MCD Election Result: 5 वजहें, दिल्ली मॉडल पर मुहर से ब्रैंड केजरीवाल होगा और मजबूत…

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MCD Election Result: 5 वजहें, दिल्ली मॉडल पर मुहर से ब्रैंड केजरीवाल होगा और मजबूत…

MCD Election Result: 5 वजहें, दिल्ली मॉडल पर मुहर से ब्रैंड केजरीवाल होगा और मजबूत…

नई दिल्ली: एमसीडी चुनाव परिणाम भले स्थानीय हो, लेकिन देश की राजधानी के चुनाव नतीजों का संदेश पूरे देश में फैलता है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में वोटों की गिनती से एक दिन पहले आए इस चुनाव परिणाम को कई बार ‘मिनी इंडिया’ के अंदर एक ओपिनियन पोल के रूप में देखा जाता है। चूंकि दिल्ली में देश के तमाम राज्यों के लोग रहते हैं, इसीलिए इसके परिणाम को एक सियासी संकेत के रूप में देखा जाता है। हालांकि दूसरे चुनावों के मुद्दे और हालात अलग होते हैं और विधानसभा या राष्ट्रीय चुनाव में परिदृश्य भी बिल्कुल अलग होता है, लेकिन राजनीतिक दल इन परिणामों को शहरी आबादी के बीच एक सैंपल के रूप में लेते हैं, जिसके अनुरूप वे अपनी रणनीति को नए सिरे से बनाने के लिए उपयोग करते हैं। ऐसे में इस चुनाव से निकले पांच राष्ट्रीय संदेश हैं इस तरह हैं-

​1. केजरीवाल का ब्रैंड दिल्ली और मजबूत होगा

इस जीत के बाद अरविंद केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस’ और मजबूत होगा। वह देश के दूसरे हिस्सों में आम आदमी पार्टी के विस्तार के लिए अब तक इसी मॉडल को अपना सबसे मजबूत हथियार बनाते रहे हैं। अब दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों में सत्ता की कमान मिलने के बाद वह इसे और प्रमुखता से प्रोजेक्ट करेंगे। हालांकि इसका उल्टा पहलू यह भी होगा कि अब वह प्रदूषण जैसे मुद्दों पर पंजाब से दिल्ली तक संपूर्ण शासन रहने से अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकेंगे।

​2. पूर्वांचली और शहरी वोटरों पर बीजेपी की पकड़ बरकरार

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बीजेपी भले ही 15 सालों के शासन के बाद एमसीडी चुनाव हार गई, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी 2024 से पहले इस बात को लेकर राहत महसूस कर सकती है कि उनके कोर वोटरों में कोई खास गिरावट नहीं दिखी। पूर्वांचल मतदाता का ट्रेंड कमोबेश बीजेपी के साथ रहा। इसी तरह मिडल क्लास आबादी में भी बीजेपी की पकड़ बहुत कमजोर नहीं हुई है। हालांकि सिख वोटों में गिरावट जरूर चिंता की बात है, लेकिन पार्टी बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के लिए 2024 से पहले इसे सकारात्मक ओपिनियन पोल के रूप में ले रही है।

​3. मुस्लिमों की कांग्रेस की तरफ वापसी?

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एमसीडी चुनाव परिणाम में मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा कांग्रेस की ओर से वापस होता दिखा। यह एक बड़ा राष्ट्रीय संकेत और संदेश हो सकता है। कांग्रेस का मानना है कि हाल के सालों में तमाम राज्यों में मुस्लिम वोट उनसे छिटक कर दूसरे क्षेत्रीय दलों में चले गए। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अलावा बिहार में आरजेडी, यूपी में एसपी-बीएसपी, तेलंगाना में टीआरएस, पश्चिम बंगाल में टीएमसी जैसे दलों ने मुस्लिम वोटों में बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में किया जो हाल के सालों में कांग्रेस के पतन का बड़ा कारण बनी। ऐसे में अगर एमसीडी का परिणाम एक संकेत है, तो कांग्रेस दूसरी जगहों पर ट्रेंड के पलटने के लिए कोशिश कर सकती है।

​4. उद्धव भी चलेंगे केजरीवाल की राह!

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देश में दो शहरों के स्थानीय चुनाव राष्ट्रीय संकेत के हिसाब से सबसे अहम माने जाते हैं- दिल्ली और मुंबई। दिल्ली के बाद अगले कुछ महीनों में मुंबई में चुनाव होने हैं। इस चुनाव में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की रणनीति से सबक लेकर मैदान में उतर सकते हैं। दूसरी ओर, बीजेपी भी दिल्ली में मिले सबक के बाद मुंबई में गलती सुधारने की रणनीति बना सकती है।

​5. स्थानीय चुनाव में स्थानीय मुद्दे चलेंगे

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एमसीडी के परिणाम ने यह संकेत भी दिया कि अब हर चुनाव में एक ही मुद्दा खड़ा करने या इसे राष्ट्रीय चुनाव बनाने का ट्रेंड शायद धीमा पड़ रहा है। 2014 से बीजेपी ने लगभग हर चुनाव में प्रतीकों और राष्ट्रीय मुद्दों को प्रमुखता से उछालकर लड़ने की रणनीति बनाई है। इसमें 2017 के एमसीडी चुनाव में वह सफल भी हुई थी। लेकिन पिछले कुछ समय से विपक्ष ने स्थानीय चुनाव को स्थानीय तरीके और स्थानीय मुद्दों के आधार पर लड़ने की रणनीति से बीजेपी को काउंटर करने की कामयाब कोशिशें की हैं।

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