MP Elections: विंध्य का ‘पिलर’ गिर गया है… बीजेपी के अंदर इस इलाके में उबाल की बड़ी वजह समझिए, जिससे डरी है पार्टी!

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MP Elections: विंध्य का ‘पिलर’ गिर गया है… बीजेपी के अंदर इस इलाके में उबाल की बड़ी वजह समझिए, जिससे डरी है पार्टी!
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MP Elections: विंध्य का ‘पिलर’ गिर गया है… बीजेपी के अंदर इस इलाके में उबाल की बड़ी वजह समझिए, जिससे डरी है पार्टी!

Muneshwar Kumar|नवभारतटाइम्स.कॉम|Updated: 24 Apr 2023, 9:56 pm

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MP Politics News: एमपी में विंध्य इलाके को लेकर बीजेपी के अंदर की रिपोर्ट सही नहीं है। इसकी बानगी निकाय चुनाव में देखने को मिली है। इसके बाद उस इलाके को साधने में बीजेपी जुट गई है। गृह मंत्री अमित शाह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विंध्य क्षेत्र में पहुंचे थे।

 

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बीजेपी समाचार
भोपाल:एमपी विधानसभा चुनाव 2023 (MP Assembly Elections) को लेकर बीजेपी ने कमर कस ली है। पार्टी ने ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। जमीनी स्तर पर माहौल भांपने के लिए 14 नेताओं की फौज उतारी गई थी। उनकी रिपोर्ट लगभग आ गई है। कथित तौर पर विंध्य इलाके की रिपोर्ट चिंताजनक है। इसके बाद पार्टी नेतृत्व के कान खड़े हो गए हैं। विंध्य को साधने के लिए दिल्ली के नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। दो महीने के अंदर इस इलाके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक दौरा हो चुका है। इसके साथ ही इलाके के विकास के लिए कई बड़ी योजनाओं की घोषणा हो चुकी है। इसमें एयरपोर्ट से लेकर एक्सप्रेस-वे तक शामिल है। विंध्य की रिपोर्ट से पार्टी के अंदर खलबली की स्थिति को सियासी जानकार दूसरे तरीके से देख रहे हैं। उनका मानना है कि बीजेपी अंदर विंध्य इलाके से कोई पिलर नहीं बचा है, जिसकी पूछ परख हो।
अब बीजेपी के अंदर विंध्य से ऐसा कोई नेता नहीं बचा है कि जिसकी भोपाल में धमक हो। एक समय में विंध्य इलाके की भोपाल में तूती बोलती थी। विंध्य इलाके से आने वाले वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल कहते हैं कि विंध्य की नाराजगी है कि उसका पिलर गिर गया है। इसका मतलब है कि भोपाल में उस क्षेत्र से आने वाला कोई मजबूत नेता नहीं बचा है, जिसकी सुनी जाए। बीजेपी की सरकार में राजेंद्र शुक्ल की चलती थी। उस इलाके के बड़े नेता माने जाते थे। पार्टी के अंदर शिवराज के बाद उनके नाम की चर्चा होती थी। ब्राह्मण समाज से आते थे। 2020 में चौथी बार जब सरकार बनी तो वह भी साफ हो गए। एक समय विंध्य के नेताओं का कब्जा भोपाल पर होता था। अर्जुन सिंह, गोविंद नारायण सिंह से लेकर श्रीनिवास तिवारी तक ये नाम हैं, जिनकी भोपाल में चलती थी।

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उन्होंने कहा कि विंध्य क्षेत्र का इतिहास रहा है कि आजादी से लेकर अभी तक कोई न कोई कद्दावर नेता उस इलाके से रहा है। विंध्य विकास भले ही न हो लेकिन भोपाल में उनका दबदबा जरूर रहता था। अब वो नहीं है। इसे लेकर भी उस इलाके के लोगों में नाराजगी है।

