Monsoon Update: राजस्थान समेत कई राज्यों भारी बारिश का अलर्ट, दक्षिण पश्चिम मानसून की जबर्दस्त सक्रियता | Monsoon Update: Heavy rain alert in many states including Rajasthan | Patrika News

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Monsoon Update: राजस्थान समेत कई राज्यों भारी बारिश का अलर्ट, दक्षिण पश्चिम मानसून की जबर्दस्त सक्रियता | Monsoon Update: Heavy rain alert in many states including Rajasthan | Patrika News

Monsoon Update: राजस्थान समेत कई राज्यों भारी बारिश का अलर्ट, दक्षिण पश्चिम मानसून की जबर्दस्त सक्रियता | Monsoon Update: Heavy rain alert in many states including Rajasthan | Patrika News

आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से 23 जुलाई तक औसत वर्षा 247.5 मिमी दर्ज की गई, जबकि सामान्य वर्षा 161.9 मिमी थी। इस दौरान पूर्वी राजस्थान में 318.4 मिमी बारिश हुई, जो 224.1 मिमी के औसत से 42 प्रतिशत अधिक है। वहीं, पश्चिमी राजस्थान में बारिश औसत 112.4 मिमी से 70 प्रतिशत (190.9 मिमी) अधिक दर्ज की गई है। इस बीच, 25 जिलों में औसत वर्षा सामान्य से अधिक (औसत से 20 प्रतिशत या अधिक) रही है। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य के पश्चिमी हिस्सों के जिलों में 190.9 मिमी बारिश हुई, जो इस दौरान 112.4 मिमी की सामान्य बारिश से 70 प्रतिशत अधिक है। थार मरुस्थल राज्य के पश्चिमी जिलों जैसे बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चुरू, नागौर और गंगानगर में फैला हुआ है, जहाँ आमतौर पर कम वर्षा होती है।

राजस्थान के इस जिले में औसत से 100 अधिक बारिश हालांकि, अब तक गंगानगर जिले में 239.6 मिमी बारिश हो चुकी है, जो कि 92.6 मिमी की औसत बारिश से 159 प्रतिशत अधिक है। यह राज्य का पहला जिला है जहां औसत से 100 फीसदी या अधिक बारिश हुई है। इसके अलावा बीकानेर में औसत से 148 फीसदी, जैसलमेर में 126 फीसदी और चुरू में 122 फीसदी अधिक बारिश हुई। पश्चिमी राजस्थान में केवल एक जिले पाली में आठ प्रतिशत कम बारिश हुई। पाली राज्य का एकमात्र जिला है जहां इस बार औसत से कम बारिश हुई है।

पूरे राज्य में अच्छी बारिश मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के डायरेक्टर राधेश्याम शर्मा ने कहा कि पूरे राज्य में ही बारिश अच्छी और औसत है, लेकिन पश्चिमी राजस्थान में यह अधिक दिखाई दे रहा है क्योंकि आमतौर पर कम बादल छाए रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार पश्चिमी राजस्थान में औसत से अधिक बारिश का एक कारण यह भी है कि प्री-मानसून में अच्छी बारिश हुई और मानसून भी सामान्य समय से चार-पांच दिन पहले पहुंच गया।

दक्षिण से लेकर उत्तर तक बारिश का दौर मौसम विभाग के अनुसार तमिलनाडु, केरल,उत्तर प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक, लक्षद्वीप के शेष हिस्सों और दिल्ली एनसीआर में हल्की बारिश हो सकती है। जबकि सौराष्ट्र और कच्छ में मध्यम से भारी बारिश के आसार हैं। दक्षिण राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों, ओडिशा और विदर्भ, कोंकण और गोवा में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान है। पूर्वोत्तर भारत में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक या दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। जबकि तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और उत्तराखंड में एक या दो स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

