MP में शामिल होना चाहते हैं महाराष्‍ट्र के 150 से ज्‍यादा गांव, ग्रामीणों ने बॉर्डर पर किया प्रदर्शन

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MP में शामिल होना चाहते हैं महाराष्‍ट्र के 150 से ज्‍यादा गांव, ग्रामीणों ने बॉर्डर पर किया प्रदर्शन

MP में शामिल होना चाहते हैं महाराष्‍ट्र के 150 से ज्‍यादा गांव, ग्रामीणों ने बॉर्डर पर किया प्रदर्शन


बुरहानपुर: महाराष्ट्र के करीब 154 गांव के लोगों ने मध्‍य प्रदेश में शामिल करने की मांग की है। ग्रामीणों ने इसको लेकर महाराष्‍ट्र-मध्‍य प्रदेश की सीमा पर जमकर प्रदर्शन किया। लोगों ने राष्‍ट्रपति से मांग की है कि उन्‍हें मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस कारण उन्‍हें मध्‍य प्रदेश में शामिल किया जाए। लोग अब मध्य प्रदेश में रहने की मांग कर रहे है।

बता दें कि इसे शिवराज सरकार और भाजपा की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। मध्य प्रदेश के विकास कार्यों और बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर को देखते हुए लोग इस शहर की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे है। महाराष्‍ट्र के 154 गांव MP में शामिल होना चाहते हैं। बुरहानपुर महाराष्ट्र के अमरावती जिले की तहसील धारणी के रहवासियों ने बॉर्डर पर खड़े रहकर विरोध प्रदर्शन किया और अपने गांव धारणी को मध्यप्रदेश में शामिल करने की मांग की।

दरअसल, बुरहानपुर खंडवा और बैतूल जिले से यह गांव जुड़ा हुआ है जिस कारण इस गांव की स्थिति की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है ग्रामीणों का विरोध है कि कई सालों से रोड नहीं बनाए गए हैं। लोगों के आवागमन करने के संसाधन व्यवस्थित नहीं है, और कई सालों से गांव का विकास नहीं हुआ है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की बॉर्डर पर बसे धारणी में 154 गांव है यहां करीब 150 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है इसके करीब 70 गांव मध्य प्रदेश से लगे हैं धारणी से अमरावती की दूरी करीब 190 किलोमीटर है और यहां अति दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यह सुख सुविधाओं से वंचित है धारणी से अमरावती तक जाने के लिए रास्ता चलने के लायक नहीं है।

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मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है गांव

धारणी गांव जो कि तहसील तालुका कहलाता है स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से यहां पर कोई व्यवस्था नहीं है यहां से अगर बीमार मरीज को अमरावती भेजा जाता है तो कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं ऐसे में लोगों को यहां से मरीजों को गंभीर अवस्था में बैतूल खंडवा *बुरहानपुर जाना पड़ता है।

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सड़कों की परेशान मुख्य

ग्रामीणों का कहना है धारणी से इन जिलों की दूरी करीब 40 से 50 किलोमीटर है बावजूद इसके यह अभी तक अतीक दुर्गम क्षेत्रों में शामिल है और यही कारण रहा है कि यहां पर सरकारी योजनाएं नहीं पहुंच पाती करीब 30 साल से यहां क्षेत्र कुपोषण मुख्य नहीं हो पाया है लोगों का कहना है कि व्यवस्थित और बेहतर सड़क हमने आज तक अपने क्षेत्र में देखी नहीं है।

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