Munaf Patel Birthday: कभी करता था दिहाड़ी मजदूरी, बाद में भारत को जिताया 2011 वर्ल्ड कप

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Munaf Patel Birthday: कभी करता था दिहाड़ी मजदूरी, बाद में भारत को जिताया 2011 वर्ल्ड कप


Munaf Patel Birthday: कभी करता था दिहाड़ी मजदूरी, बाद में भारत को जिताया 2011 वर्ल्ड कप

नई दिल्ली: साल 1983, जब कपिल देव ने अपनी कप्तानी में भारत को पहला वर्ल्ड कप जीताकर इतिहास रचा था, उसी साल भारत के बॉर्डर जिले यानी गुजरात के भरूच में मुनाफ पटेल (Munaf Patel birthday) का जन्म हुआ। बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए मुनाफ पटेल आज 39 साल के हो गए। इखार गांव से निकलकर रोजी-रोटी के लिए दिहाड़ी मजदूरी और फिर भारत को 28 साल बाद वर्ल्ड कप कप दिलाने का यह सफर किसी फिल्मी कहानी सा लगता है।

क्रिकेट से कैसे सामना हुआ?

तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े, मुनाफ को बचपन में ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिससे बड़े सपने देखने में मदद मिले और मिलता भी कैसे क्योंकि एक समय था जब उनके पिता रोजाना 7 रुपये कमाते थे। एकबार बातचीत में उन्होंने बताया था कि, ‘हमारे गांव के कुछ परिवारों के पास टीवी थे और मुझे नेहरू वर्ल्ड सीरीज (1989 में) अब भी याद है, जहां वसीम अकरम ने छक्का लगाकर पाकिस्तान को जीत दिलाई थी।’ अब पटेल को यह पता चल चुका था कि अकरम की तरह, वह तेज गति से बॉलिंग कर सकते हैं।

किरण मोरे की पड़ी नजर
भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर किरण मोरे ने पटेल को नेट्स में गेंदबाजी करते हुए देखा और उन्हें सीधा एमआरएफ पेस फाउंडेशन भेज दिया। चेन्नई में उन्होंने टीए शेखर और डेनिस लिली के अंडर ट्रेनिंग ली। जल्द ही उन्हें भारतीय क्रिकेट में सबसे तेज गेंदबाज कहा जाने लगा। उन्होंने बड़ौदा या गुजरात के बजाय मुंबई के लिए खेलना पसंद किया। सचिन तेंडुलकर ने उन्हें मुंबई के लिए खिलाने में अहम भूमिका निभाई। मुंबई क्रिकेट असोसिएशन में अधिकारियों से बात कर मुनाफ को मुंबई से खेलने के लिए मनाया।

भरूच एक्सप्रेस के नाम से मशहूर
घरेलू क्रिकेट में इस गेंदबाज को भरूच एक्सप्रेस कहा जाता था। तेज रफ्तार और सटीक लाइन और लेंथ इसकी पहचान थी। मुनाफ पटेल को घरेलू क्रिकेट के सबसे तेज गेंदबाज के रूप में पहचान मिल रही थी। वह फर्स्ट-क्लास क्रिकेट खेले भी नहीं थे जब उन्हें यह नाम दे दिया गया था। मुनाफ का कद बहुत लंबा नहीं था, लेकिन शरीर मजबूत था। क्रीज पर पहुंचते हुए वह रफ्तार हासिल कर लेते। शुरुआत में वह सिर्फ तेज रफ्तार पर ध्यान देते थे। इसी ने लोगों का ध्यान खींचा। इसके बाद उन्होंने तरकश में उन्होंने रिवर्स स्विंग और यॉर्कर भी जोड़े।

विश्व विजेता टीम का हिस्सा
2011 में जब प्रवीण कुमार चोट की वजह से बाहर हो गए तो उन्हें वर्ल्ड कप टीम में जगह मिल गई। उन्हें तीसरे सीमर के रूप में खिलाया गया। वह भारत के लिए वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहे। उनसे ज्याद विकेट जहीर खान और युवराज सिंह ने लिए। पटेल ने 11 विकेट अपने नाम किए। बोलिंग कोच एरिक सिमंस ने उन्हें वर्ल्ड कप का छुपा रुस्तम कहा। थी। फाइनल में जरूर विकेट नहीं मिल पाया, लेकिन 9 ओवर्स में महज 41 रन दिए थे।



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