MP Civic Bodies Elections : बीजेपी-कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की परिक्रमा बढ़ी, पार्टियों की चुप्पी बढ़ा रही बेचैनी
भोपाल : मध्यप्रदेश (madhya pradesh urban bodies elections) में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव के लिए अभी पर्चे भरने का दौर शुरू नहीं हुआ है, मगर उम्मीदवारी के लिए जोर आजमाइश जारी है। दावेदारों के जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी तक के दौरे हो रहे हैं और नेताओं के सामने अपनी दावेदारी भी पेश कर रहे हैं। राज्य में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, यह चुनाव गैर दलीय आधार पर हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नगरीय निकाय के चुनाव दलीय आधार पर होना है और इसके लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया 11 जून से शुरू होगी।
मतदान दो चरण में छह और 13 जुलाई को प्रस्तावित है। राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव में महापौर का निर्वाचन प्रत्यक्ष तौर पर मतदाता सीधे करेंगे, वहीं नगर पालिका अध्यक्ष नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षद के जरिए होगा। राज्य में 16 नगर निगम हैं और इन स्थानों से कई बड़े चेहरे मैदान में उतरने की तैयारी में है। राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी की तैयारी जोरों पर हैं और वे उम्मीदवारों के चयन के मंथन में लगे हुए हैं कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन के लिए जिले स्तर तक पर समिति बना दी है।
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन जिले स्तर पर ही किया जाएगा। बीजेपी ने राज्य स्तरीय चुनाव समिति बनाई है। अभी जिला स्तर और संभागीय स्तर की समिति का घोषित होना बाकी है। दोनों ही दल अपने-अपने स्तर पर उम्मीदवारों के चयन में लगे हुए हैं। राज्य में नगरीय निकाय चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यही कारण है कि दोनों ही दल फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं।
अभी तक किसी भी दल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यही कारण है कि पार्षद से लेकर महापौर तक का चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग भोपाल के चक्कर लगाए जा रहे हैं। इन दिनों राजधानी भोपाल में सियासी गहमागहमी काफी तेज है मगर कोई भी दल खुलकर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है । कांग्रेस ने नौ जून को जरूर भोपाल में बैठक बुलाई है जिसमें आगामी रणनीति पर विचार होगा। बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक हो चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषक चैतन्य भट्ट का मानना है कि कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलों में समितियों का बनना, बैठकें करना महज औपचारिकता है। वास्तव में उम्मीदवारों के नामों का फैसला तो भोपाल में ही होगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि महापौर के लिए तो दोनों ही दल नाम तय कर चुके हं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक तो महापौर के पद के उम्मीदवार भोपाल में ही तय होते रहे है।
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मतदान दो चरण में छह और 13 जुलाई को प्रस्तावित है। राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव में महापौर का निर्वाचन प्रत्यक्ष तौर पर मतदाता सीधे करेंगे, वहीं नगर पालिका अध्यक्ष नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षद के जरिए होगा। राज्य में 16 नगर निगम हैं और इन स्थानों से कई बड़े चेहरे मैदान में उतरने की तैयारी में है। राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी की तैयारी जोरों पर हैं और वे उम्मीदवारों के चयन के मंथन में लगे हुए हैं कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन के लिए जिले स्तर तक पर समिति बना दी है।
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन जिले स्तर पर ही किया जाएगा। बीजेपी ने राज्य स्तरीय चुनाव समिति बनाई है। अभी जिला स्तर और संभागीय स्तर की समिति का घोषित होना बाकी है। दोनों ही दल अपने-अपने स्तर पर उम्मीदवारों के चयन में लगे हुए हैं। राज्य में नगरीय निकाय चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यही कारण है कि दोनों ही दल फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं।
अभी तक किसी भी दल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यही कारण है कि पार्षद से लेकर महापौर तक का चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग भोपाल के चक्कर लगाए जा रहे हैं। इन दिनों राजधानी भोपाल में सियासी गहमागहमी काफी तेज है मगर कोई भी दल खुलकर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है । कांग्रेस ने नौ जून को जरूर भोपाल में बैठक बुलाई है जिसमें आगामी रणनीति पर विचार होगा। बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक हो चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषक चैतन्य भट्ट का मानना है कि कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलों में समितियों का बनना, बैठकें करना महज औपचारिकता है। वास्तव में उम्मीदवारों के नामों का फैसला तो भोपाल में ही होगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि महापौर के लिए तो दोनों ही दल नाम तय कर चुके हं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक तो महापौर के पद के उम्मीदवार भोपाल में ही तय होते रहे है।