MI-24 हेलीकॉप्टर कितना खतरनाक? कोरिया युद्ध के बाद पहली बार रूसी सरजमीं पर किया एयर अटैक
कीव: तुर्की में जारी शांति वार्ता (Russia Ukraine Peace Talks) के बीच रूस के अंदर यूक्रेन के हवाई हमले (Ukraine Attack Inside Russia) ने तनाव को बढ़ा दिया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि इस तरह के हमले (Ukraine Mi-24 Helicopter Attack)) से बातचीत के लिए अनुकूल परिस्थितियां नहीं बनती हैं। पेसकोव ने खुलेआम कहा कि इस तरह के हमले से दोनों देशों के बीच संघर्ष और ज्यादा बढ़ जाएगा। उधर, बेलगोरोड के गवर्नर व्याचेस्लाव ग्लैडकोव ने बताया कि यूक्रेन के दो Mil Mi-24 हेलीकॉप्टर रडार से बचने के लिए नीचे उड़ान भरते हुए रूसी सीमा में दाखिल हुए। उन्होंने एस-8 रॉकेट से बेलगोरोड के पेट्रोलियम डिपो को निशाना बनाया। इस हमले को कोरिया युद्ध के बाद पहली बार रूस की सरजमीं पर किया गया पहला एयर अटैक बताया जा रहा है।
रूस और यूक्रेन दोनों करते हैं इस हेलॉकॉप्टर का इस्तेमाल
Mil Mi-24 सोवियत संघ के जमाने का एक अटैक हेलीकॉप्टर है। हैवी आर्मर और गनशिप के कारण इस हेलीकॉप्टर को फ्लाइंग टैंक के नाम से भी जाना जाता है। बड़ी बात यह है कि इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल यूक्रेन के साथ रूस भी करता है। Mi-24 का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर गनशिप, अटैक हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर के रूप में किया जा सकता है। इसमें आठ लोगों के बैठने की जगह भी है। ऐसे में अटैक हेलीकॉप्टर होने के कारण Mi-24 के जरिए युद्धग्रस्त इलाकों में सैनिकों का ट्रांसपोर्ट भी किया जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर का निर्माण मिल मॉस्को हेलीकॉप्टर प्लांट ने किया है। सोवियत वायु सेना ने साल 1972 से Mi-24 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। विघटन के बाद पूर्व सोवियत देशों सेना में भी यह हेलीकॉप्टर सेवा दे रहा है। इसमें यूक्रेन भी शामिल है।
भारत ने भी रूस से खरीदा था यह हेलीकॉप्टर
इस हेलीकॉप्टर ने एक्सपोर्ट वेरिएंट को एमआई -25 और एमआई -35 के नाम से भी जाना जाता है। भारत ने भी रूस से एमआई -35 हेलीकॉप्टरों की खरीद की थी, लेकिन समय के साथ पुरानी पड़ती टेक्नोलॉजी के कारण इनमें से कई को रिटायर कर दिया गया, जबकि कुछ को अफगानिस्तान की नागरिक सरकार को दान दिया गया था। इस हेलीकॉप्टर के विकास का कार्यक्रम 1960 के दशक में शुरू किया गया था। सोवियत डिजाइनर मिखाइल मिल चाहते थे कि एक ऐसा हेलीकॉप्टर बनाया जाए जो युद्धक्षेत्र में मोबिलिटी को बढ़ावा दे। इतना ही नहीं, पैदल सैनिकों के लिए हवाई आंख का काम करे और जरूरत पड़ने पर दुश्मनों पर मिसाइलों, रॉकेट और गोलियों से हमला भी कर सके। मिल के इस सपने को साकार करने के लिए सोवियत संघ के एयरक्राफ्ट मंत्रालय ने साल 1966 में एक एक्सपेरिमेंटल कारखाना स्थापित करने का ऐलान किया।
