंसानियत पेश की हो.