आंध्र प्रदेश में गोदावरी खतरे के निशान से नीचे
यहां करीब एक पखवाड़े बाद गोदावरी नदी में 10 लाख क्यूसेक पानी से नीचे आने के बाद सभी खतरे के संकेत वापस ले लिए गए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी एक स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि रविवार शाम को राजामहेंद्रवरम के पास डोवालेस्वरम में सर आर्थर कॉटन बैराज में तत्काल प्रवाह और बहिर्वाह 9.65 लाख क्यूसेक था। नतीजतन, जो पहला चेतावनी संकेत था, उसे भी वापस ले लिया गया। 16 जुलाई को बाढ़ अधिकतम 25.80 लाख क्यूसेक तक पहुंच गई, जिससे आंध्र प्रदेश के छह जिलों में 3.60 लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई, जिसमें अल्लूरी सीताराम राजू, कोनसीमा और एलुरु को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। सरकार ने पिछले एक सप्ताह में प्रभावित जिलों में भारी बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं में चार लोगों की मौत की सूचना दी है। सरकार को प्रभावित बस्तियों से करीब दो लाख लोगों को निकालना पड़ा और उनमें से 1.43 लाख से अधिक लोगों को राहत शिविरों में रखना पड़ा। एसडीएमए के आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ में 3,403 हेक्टेयर में कृषि फसलों और 8,627 हेक्टेयर में बागवानी फसलों को नुकसान पहुंचा है। करीब एक हजार किलोमीटर लंबी सड़क क्षतिग्रस्त हो गई।

कोलकाता में हल्की बारिश की संभावना
कोलकाता और उसके उपनगरों में रविवार को दिन भर रुक-रुक कर हल्की बारिश हुई। मौसम विभाग ने सोमवार को भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान जताया है। मौसम विज्ञानी ने सोमवार को आसमान में बादल छाए रहने के साथ एक या दो बार बारिश होने की संभावना जताई है। पूर्वी और पश्चिम मेदिनीपुर में भारी बारिश का अनुमान जताया है, जबकि दक्षिण बंगाल के अन्य जिलों में एक या दो स्थानों पर गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। उप-हिमालयी जिलों दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार और अलीपुरद्वार में सोमवार तक भारी बारिश की संभावना जताई है।

दिल्ली में मौसम का हाल
राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में रविवार को बारिश हुई और अधिकतम तापमान 35.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। न्यूनतम तापमान 27.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शहर के पश्चिमी हिस्सों में पश्चिम विहार और पूर्व में लक्ष्मी नगर में बारिश दर्ज की गई। शाहदरा और कुछ अन्य स्थानों पर बूंदाबांदी हुई। सापेक्षिक आर्द्रता 89 प्रतिशत से 61 प्रतिशत के बीच रही। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, शहर में सोमवार को आमतौर पर बादल छाए रहने के साथ गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 36 डिग्री सेल्सियस और 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।

इन राज्यों में हुई बारिश
अगर बीते दिन की बात करें, तो ओडिशा, झारखंड,जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब के कुछ हिस्सों, शेष पूर्वोत्तर भारत, छत्तीसगढ़, तेलंगाना के कुछ हिस्सों, तटीय कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऊपर एक या दो स्थानों पर हल्की से मध्यम दर्ज की गई है। आंतरिक कर्नाटक,पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिमी राजस्थान, सौराष्ट्र और कच्छ, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के शेष हिस्सों में हल्की बारिश हुई। गुजरात क्षेत्र, दक्षिण राजस्थान, मध्य प्रदेश के कई हिस्सों, गंगीय पश्चिम बंगाल और मेघालय असम, और छत्तीसगढ़ में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश होती रही। जबकि छत्तीसगढ़ और मध्य महाराष्ट्र में हल्की से मध्यम बारिश एक-दो स्थानों पर भारी बारिश रिकॉर्ड की गई।

मौसम में बदलाव की ये हैं वजहें
स्काईमेट वेदर(skymet weather) के अनुसार, मानसून ट्रफ जैसलमेर, कोटा, जबलपुर, पेंड्रा रोड, झारसुगुडा, चांदबली से होते हुए दक्षिण पूर्व की ओर बंगाल की पूर्व मध्य खाड़ी की ओर बढ़ रही है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के आसपास के हिस्सों पर बना हुआ है। यह समुद्र तल से 7.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक है।

एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और इससे सटे कच्छ और दक्षिण पाकिस्तान के ऊपर बना हुआ है। इसके प्रभाव से अगले 24 से 48 घंटों में उसी क्षेत्र में कम दबाव का क्षेत्र विकसित हो सकता है। उत्तर दक्षिण ट्रफ रेखा दक्षिण आंतरिक कर्नाटक से निचले स्तरों पर कोमोरिन क्षेत्र तक फैली हुई है।



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