वियतनाम युद्ध के बाद रूस ने दी थी मंजूरी
इस कारखाने ने V-24 नाम से पहला हेलीकॉप्टर का निर्माण किया। इस हेलीकॉप्टर में एक सेंट्रल इंफ्रेंट्री कंपार्टमेंट था, जिसमें एक बार में आठ सैनिकों को बैठाया जा सकता था। इस हेलीकॉप्टर के पंखे काफी छोटे थे, जिन्हें सैनिकों के कंपार्टमेंट के ठीक ऊपर सेट किया गया था। यह हेलीकॉप्टर छह मिसाइलें या रॉकेट फायर कर सकता था। इसके अलावा इस हेलीकॉप्टर में दो बैरल वाले GSh-23L कैनन को भी सेट किया गया था। हालांकि, सोवियत सैन्य अधिकारियों ने इस हेलीकॉप्टर को सेना में शामिल करने का विरोध किया। जिसके बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया, जिसने युद्धक्षेत्र में सहायता करने वाले हेलीकॉप्टर की डिजाइन को मंजूरी दे दी गई। लेकिन, वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के गनशिप और अटैक हेलिकॉप्टरों के इस्तेमाल ने सोवियत संघ के कान खड़े कर दिए और सरकार ने एमआई-24 हेलीकॉप्टर को बनाने की मंजूरी दे दी।
हर मिनट 3600 राउंड फायर कर सकता है एमआई-24
मिल कंपनी के इंजीनियरों ने दो बुनियादी डिजाइन तैयार किए। इनमें से पहला 7-टन सिंगल-इंजन डिजाइन थी और दूसरा 10.5-टन ट्विन-इंजन डिजाइन थी। ये दोनों हेलीकॉप्टर 1700 हार्सपावर पैदा करने वाले Izotov TV3-177A टर्बोशाफ्ट इंजन का इस्तेमाल करते थे। बाद में सेना के अनुरोध पर समय-समय पर इस हेलीकॉप्टर की डिजाइन में कई बदलाव किए जाते रहे। इसमें लगी 23 मिमी की तोप को रैपिड-फायर भारी मशीन गन के साथ बदल दिया गया। इस हेलीकॉप्टर को AT-6 स्पाइरल एंटी- टैंक मिसाइल से भी लैस किया गया। एमआई-24 हेलीकॉप्टर 21.6 मीटर लंबा और इसके पंखों की चौड़ाई और ऊंचाई 6.5 मीटर है। यह 2400 किलोग्राम के पेलोड को लेकर उड़ान भर सकता है। इसमें 23 एमएम की डबल बैरल GSh-23V कैनन लगी हुई है। जो एक मिनट में 3,400 से 3,600 राउंड फायरिंग कर सकती है। इसके अलावा हेलीकॉप्टर में एंटी टैंक मिसाइल, रॉकेट, गन और एक्स्ट्रा फ्यूल टैंक को लगाया जा सकता है।
इन युद्धों में हिस्सा ले चुका है Mil Mi-24 हेलीकॉप्टर
एमआई-24 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल ओगडेन युद्ध (1977-1978), चाडियन-लीबिया संघर्ष (1978-1987), अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध (1979-1989, ईरान-इराक युद्ध (1980-1988), निकारागुआ गृहयुद्ध (1980-1988), श्रीलंकाई गृहयुद्ध (1987-2009), पेरू के ऑपरेशन (1989-1995), खाड़ी युद्ध (1991), सिएरा लियोन गृहयुद्ध (1991-2002), क्रोएशियाई स्वतंत्रता संग्राम (1990), चेचन्या में प्रथम और द्वितीय युद्ध (1990-2000), सेनेपा युद्ध (1995), सूडानी गृहयुद्ध (1995-2005), प्रथम और द्वितीय कांगो युद्ध (1996-2003), कोसोवो युद्ध (1998-1999), मैसेडोनिया में संघर्ष (2001), इवोरियन गृहयुद्ध (2002-2004), अफगानिस्तान में युद्ध (2001-2021), इराक युद्ध (2003-2011), सोमालिया में युद्ध (2006-2009), 2008 रूस-जॉर्जियाई युद्ध, चाड में युद्ध (2008), लीबियाई गृहयुद्ध (2011), 2010-2011 आइवरी संकट, सीरियाई गृहयुद्ध (2011-वर्तमान), दूसरा काचिन संघर्ष (2011-वर्तमान), पोस्ट-यू.