Monkeypox Alert! देश में मंकीपॉक्‍स की एंट्री पर दिल्‍ली अलर्ट, किसी में लक्षण दिखे तो LNJP में चलेगा इलाज

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Monkeypox Alert! देश में मंकीपॉक्‍स की एंट्री पर दिल्‍ली अलर्ट, किसी में लक्षण दिखे तो LNJP में चलेगा इलाज

Monkeypox Alert! देश में मंकीपॉक्‍स की एंट्री पर दिल्‍ली अलर्ट, किसी में लक्षण दिखे तो LNJP में चलेगा इलाज

दुर्गेश नंदन झा, नई दिल्‍ली: भारत में मंकीपॉक्‍स का पहला मामला सामने आने पर दिल्‍ली सरकार अलर्ट हो गई है। लोकनायक अस्‍पताल को मंकीपॉक्‍स का नोडल सेंटर बनाा गया है। राजधानी में मंकीपॉक्‍स का संदिग्‍ध केस आने पर उसे यहीं आइसोलेट किया जाएगा। अभी तक दिल्‍ली में कोई केस नहीं है, मगर सूत्रों ने कहा कि सरकार ने अस्‍पताल को तैयार रहने के लिए कहा है। LNJP अस्‍पताल के मेडिकल डायरेक्‍टर डॉ. सुरेश कुमार ने इस कदम की पुष्टि की। उन्‍होंने बताया कि ‘हम अपने डॉक्‍टर्स और स्‍टाफ को मंकीपॉक्‍स के मामलों के आइसोलेशन, ट्रेसिंग और मैनेजमेंट से जुड़ी सारी साइंटिफिक नॉलेज और स्‍टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) दे रहे हैं।’ देश में मंकीपॉक्‍स का पहला मामला केरल के कोल्‍लम जिले में मिला है। यहां UAE से लौटकर आया एक 35 वर्षीय व्‍यक्ति संक्रमित पाया गया।

मंकीपॉक्‍स एक एक्‍यूट वायरल बीमारी है जिसके लक्षण स्‍मॉलपॉक्‍स से मिलते-जुलते हैं। शुरुआती लक्षणों में बुखार, तगड़ा सिरदर्द, कमर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और त्‍वचा की ऊपर परत उखड़ना शामिल हैं। डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि अभी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और लक्षण के आधार पर ट्रीटमेंट होता है।

मंकीपॉक्‍स कोविड-19 जितना संक्रामक नहीं है। बीमारी से मौत भी दुर्लभ है। हालांकि चिंता इस वजह से है क्‍योंकि यह बीमारी पहली बार नए इलाकों में फैल रही है।

डॉ. कबीर सरदाना, प्रफेसर (डर्मैटोलॉजी), राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल

‘वक्‍त रहते डिटेक्‍शन और आइसोलेशन जरूरी’-
सरदाना ने कहा कि जिन देशों में यह बीमारी एनडेमिक थी, वहां से आने वालों की स्‍क्रीनिंग होनी चाहिए। उन्‍होंने सुझाव दिया कि सरकार को एयरपोर्ट्स पर मंकीपॉक्‍स के मरीजों की ग्राफिक तस्‍वीरें लगानी चाहिए ताकि वे खुद से जानकारी दे सकें। RMC के डॉक्‍टर ने कहा कि कन्‍फर्म मामलों का समय रहते पता लगना और आइसोलेशन बेहद जरूरी है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि मंकीपॉक्‍स के एक मामले को भी आउटब्रेक माना जाएगा। मंकीपॉक्‍स के मामले की पुष्टि PCR या सीक्‍वेंसिंग के जरिए होती है। गाइडलाइन के अनुसार, कन्‍फर्म मामले की लक्षण दिखने के बादा कम से कम 21 तक दिन तक निगरानी की जानी चाहिए।


मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
मंकीपॉक्स जानवर के जरिए इंसान में फैल सकता है और इसके बाद इंसान से इंसान में संक्रमण हो सकता है। इसका इनक्यूबेशन पीरियड 5 से 21 दिन का है। यह अपने आप ठीक हो जाता है। दो प्रकार के स्ट्रेन हैं। एक वेस्ट अफ्रीका और दूसरा सेंट्रल अफ्रीका का। इसमें से सेंट्रल अफ्रीका का स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक है। इंसान में यह संक्रमित मरीज के ड्रॉपलेट्स, उसके पस, रैशेज के लिक्विड से, जानवरों के स्टूल और यूरिन के संपर्क में आने से फैल सकता है। सेक्सुअली भी फैल सकता है। हवा में नहीं फैलता।

मंकीपॉक्स कितना खतरनाक?
कई बार यह सांस से संबंधित इंफेक्शन कर देता है, जिससे मरीज को निमोनिया हो सकता है। इससे मरीज को दूसरी तरह का संक्रमण हो जाता है। कुछ मरीज के ब्रेन तक संक्रमण पहुंच जाता है और उन्हें मेननजाइटिस तक हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज की मौत हो सकती है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
भारतीय एक्सपर्ट का कहना है कि पहले मामले की पुष्टि के बाद संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। सफदरजंग हॉस्पिटल के कम्युनिटी मेडिसिन के एचओडी डॉक्टर जुगल किशोर ने कहा कि केरल में मिले मरीज के संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट किया जाना चाहिए। इसमें भी कोरोना की तर्ज पर बचाव की जरूरत है। पैनिक वाली बात नहीं है लेकिन अलर्ट रहने की जरूरत है।

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