गुजरात चुनाव : कांग्रेस के लिए काल साबित होंगी मायावती

896
गुजरात चुनाव : कांग्रेस के लिए काल साबित होंगी मायावती

गुजरात के चुनावी समय में यूं तो मुख्य मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस है लेकिन छोटे-छोटे दल भी यहां बड़ा खेल करने की कूवत रखते हैं। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती गुजरात की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। माया का ये दांव इस चुनावी समर में दलित नेता जिग्नेश के सहारे बीजेपी को मात देने की कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। खास बात ये है कि बीजेपी की धुर विरोधी मायावती की गुजरात में एंट्री कमल के फूल वाली इस पार्टी के लिए फायदे का सौदा बताई जा रही है।

Mayawati -

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गुजरात में चूंकि मायावती सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी तो वो जिग्नेश के चलते दलित वोटों पर हक जता रही कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी होगी क्योंकि माया की एंट्री से दलित वोट बंटेंगे। खास बात ये है कि बहुजन समाज पार्टी का गुजरात में कोई उल्लेखनीय जनाधार नहीं है। पार्टी का वहा से अब तक एक भी विधायक जीतकर नहीं आया है। लेकिन इसके बावजूद हाथी जब-जब यहां मैदान में उतरा है तो कई सीटों पर उसने हार और जीत तय करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

गुजरात में दलित आदिवासी

गुजरात में 7 फीसदी दलित मतदाता हैं, तो वहीं 11 फीसदी आदिवासी हैं। राज्य की कुल 182 विधानसभा सीटों में से 10 दलित बाहुल्य सीटें हैं। इसके अलावा 26 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी जीत हार तय करते हैं। गुजरात में 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जो दलित और आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं।

बीएसपी का आधार

बीएसपी को भले ही अभी तक के गुजरात में हुए विधानसभा चुनावों में एक भी सीट हासिल नहीं हुई है, लेकिन चुनाव लड़ने के उसके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। इस बार भी बीएसपी ने गुजरात की 182 सीटों पर पूरी ताकत के साथ उतरने का मन बनाया है। बीएसपी ने 2002 के विधानसभा चुनावों में अपने 34 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें से कोई भी जीत नहीं सका था। 2002 में बीएसपी को 0.32 फीसदी वोट मिले थे। 2007 के विधानसभा चुनावों में बीएसपी ने 166 उम्मीदवार उतारे और सभी को हार का मुंह देखना पड़ा।  हालांकि पार्टी को अपना वोट शेयर बढ़ाने में जरूर कामयाबी मिली, उसे 2.62 फीसदी वोट मिला। 2012 में बीएसपी 163 विधानसभा सीटों पर लड़ी उसे 1.25 फीसदी वोट मिला। यानी 2007 की तुलना में बीएसपी को नुकसान का सामना करना पड़ा।

जिग्नेश का कांग्रेस को समर्थन से BSP का होगा नुकसान

अंबेडकरवादी आदिवासी विचारक सुनील कुमार सुमन ने कहा कि गुजरात में दलित चेहरे के रूप में जिग्नेश मेवाणी की एक पहचान बन चुकी है। भले ही वह अंबेडकरवादी आंदोलन से न निकले हों लेकिन गुजरात में दलित आंदोलन से जरिए जिग्नेश मेवाणी ने अपनी पहचान बनाई है। गुजरात में वह बहुत बड़ा चेहरा नहीं हैं, लेकिन जो भी हैं वही हैं। ये बात सच है कि उनका आधार पूरे गुजरात में नहीं है, लेकिन ऊना के आसपास काफी है। मायावती के स्वतंत्र चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान होगा, लेकिन जिग्नेश के चलते ये बहुत ज्यादा नहीं होगा।

आदिवासियों के लिए सिर्फ RSS काम कर रही

सुमन कहते हैं कि गुजरात में दलित से ज्यादा आदिवासियों की भागीदारी है, लेकिन उनके अंदर राजनीतिक चेतना न होने से उनका कहीं जिक्र नहीं होता है। इसके अलावा आदिवासी समुदाय का कोई बड़ा नेता भी गुजरात में नहीं है। मौजूदा दौर में आदिवासियों के बीच सिर्फ RSS काम कर रहा है, जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा।