Modi Govt Ministers: बिहार के 8 सांसदों को मिले अहम मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण और डेयरी विकास की उम्मीदें जागीं h3>
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केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल बिहार के आठ सांसदों को कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली है, जिसकी राज्य में असीम संभावनाएं हैं। खासकर खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य, डेयरी और सूक्ष्म व छोटे उद्योग का क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। इनके विकास से राज्य में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे राज्य का विकास और तेज हो सकेगा।
बिहार कृषि संपन्न राज्य है पर, यहां के किसानों को कृषि उत्पादों की अच्छी कीमत नहीं मिलना बड़ी समस्या रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि यहां पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की भारी कमी है। यहां आम, लीची, मक्का, अनानास, आलू प्रसंस्करण की फैक्ट्रियां लगाकर बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन किया जा सकता है। इससे किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम भी मिलेंगे। खाद्य एवं प्रसंस्करण व उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी हाजीपुर सांसद चिराग पासवान को मिलने से बिहार की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
मुंगेर के सांसद ललन सिंह को पंचायती राज तथा मत्स्य, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। मत्स्य व डेयरी ऐसे क्षेत्र हैं, जिससे बिहार का गांव-गांव जुड़ा है। पशुपालन की यहां पर बड़ी परंपरा रही है। ऐसे में राज्य में डेयरी उद्योग के लगने से यहां के पशुपालक आर्थिक रूप से संपन्न होंगे। अच्छी नस्ल की गाय-भैंसों की खरीद में पशुपालकों को अनुदान देकर दूध का उत्पादन यहां और बढ़ाया जा सकता है। सुधा का विस्तार देश के अन्य राज्यों में होगा तो दुग्ध उत्पादन से जुड़े पशुपालक और दुग्ध उत्पादन समितियों का कारोबार प्रसारित होगा।
यह भी पढ़िए- Modi Govt Ministers: ललन सिंह और सतीश दुबे को दोहरी जिम्मेदारी, मोदी कैबिनेट में संभालेंगे दो-दो मंत्रालय
वहीं, मछली उत्पादन में बिहार अब भी आत्मनिर्भर नहीं बन सका है। मछली उत्पादन में वृद्धि के लिए यह मंत्रालय काफी मददगार साबित हो सकता है। इसी तरह बिहार में ग्रामीण आबादी काफी अधिक है। गांवों के विकास से पंचायती राज व्यवस्था का सीधा संबंध है। पंचायती राज मंत्रालय की ओर से राज्यों को फंड भी मिलता है। ऐसे में इस मंत्रालय की जिम्मेदारी राज्य के सांसद को मिलने से बिहार की उम्मीदें भी बढ़ेंगी।
गया के सांसद जीतन राम मांझी को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। बिहार में सूक्ष्म और लघु उद्योग की भी बड़ी संभावनाएं हैं। सघन आबादी के कारण यहां बड़े-बड़े उद्योग की संभावनाएं कम हैं। ऐसे में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय का विशेष सहयोग बिहार के लिए आवश्यक है। सूक्ष्म एवं छोटे उद्योगों की स्थापना, इसके लिए विशेष प्रशिक्षण और अनुदान देकर राज्य को इस मामले में समृद्ध किया जा सकता है।
बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह को कपड़ा उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। बिहार अपने रेशम के लिए प्रसिद्ध है। यहां रेशम की तीन किस्में उत्पादित और बुनी जाती हैं, जिनमें टसर, एरी और शहतूत रेशम शामिल है। भागलपुर इसके लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है। इसी तरह खादी उत्पादन में बिहार काफी संपन्न रहा है।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल बिहार के आठ सांसदों को कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिली है, जिसकी राज्य में असीम संभावनाएं हैं। खासकर खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य, डेयरी और सूक्ष्म व छोटे उद्योग का क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। इनके विकास से राज्य में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे राज्य का विकास और तेज हो सकेगा।
बिहार कृषि संपन्न राज्य है पर, यहां के किसानों को कृषि उत्पादों की अच्छी कीमत नहीं मिलना बड़ी समस्या रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि यहां पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की भारी कमी है। यहां आम, लीची, मक्का, अनानास, आलू प्रसंस्करण की फैक्ट्रियां लगाकर बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन किया जा सकता है। इससे किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम भी मिलेंगे। खाद्य एवं प्रसंस्करण व उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी हाजीपुर सांसद चिराग पासवान को मिलने से बिहार की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
मुंगेर के सांसद ललन सिंह को पंचायती राज तथा मत्स्य, पशुपालन व डेयरी मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। मत्स्य व डेयरी ऐसे क्षेत्र हैं, जिससे बिहार का गांव-गांव जुड़ा है। पशुपालन की यहां पर बड़ी परंपरा रही है। ऐसे में राज्य में डेयरी उद्योग के लगने से यहां के पशुपालक आर्थिक रूप से संपन्न होंगे। अच्छी नस्ल की गाय-भैंसों की खरीद में पशुपालकों को अनुदान देकर दूध का उत्पादन यहां और बढ़ाया जा सकता है। सुधा का विस्तार देश के अन्य राज्यों में होगा तो दुग्ध उत्पादन से जुड़े पशुपालक और दुग्ध उत्पादन समितियों का कारोबार प्रसारित होगा।
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वहीं, मछली उत्पादन में बिहार अब भी आत्मनिर्भर नहीं बन सका है। मछली उत्पादन में वृद्धि के लिए यह मंत्रालय काफी मददगार साबित हो सकता है। इसी तरह बिहार में ग्रामीण आबादी काफी अधिक है। गांवों के विकास से पंचायती राज व्यवस्था का सीधा संबंध है। पंचायती राज मंत्रालय की ओर से राज्यों को फंड भी मिलता है। ऐसे में इस मंत्रालय की जिम्मेदारी राज्य के सांसद को मिलने से बिहार की उम्मीदें भी बढ़ेंगी।
गया के सांसद जीतन राम मांझी को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। बिहार में सूक्ष्म और लघु उद्योग की भी बड़ी संभावनाएं हैं। सघन आबादी के कारण यहां बड़े-बड़े उद्योग की संभावनाएं कम हैं। ऐसे में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय का विशेष सहयोग बिहार के लिए आवश्यक है। सूक्ष्म एवं छोटे उद्योगों की स्थापना, इसके लिए विशेष प्रशिक्षण और अनुदान देकर राज्य को इस मामले में समृद्ध किया जा सकता है।
बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह को कपड़ा उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। बिहार अपने रेशम के लिए प्रसिद्ध है। यहां रेशम की तीन किस्में उत्पादित और बुनी जाती हैं, जिनमें टसर, एरी और शहतूत रेशम शामिल है। भागलपुर इसके लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है। इसी तरह खादी उत्पादन में बिहार काफी संपन्न रहा है।