Mulayam Singh Yadav: मौत से भी 8 दिनों तक दंगल लड़ते रहे नेताजी, आखिरी समय तक हार न मानने की जिद

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Mulayam Singh Yadav: मौत से भी 8 दिनों तक दंगल लड़ते रहे नेताजी, आखिरी समय तक हार न मानने की जिद

Mulayam Singh Yadav: मौत से भी 8 दिनों तक दंगल लड़ते रहे नेताजी, आखिरी समय तक हार न मानने की जिद

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति के पहलवान मुलायम सिंह यादव आखिरकार नहीं रहे। सोमवार को उन्होंने आखिरी सांसें ली। सुबह 8.15 बजे के करीब उनके निधन की सूचना आई तो पूरे देश में शोक की लहर दौर गई। समाजवादी आंदोलन को एक नया रूप देने वाले नेताजी को राजनीतिक अखाड़े का भी पहलवान माना जाता था। राजनीतिक मैदान में उन्होंने दांव-पेंच से बड़े-बड़े महारथियों को मात दी थी। जिंदगी के आखिरी दौर में भी वे मौत से लड़ते रहे। जूझते रहे। पिछले रविवार यानी 2 अक्टूबर को अचानक नेताजी की तबीयत काफी खराब होने की खबर आई। इसके बाद से उनकी मौत से जंग शुरू हो गई थी।

सांस लेने में दिक्कत के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनके किडनी फंक्शनिंग में दिक्कत की बात सामने आई। बीच में सपा अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव के बड़े पुत्र अखिलेश यादव ने नेताजी की तबीयत में सुधार का दावा किया। हालांकि, मेदांता अस्पताल प्रशासन की ओर से लगातार उनकी तबीयत नाजुक बने रहने की बात कही गई। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के आईसीयू में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी टूटती सांसों को वापस लाने की कोशिश करती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली।

राजनीति के मैदान के धुरंधर थे मुलायम
मुलायम सिंह यादव राजनीति के मैदान के धुरंधर थे। उन्होंने पहलवानी के मैदान से राजनीति के मैदान तक अपने दांवपेंच से विरोधियों को मात दी। 1989 में जनता दल के नेता के तौर पर पहली बार मुख्यमंत्री बने मुलायम ने चार साल बाद समाजवादी पार्टी का गठन कर उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल दिया। राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रभाव के बीच मुलायम ने क्षेत्रीय राजनीतिक दल की राजनीति की जड़ों को ऐसा जमाया, स्थापित राजनीतिक दल पीछे होते चले गए।

दंगल के मैदान से राजनीति के शिखर तक
1965 में एक दंगल के दौरान अपने से अधिक मजबूत पहलवान को हराने के लिए मुलायम सिंह यादव ने ऐसा दांव लगाया, कार्यक्रम में मौजूद तत्कालीन विधायक मुरीद हो गए थे। शागिर्द बना लिया। मुलायम ने पहलवानी के अखाड़े में हार न मानने का जो सबक सीखा। वह जीवन के आखिरी समय तक उनके साथ चलता रहा। अपने कौशल के कारण यूपी के सीएम से लेकर देश के रक्षा मंत्री तक बने। दंगल उनके जीवन के साथ जुड़ा रहा। एक पहलवान, जिसने अयोध्या मुद्दे के उभार के बाद भी अपने दांव से भाजपा को चित कर दिया था। आज उनके निधन पर हर कोई शोकाकुल है।

मेदांता में पहुंच सबने लिया हालचाल
मुलायम सिंह यादव की राजनीति का ही जलवा था कि मेदांता अस्पताल में जब वे मौत से दंगल लड़ रहे थे, क्या पक्ष, क्या विपक्ष, सभी उन्हें देखने पहुंचे। उनके लंबे जीवन की प्रार्थना की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्‌टर, यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव तक गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल पहुंचे। यहां तक कि अखिलेश के विरोध में लगातार बयान देने वाले जनसत्ता पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी उनकी तबीयत जानने पहुंचे। मुलायम को अपना राजनीतिक गुरु बताया। मुलायम सिंह यादव का पूरा परिवार यानी प्रो. रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव, अखिलेश यादव समेत अन्य सदस्य मेदांता अस्पताल में मौजूद रहे।

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