विंध्य से मिलीं सबसे ज्यादा सीटें

2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत के करीब नहीं पहुंच पाई थी। विंध्य क्षेत्र में विधानसभा की 30 सीटें हैं, उनमें 24 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। 2020 में चौथी बार पार्टी जब सरकार में लौटी तो विंध्य क्षेत्र के लोगों को उम्मीदें ज्यादा थीं। ऐसा कुछ हुआ नहीं। विरोध को शांत करने के लिए गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया गया।

संगठन में खास इलाके के लोगों का दबदबा

राजनीति विश्लेषक जयराम शुक्ल ने कहा कि अभी बीजेपी में एक खास इलाके के लोगों का दबदबा है। विंध्य से एमपी की राजनीति में कोई आइकॉनिक नेता नहीं है। अभी अगर आप एमपी में बीजेपी के बड़े चेहरों की बात करेंगे तो सभी ग्वालियर-चंबल इलाके से हैं। इसमें नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरोत्तम मिश्रा और वीडी शर्मा तक हैं। इसकी वजह से भी लोगों में नाराजगी है।

निकाय और उपचुनावों में सिखाया सबक

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वर्तमान स्थिति की वजह से विंध्य इलाके के लोगों में नाराजगी है। इसी का नतीजा रहा कि रीवा और सिंगरौली में बीजेपी मेयर चुनाव हार गई। रैगांव विधानसभा उपचुनाव हार गई। कई नगरपालिकाओं में चुनाव हार गई। राजनितिक विश्लेषक जयराम शुक्ल कहते हैं कि इसके बाद से बीजेपी के अंदर खलबली है। अब इस इलाके लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं हो रही हैं।

एक्सप्रेसवे से लेकर एयरपोर्ट तक

चुनाव करीब आते ही पूरी पार्टी विंध्य में सक्रिय हो गई है। निकाय चुनाव के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान के इस इलाके में आधे दर्जन से अधिक दौरे हो चुके हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत तमाम केंद्रीय मंत्री इस इलाके में आ रहे हैं। रीवा में एयरपोर्ट, सिंगरौली तक एक्सप्रेसवे समेत कई घोषणाएं हुई हैं।

रोजगार का अभाव

राजनीतिक विश्लेषक जयराम शुक्ल ने कहा कि इस इलाके में इंडस्ट्री है नहीं। इस इलाके के लोग सरकारी नौकरियों में ज्यादा जाते थे। व्यापमं की परीक्षाएं हो नहीं रही हैं। एमपीपीएससी ने भी 2018 के बाद से रिजल्ट नहीं दिया है। इस बात से युवा वर्ग नाराज है। एमपी के अन्य हिस्सों की तुलना में विंध्य स्वास्थय और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। वहीं, ग्वालियर, इंदौर और भोपाल की स्थिति काफी बेहतर है। ये सारी चीजें नई पीढ़ी को खटकती है। इस बार सरकार के खिलाफ युवाओं और छात्रों ने वातावरण बनाया है।

सीनियर नेता हैं दरकिनार

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उन्होंने कहा कि पूरे बीजेपी में अभी एक चीज जो देखने को मिल रही है, वो यह है कि सीनियर नेता लगातार साइड हो रहे हैं। विंध्य इलाके में भी यही स्थिति है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में आपसी तालमेल नहीं है। उनके ऊपर नए चेहरों को लाया गया। यह भी एक बड़ी वजह है कि बड़े नेता हाशिए पर जा रहे हैं। उनलोगों ने खुद को सीमित कर लिया है, जिसकी वजह से पार्टी को नुकसान हो रहा है।

डरी हुई है पार्टी!

अभी जो विंध्य में सियासी समीकरण हैं, उससे बीजेपी डरी हुई है। पार्टी के दिग्गज नेता इन चीजों को भांपते हुए डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी चंद सीटों की वजह से सत्ता से दूर रह गई थी। ऐसे में कोशिश है कि सारी चीजों को साधकर 2018 वाले प्रदर्शन को विंध्य में फिर दोहरा जाए। उस इलाके में आम आदमी पार्टी की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। बीजेपी इसी बात को लेकर ज्यादा चिंतित है।
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