Morena News: जमीन के लिए विवाद, समझौता, धोखा, बदला…और बिछ गईं 6 लाशें, मुरैना हत्याकांड की पूरी कहानी जानिए h3>
मुरैनाः मध्य प्रदेश के मुरैना जिले का लेपा गांव। इसी गांव में रहता है धीर सिंह और गजेंद्र सिंह का परिवार। दोनों परिवारों के बीच की रंजिश ने एक बार फिर छह जानें ले लीं। इस हत्याकांड में वो सब कुछ है जो फिल्मी कहानियों में होता है। जमीन के लिए विवाद, दुश्मनी, समझौता, धोखा और बदला। मुरैना के प्रभारी एसपी रायसिंह नरवरिया ने जो कहानी बताई, वह यह समझने के लिए काफी है कि डाकुओं के लिए कुख्यात रहे चंबल क्षेत्र में अब भी अंतिम फैसला बंदूक से ही होता है।
गजेंद्र सिंह और धीर सिंह के परिवारों के बीच दुश्मनी की शुरुआत साल 2013 में हुई थी। जमीन के एक टुकड़े पर कूड़ा डालने को लेकर दोनों परिवारों के बीच विवाद हुआ था। यह इतना गंभीर हो गया कि गजेंद्र सिंह के लोगों ने धीर सिंह के परिवार के दो लोगों की हत्या कर दी।
यह मामला अंबाह कोर्ट में पहुंचा। जैसा कि जमीन विवाद में होता है, अदालत में तारीख पर तारीख मिलती रही और मामला लंबा खिंचता रहा। गजेंद्र सिंह का परिवार गांव छोड़कर दूसरी जगह रहने चला गया। इधर, धीर सिंह का परिवार बदले की आग में सुलगता रहा।
मामला लंबा खिंचता देख समाज के लोगों ने समझौते की पहल की। समझौते में यह तय हुआ कि गजेंद्र सिंह का परिवार गांव में आकर रह सकता है। धीर सिंह के परिवार ने कोर्ट में यह बयान दिया। गजेंद्र सिंह के घर के लोग खुश थे कि वे अब अपने घर लौट सकेंगे। समझौते में पुलिस भी शामिल थी। इसलिए गांव के लोग निश्चिंत थे कि अब कोई अशांति नहीं होगी।
इधर, बदले की आग में जल रहे धीर सिंह के पक्ष के लोगों के मन में कुछ और ही चल रहा था। वे केवल इस प्रतीक्षा में थे कि गजेंद्र सिंह का परिवार गांव में लौटे। वे अपने इरादों को अंजाम देने की तैयारी कर चुके थे। शुक्रवार सुबह गजेंद्र सिंह पक्ष के लोग जैसे ही गांव लौटे, उन्होंने समय गंवाए बिना इसे अमलीजामा पहनाने का फैसला कर लिया।
धीर सिंह के परिवार ने दरअसल धोखा किया। गजेंद्र सिंह का परिवार जैसे ही गांव में आया, उन्होंने उन पर हमला कर दिया। शुरुआत लाठी-डंडों से हुई। धीर सिंह के परिवार के लोगों ने फिर राइफलें निकाल लीं। श्यामू और अजीत ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गजेंद्र सिंह के परिवार का जो भी सामने दिखा, उसे ढेर कर दिया। दुश्मनी की आग ऐसी थी कि उन्होंने महिलाओं को भी नहीं बख्शा। जमीन पर घायल पड़े लोगों को भी गोली मार दी।
कुछ पल के अंदर ही लेपा गांव में छह लाशें बिछ गईं। मरने वालों में तीन महिलाएं और तीन पुरुष हैं। पूरे गांव में अफरा तफरी मच गई। फायरिंग को देखकर गांव वाले बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके। इधर पुलिस को खबर मिली तो घटनास्थल के लिए पुलिसबल को रवाना किया गया। उनके गांव में पहुंचने तक चारों ओर मातम पसर चुका था। चंबल क्षेत्र का इतिहास ऐसा है कि हत्याकांड को इस कहानी का अंतिम अध्याय मान लेना जल्दबाजी होगी। दुश्मनी की यह आग फिर कब खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाए, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।
उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News
गजेंद्र सिंह और धीर सिंह के परिवारों के बीच दुश्मनी की शुरुआत साल 2013 में हुई थी। जमीन के एक टुकड़े पर कूड़ा डालने को लेकर दोनों परिवारों के बीच विवाद हुआ था। यह इतना गंभीर हो गया कि गजेंद्र सिंह के लोगों ने धीर सिंह के परिवार के दो लोगों की हत्या कर दी।
यह मामला अंबाह कोर्ट में पहुंचा। जैसा कि जमीन विवाद में होता है, अदालत में तारीख पर तारीख मिलती रही और मामला लंबा खिंचता रहा। गजेंद्र सिंह का परिवार गांव छोड़कर दूसरी जगह रहने चला गया। इधर, धीर सिंह का परिवार बदले की आग में सुलगता रहा।
मामला लंबा खिंचता देख समाज के लोगों ने समझौते की पहल की। समझौते में यह तय हुआ कि गजेंद्र सिंह का परिवार गांव में आकर रह सकता है। धीर सिंह के परिवार ने कोर्ट में यह बयान दिया। गजेंद्र सिंह के घर के लोग खुश थे कि वे अब अपने घर लौट सकेंगे। समझौते में पुलिस भी शामिल थी। इसलिए गांव के लोग निश्चिंत थे कि अब कोई अशांति नहीं होगी।
इधर, बदले की आग में जल रहे धीर सिंह के पक्ष के लोगों के मन में कुछ और ही चल रहा था। वे केवल इस प्रतीक्षा में थे कि गजेंद्र सिंह का परिवार गांव में लौटे। वे अपने इरादों को अंजाम देने की तैयारी कर चुके थे। शुक्रवार सुबह गजेंद्र सिंह पक्ष के लोग जैसे ही गांव लौटे, उन्होंने समय गंवाए बिना इसे अमलीजामा पहनाने का फैसला कर लिया।
धीर सिंह के परिवार ने दरअसल धोखा किया। गजेंद्र सिंह का परिवार जैसे ही गांव में आया, उन्होंने उन पर हमला कर दिया। शुरुआत लाठी-डंडों से हुई। धीर सिंह के परिवार के लोगों ने फिर राइफलें निकाल लीं। श्यामू और अजीत ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। गजेंद्र सिंह के परिवार का जो भी सामने दिखा, उसे ढेर कर दिया। दुश्मनी की आग ऐसी थी कि उन्होंने महिलाओं को भी नहीं बख्शा। जमीन पर घायल पड़े लोगों को भी गोली मार दी।
कुछ पल के अंदर ही लेपा गांव में छह लाशें बिछ गईं। मरने वालों में तीन महिलाएं और तीन पुरुष हैं। पूरे गांव में अफरा तफरी मच गई। फायरिंग को देखकर गांव वाले बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके। इधर पुलिस को खबर मिली तो घटनास्थल के लिए पुलिसबल को रवाना किया गया। उनके गांव में पहुंचने तक चारों ओर मातम पसर चुका था। चंबल क्षेत्र का इतिहास ऐसा है कि हत्याकांड को इस कहानी का अंतिम अध्याय मान लेना जल्दबाजी होगी। दुश्मनी की यह आग फिर कब खूनी संघर्ष में तब्दील हो जाए, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।