एस. इराकी विद्रोह, बलूचिस्तान विद्रोह (2012-वर्तमान), क्रीमिया संकट (2014), डोनबास में युद्ध (2014), बोको हराम के खिलाफ चाडियन आक्रमण (2015), अज़रबैजान-कराबाख (2014-2016, 2020) और 2022 यूक्रेन पर रूसी आक्रमण में किया गया।
रूस और यूक्रेन दोनों करते हैं इस हेलॉकॉप्टर का इस्तेमाल
Mil Mi-24 सोवियत संघ के जमाने का एक अटैक हेलीकॉप्टर है। हैवी आर्मर और गनशिप के कारण इस हेलीकॉप्टर को फ्लाइंग टैंक के नाम से भी जाना जाता है। बड़ी बात यह है कि इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल यूक्रेन के साथ रूस भी करता है। Mi-24 का इस्तेमाल हेलीकॉप्टर गनशिप, अटैक हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर के रूप में किया जा सकता है। इसमें आठ लोगों के बैठने की जगह भी है। ऐसे में अटैक हेलीकॉप्टर होने के कारण Mi-24 के जरिए युद्धग्रस्त इलाकों में सैनिकों का ट्रांसपोर्ट भी किया जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर का निर्माण मिल मॉस्को हेलीकॉप्टर प्लांट ने किया है। सोवियत वायु सेना ने साल 1972 से Mi-24 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। विघटन के बाद पूर्व सोवियत देशों सेना में भी यह हेलीकॉप्टर सेवा दे रहा है। इसमें यूक्रेन भी शामिल है।
भारत ने भी रूस से खरीदा था यह हेलीकॉप्टर
इस हेलीकॉप्टर ने एक्सपोर्ट वेरिएंट को एमआई -25 और एमआई -35 के नाम से भी जाना जाता है। भारत ने भी रूस से एमआई -35 हेलीकॉप्टरों की खरीद की थी, लेकिन समय के साथ पुरानी पड़ती टेक्नोलॉजी के कारण इनमें से कई को रिटायर कर दिया गया, जबकि कुछ को अफगानिस्तान की नागरिक सरकार को दान दिया गया था। इस हेलीकॉप्टर के विकास का कार्यक्रम 1960 के दशक में शुरू किया गया था। सोवियत डिजाइनर मिखाइल मिल चाहते थे कि एक ऐसा हेलीकॉप्टर बनाया जाए जो युद्धक्षेत्र में मोबिलिटी को बढ़ावा दे। इतना ही नहीं, पैदल सैनिकों के लिए हवाई आंख का काम करे और जरूरत पड़ने पर दुश्मनों पर मिसाइलों, रॉकेट और गोलियों से हमला भी कर सके। मिल के इस सपने को साकार करने के लिए सोवियत संघ के एयरक्राफ्ट मंत्रालय ने साल 1966 में एक एक्सपेरिमेंटल कारखाना स्थापित करने का ऐलान किया।
वियतनाम युद्ध के बाद रूस ने दी थी मंजूरी
