MCD Election Result: एमसीडी जंग का अखाड़ा कैसे बन गई? एक वोट को अवैध करने पर बवाल, अंदर की बात समझिए
कैसे होती है वोटों की काउंटिंग
अगर किसी पार्टी के स्थायी समिति प्रत्याशी तीन हैं, तो उस पार्टी के पार्षद को तीनों को प्रेफरेंस के आधार पर वोट देना होगा। यानी बैलेट पेपर में पहली पसंद को एक, दूसरे को दो और तीसरे को तीन लिखना होगा। एमसीडी के गणित के अनुसार, प्रत्येक प्रत्याशी को अगर 35-35 वोट प्रेफरेंस मिल जाता है, उसे निर्वाचित माना जाएगा। यहां बीजेपी के एक प्रत्याशी को जितने वोट प्रेफरेंस मिले थे, उससे एक कम आम आदमी पार्टी के एक प्रत्याशी को वोट प्रेफरेंस मिले थे।
अगर बीजेपी प्रत्याशी का वोट प्रेफरेंस इनवैलिड घोषित कर दिया जाता, तो दोनों बराबरी पर होते। ऐसे में इन दोनों में सेकंड प्रेफरेंस को अब तरजीह दी जाती। इसमें जिसका ज्यादा वोट होता, उसकी जीत होती। बीजेपी को यही मान्य नहीं था, जिसे लेकर बवाल हुआ।
एमसीडी में कल क्या-क्या हुआ?
सुबह 11.07 बजे : करीब एक घंटे की देरी से मेयर सदन में आईं और आसन ग्रहण किया। फिर से चुनाव का आदेश देते हुए कहा कि मोबाइल और पेन वोटिंग के दौरान अलाउड नहीं होगा।
सुबह 11.11 बजे : वोटिंग की प्रक्रिया शुरू हुई। वॉर्ड- 1 के पार्षद को सबसे पहले वोटिंग के लिए बुलाया गया
दोपहर 12.00 बजे : 50 वोट पड़े
दोपहर 2.27 बजे : वोटिंग प्रक्रिया खत्म हुई
दोपहर 2.32 बजे : मेयर ने वोटिंग प्रक्रिया खत्म होने पर बताया कि 250 पार्षदों में से कुल 242 ने वोटिंग की है। 8 पार्षदों ने वोट नहीं डाला है।
दोपहर 2.42 बजे : काउंटिंग शुरू
शाम 4.30 बजे : काउंटिंग पूरी
शाम 4.42 बजे : मेयर ने री-काउंटिंग का दिया आदेश, जिस पर हंगामा शुरू हो गया
स्टैंडिंग कमिटी रिजल्ट पर MCD में चले लात-घूंसे
दिल्ली एमसीडी में स्टैंडिंग कमिटी के चुनाव नतीजों को लेकर शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों के बीच लात-घूंसे चले और हालात मेडिकल इमरजेंसी तक पहुंच गए। आम आदमी पार्टी के एक पार्षद को बेहोशी की हालत में सदन से अस्पताल ले जाना पड़ा। दोनों ही पार्टियों की कई महिला पार्षद भी बुरी तरह से घायल हुईं। हंगामे की शुरुआत तब हुई, जब गिनती के दौरान मेयर, बीजेपी के एक पार्षद का वोट इनवैलिड करने पर डटी हुई थीं। बीजेपी का दावा था कि मेयर के पास ऐसा कोई अधिकार ही नहीं है। बीजेपी का कहना था कि वोट वैलिड है या नहीं, इसका निर्णय चुनाव आयोग की ओर से आयी तकनीकी टीम ही कर सकती है।