MCD Election: सर, मैं बीमार हूं.. मेरे घर शादी है.. मुझे भूलने की बीमारी है, MCD चुनाव में ड्यूटी से बचने के लिए कैसे-कैसे बहाने

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MCD Election: सर, मैं बीमार हूं.. मेरे घर शादी है.. मुझे भूलने की बीमारी है, MCD चुनाव में ड्यूटी से बचने के लिए कैसे-कैसे बहाने

MCD Election: सर, मैं बीमार हूं.. मेरे घर शादी है.. मुझे भूलने की बीमारी है, MCD चुनाव में ड्यूटी से बचने के लिए कैसे-कैसे बहाने

नई दिल्ली: एक तरफ जहां एमसीडी के चुनाव करीब आ रहे हैं, वहीं चुनावी ड्यूटी से बचने के लिए कर्मचारियों की ‘जोड़तोड़’ भी पूरे शबाब पर है। अधिकारियों के पास ऐसे आवेदनों की भरमार है। अधिकारी खुद परेशान हैं कि चुनाव के समय किस पर रियायत करें। सबसे अधिक आवेदन शादियों और स्वास्थ्य के नाम पर आ रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, कर्मचारियों के ऐसे आवेदनों पर वे गौर नहीं कर रहे। चुनाव लोकतंत्र की सबसे बड़ी व्यवस्था है। ये सही तरीके से हों, इसके लिए कर्मचारियों की जरूरत रहती ही है।
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अधिकारियों के अनुसार, कोई कर्मचारी खुद को बीमार बता रहा है तो किसी की मां बीमार है। कोई रिश्तेदार की शादी का कार्ड लेकर आ रहा है तो कोई खुद को भूलने की बीमारी का शिकार बता रहा है। कर्मचारियों के ऐसे आवेदनों से निर्वाचन अधिकारी भी परेशान हैं और अब उन्होंने कर्मचारियों की ऐसे आवेदनों से बचना शुरू कर दिया है। जिलों के निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार, चुनाव आयोग के पास अपने स्थायी कर्मचारी नहीं होते। ऐसे में चुनावी प्रक्रिया को पूरा करवाने के लिए विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को लगाया जाता है। निगम चुनावों के लिए शिक्षा विभाग से कर्मचारियों की लिस्ट उन्हें मिली है। इस बार जो लिस्ट मिली है उसमें से कुछ तो रिटायर हो चुके हैं, वहीं कई लोग ड्यूटी से अपना नाम हटवाने के लिए आ रहे हैं।

चुनाव ड्यूटी के बदले हर कर्मचारी को प्रतिदिन 500 रुपये का मानदेय मिलता है। यह उन्हें तब दिया जाता है जब चुनाव खत्म हो जाते हैं। इसे कर्मचारी काफी कम मानते हैं। एक चुनाव में यह तकरीबन 2500 से 3000 रुपये तक का होता है। साथ ही कई बार कर्मचारियों की ड्यूटी उनके घर से काफी दूर लगाई जाती है। आने-जाने का साधन भी नहीं दिया जाता। चुनाव से पहले ही कर्मचारियों को ड्यूटी पर पहुंच जाना होता है। इसकी वजह से भी काफी परेशानियां आती हैं। जबकि चुनाव वाले दिन छुट्टी होती है। लिहाजा कर्मचारी इतने कम मानदेय के लिए इतनी परेशानी मोल नहीं लेना चाहते।

क्यों बचना चाहें चुनावी ड्यूटी से?

ड्यूटी न करने के लिए कैसे-कैसे तर्क
विष्णु गार्डन, राजौरी गार्डन व चौंखडी नगर वॉर्ड के निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में पहुंचे एक स्कूल अध्यापक ने बताया कि वह और उनकी पत्नी दोनों टीचर हैं। दोनों की ही चुनाव में ड्यूटी लगी है। पत्नी की 31 अक्टूबर को सर्जरी हुई है और डॉक्टर ने उन्हें आराम करने को कहा है। वहीं, एक अन्य शिक्षिका ने बताया कि मतदान के दिन उनके बेहद करीबी रिश्तेदार की बेटी की शादी है। कार्ड बंट चुके हैं इसलिए तब्दीली नहीं हो सकती।
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दूसरी ओर, अधिकारियों ने बताया कि लोग कई तरह के आवेदन कर रहे हैं। एक आवेदन में तो यहां तक कहा गया है कि उन्हें कुछ याद नहीं रहता, ऐसे में वह ड्यूटी नहीं कर सकते। वहीं कुछ आवेदनों में यह भी कहा गया है कि मतदान केंद्र उनके घर से काफी दूर है। छुट्टी के ऐसे ज्यादातर आवेदन बेबुनियाद हैं। जिन्हें वास्तविक समस्या है, उन पर कुछ विचार किया जा सकता है। लेकिन जितने पोलिंग बूथ हैं उस हिसाब से कर्मचारियों की मौजूदगी अनिवार्य है। साथ ही 20 कर्मचारी अधिक रखने पड़ते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी मदद ली जा सके। ऐसे में सभी आवेदनों पर विचार नहीं किया जा सकता।

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