इस कारखाने ने V-24 नाम से पहला हेलीकॉप्टर का निर्माण किया। इस हेलीकॉप्टर में एक सेंट्रल इंफ्रेंट्री कंपार्टमेंट था, जिसमें एक बार में आठ सैनिकों को बैठाया जा सकता था। इस हेलीकॉप्टर के पंखे काफी छोटे थे, जिन्हें सैनिकों के कंपार्टमेंट के ठीक ऊपर सेट किया गया था। यह हेलीकॉप्टर छह मिसाइलें या रॉकेट फायर कर सकता था। इसके अलावा इस हेलीकॉप्टर में दो बैरल वाले GSh-23L कैनन को भी सेट किया गया था। हालांकि, सोवियत सैन्य अधिकारियों ने इस हेलीकॉप्टर को सेना में शामिल करने का विरोध किया। जिसके बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया, जिसने युद्धक्षेत्र में सहायता करने वाले हेलीकॉप्टर की डिजाइन को मंजूरी दे दी गई। लेकिन, वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के गनशिप और अटैक हेलिकॉप्टरों के इस्तेमाल ने सोवियत संघ के कान खड़े कर दिए और सरकार ने एमआई-24 हेलीकॉप्टर को बनाने की मंजूरी दे दी।
हर मिनट 3600 राउंड फायर कर सकता है एमआई-24
मिल कंपनी के इंजीनियरों ने दो बुनियादी डिजाइन तैयार किए। इनमें से पहला 7-टन सिंगल-इंजन डिजाइन थी और दूसरा 10.5-टन ट्विन-इंजन डिजाइन थी। ये दोनों हेलीकॉप्टर 1700 हार्सपावर पैदा करने वाले Izotov TV3-177A टर्बोशाफ्ट इंजन का इस्तेमाल करते थे। बाद में सेना के अनुरोध पर समय-समय पर इस हेलीकॉप्टर की डिजाइन में कई बदलाव किए जाते रहे। इसमें लगी 23 मिमी की तोप को रैपिड-फायर भारी मशीन गन के साथ बदल दिया गया। इस हेलीकॉप्टर को AT-6 स्पाइरल एंटी- टैंक मिसाइल से भी लैस किया गया। एमआई-24 हेलीकॉप्टर 21.6 मीटर लंबा और इसके पंखों की चौड़ाई और ऊंचाई 6.5 मीटर है। यह 2400 किलोग्राम के पेलोड को लेकर उड़ान भर सकता है। इसमें 23 एमएम की डबल बैरल GSh-23V कैनन लगी हुई है। जो एक मिनट में 3,400 से 3,600 राउंड फायरिंग कर सकती है। इसके अलावा हेलीकॉप्टर में एंटी टैंक मिसाइल, रॉकेट, गन और एक्स्ट्रा फ्यूल टैंक को लगाया जा सकता है।
इन युद्धों में हिस्सा ले चुका है Mil Mi-24 हेलीकॉप्टर
एमआई-24 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल ओगडेन युद्ध (1977-1978), चाडियन-लीबिया संघर्ष (1978-1987), अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध (1979-1989, ईरान-इराक युद्ध (1980-1988), निकारागुआ गृहयुद्ध (1980-1988), श्रीलंकाई गृहयुद्ध (1987-2009), पेरू के ऑपरेशन (1989-1995), खाड़ी युद्ध (1991), सिएरा लियोन गृहयुद्ध (1991-2002), क्रोएशियाई स्वतंत्रता संग्राम (1990), चेचन्या में प्रथम और द्वितीय युद्ध (1990-2000), सेनेपा युद्ध (1995), सूडानी गृहयुद्ध (1995-2005), प्रथम और द्वितीय कांगो युद्ध (1996-2003), कोसोवो युद्ध (1998-1999), मैसेडोनिया में संघर्ष (2001), इवोरियन गृहयुद्ध (2002-2004), अफगानिस्तान में युद्ध (2001-2021), इराक युद्ध (2003-2011), सोमालिया में युद्ध (2006-2009), 2008 रूस-जॉर्जियाई युद्ध, चाड में युद्ध (2008), लीबियाई गृहयुद्ध (2011), 2010-2011 आइवरी संकट, सीरियाई गृहयुद्ध (2011-वर्तमान), दूसरा काचिन संघर्ष (2011-वर्तमान), पोस्ट-यू.एस. इराकी विद्रोह, बलूचिस्तान विद्रोह (2012-वर्तमान), क्रीमिया संकट (2014), डोनबास में युद्ध (2014), बोको हराम के खिलाफ चाडियन आक्रमण (2015), अज़रबैजान-कराबाख (2014-2016, 2020) और 2022 यूक्रेन पर रूसी आक्रमण में किया गया।