मैक्स अस्पताल लापरवाही मामला: बच्चे की मौत! हत्यारा कौन, डॉक्टर या मैक्स अस्पताल?

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हत्यारा कौन, डॉक्टर या मैक्स अस्पताल?

पिछले दिनों दिल्ली के शालीमार बाग में स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टर ने जिन ज़िंदा बच्चों को मृत घोषित कर दिया था, आज 6 दिसंबर को अग्रवाल अस्पताल में इलाज के दौरान जिंदा बचे दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई। आपको बता दें कि पैसों के कारण मैक्स के डॉक्टर डॉ. एपी मेहता और डॉ. विशाल ने जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर पॉलीबैग में पैक कर उन्हें परिजनों को सौंप दिया था। लेकिन अंतिम संस्कार को ले जाते वक्त बच्चों के हरकत के बाद उनकी पोल खुल गई थी। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या डॉक्टर्स ऐसा जानबूझ कर करते हैं, क्या उनसे गलती हो जाती है या फिर डॉक्टर्स के ऊपर ऐसा करने के लिए निजी आस्पतालों का दबाव होता है?

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मामले में आरोपी डॉक्टर्स पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा है। सोमवार को पुलिस ने मैक्स के आरोपी डॉक्टर समेत नर्स और गार्ड से लंबी पूछताछ की।

पुलिस ने अस्पताल से सीसीटीवी का डीवीआर भी अपने कब्जे में ले लिया है। आरोपियों से दोबारा पूछताछ की जा सकती है। पुलिस ने मैक्स अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज करते हुए दो नोटिस भी दिए हैं। इस मामले में अस्पताल ने भी अपनी जांच शुरू कर दी है। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक्सपर्ट भी शामिल हैं, जो जांच के बाद रिपोर्ट देंगे।

इससे पहले मैक्स अस्पताल ने कार्रवाई करते हुए आरोपी डॉ. एपी मेहता और डॉ. विशाल को बर्खास्त कर दिया। न्याय की मांग को लेकर परिजन अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। आरोपी डॉक्टरों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि न्याय मिलने के बाद ही वे हटेंगे।

भले ही पहली बार ऐसा मामला खुलकर सामने आया हो लेकिन इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि निजी अस्पताल ऐसे गोरखधंधे में शामिल होते हैं और जब भी किसी मामले का खुलासा होता है तो उसका ठीकरा डॉक्टरों पर फोड़ दिया जाता है। छोटी-मोटी बीमारी के बदले महंगे जांच कर पैसों की उगाही की जाती है। मामूली समस्याओं पर मरीज का ऑपरेशन कर दिया जाता है और ऐसा करके भी वो पैसों के बल पर बच निकलते हैं। मरीज कानूनी पचड़ों के डर से लड़ाई आधे-अधूरे में ही छोड़ देते हैं। नतीजा ये निकलता है कि पुलिस प्रशासन की मिली भगत से और पैसों के बल पर ये लोग साफ बच निकलते हैं।