MP Gajab Hai- विधायकी छिनी पर बंगले नहीं | MLA’s chair will snatched but not bungalow in mp | Patrika News

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MP Gajab Hai- विधायकी छिनी पर बंगले नहीं | MLA’s chair will snatched but not bungalow in mp | Patrika News

MP Gajab Hai- विधायकी छिनी पर बंगले नहीं | MLA’s chair will snatched but not bungalow in mp | Patrika News



भोपाल। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सामने भले ही लोकसभा सदस्यता जाने के बाद सरकारी बंगला खाली करने की स्थिति बनी हो, लेकिन मध्यप्रदेश में विधायकी जाने के बाद भी बंगले खाली कराना आसान नहीं है। प्रदेश में ऐसे भी रसूखदार पूर्व विधायक हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी बंगले खाली नहीं किए। कुछ पूर्व विधायक सरकारी बंगले के अलावा विश्राम गृह में आवंटित कक्ष में भी कब्जा जमाए हुए हैं।

नोटिस का भी नहीं होता असर
पूर्व मंत्री इमरती देवी को जो सरकारी बंगला मिला था, वो विधायकी जाने के बाद भी खाली नहीं किया था। नोटिस पर नोटिस चले, लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर इमरती देवी को लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष बना दिया गया। ऐसी ही स्थिति गिर्राज दंडोतिया के साथ रही।

वहीं सिंधिया समर्थक हारे विधायक मुन्नालाल गोयल सहित अन्य ने विधायक विश्राम गृह में कक्ष खाली नहीं किए हैं। ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा विधायक ही हारने के बाद काबिज हैं। दिग्गज कांग्रेस नेता अजय सिंह भी विधानसभा चुनाव हारने के बाद सरकारी बंगले में हैं। यह बंगला उनके पिता स्व. अर्जुन सिंह के समय से उनके पास है।

मंत्री ऊषा ठाकुर का दो जगह कब्जा
मंत्री ऊषा ठाकुर के पास सरकारी बंगला है, लेकिन पूर्व में विधायक के तौर पर जो कक्ष विधायक विश्राम गृह में कक्ष था, वह भी खाली नहीं किया है। वह कक्ष कांग्रेस विधायक सचिन यादव को मिला है, वे इसे खाली कराने कई चिट्ठी लिख चुके हैं।

 

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भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों से ज्यादा इनके जलवे
बंगलों के मामले में भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज विधायकों से ज्यादा जलवे सपा, बसपा व निर्दलियों के रहे। बसपा के दोनों विधायक रामबाई व संजीव सिंह बंगलों में रहते हैं। वहीं सपा विधायक राजेश शुक्ला को भी बंगला मिला है। इतना ही नहीं 4 निर्दलियों में से 3 प्रदीप जायसवाल, विक्रम सिंह राणा व सुरेंद्र सिंह शेरा के पास भी बंगला है। केवल एक निर्दलीय विधायक केदार डाबर विश्राम गृह के कक्ष में हैं।

ये बंगलों में
भाजपा: कृष्णा गौर, संजय पाठक, रामपाल सिंह, पारस जैन, केपी त्रिपाठी, जालम सिंह पटेल, सुरेंद्र पटवा, गायत्री राजे पंवार, गौरीशंकर बिसेन, रमेश मेंदोला, राहुल सिंह लोधी, करण सिंह वर्मा, नीना वर्मा, अजय विश्नोई, राज्यवर्धन सिंह (राजगढ़), रामपाल सिंह, विजयपाल सिंह, अनिरुद्ध मारू, दिनेश राय मुनमुन व आकाश विजयवर्गीय।

कांग्रेस- जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, दिलीप सिंह गुर्जर, आलोक चतुर्वेदी, कुणाल चैधरी, नीरज दीक्षित, एनपी प्रजापति, प्रवीण पाठक, सचिन बिरला, तरुण भनोत, संजय यादव, संजय शर्मा, विनय सक्सेना, उमंग सिंगार, केपी सिंह, विशाल पटेल व लक्ष्मण सिंह, कांतिलाल भूरिया व आरिफ मसूद।

नोट- बंगलों का संपूर्ण डाटा विधानसभा में विधायकों के स्थायी व स्थानीय पतों की सूचना पर आधारित।

क्या कहते हैं नियम
सरकारी बंगलों के आवंटन में सरकार के पास विशेषाधिकार है। सरकार जिसे चाहे उसे विशेषाधिकार के तहत बंगला दे सकती है। नियमों में विधायकों के लिए 29 बंगलों का विधानसभा अध्यक्षीय पूल होता है। इसमें अध्यक्ष की सिफारिश पर आवंटन होता है। इसके अलावा भी अलग-अलग पूल में बंगले रहते हैं।

कितने बंगले-
– 105 बी श्रेणी के बंगले
– 61 सी श्रेणी के बंगले
– 255 डी श्रेणी के बंगले
– 483 ई श्रेणी के बंगले
– 1981 एफ श्रेणी के बंगले
– 3649 जी श्रेणी के बंगले
– 2159 एच श्रेणी के बंगले
– 2509 आई श्रेणी के बंगले
– 11200 कुल बंगले सम्पदा में

किसे कौन सा बंगला-
एफ-जी व एच-आइ बंगले मुख्य रूप से सरकारी कर्मचारियों, पत्रकारों, गणमान्य नागरिक को दिए जाते हैं। इसमें आरक्षण व वरिष्ठता के हिसाब से आवंटन की व्यवस्था है। वही मंत्रियों व विधायकों को बी, सी, डी व ई टाइप बंगले दिए जाते हैं।

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