‘मसूद अज़हर जी’ व्यंग या फिर दिल की बात ?

181

राहुल गाँधी ने कल एक रैली को सम्बोधित करते हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी मसूद अज़हर को “मसूद अज़हर जी” कह कर सम्बोधित किया और इसके बाद से ही फिर चाहे मीडिया हो या फिर ट्विटर पर उपस्थित किसी एक पार्टी के कार्यकर्ता या फिर विपक्ष, सबने आज के जमाने का सबसे ब्रह्मास्त्र रूपी ‘ट्रोल’ का इस्तेमाल कर दिया. हालांकि बाद में कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस बारे में सफाई दी गयी कि यह एक व्यंग था.

Modi 7 -

अब सवाल यह उठता है कि क्या असल मे राहुल गांधी की मंशा मसूद अजहर जैसे दुर्दांत आतंकवादी को ‘जी’ बोलकर सम्मान देने की थी? या वो व्यंग कर रहे थे? वैसे अगर इस मामले के तह में जाकर थोड़ा दिमाग लगाएं तो समझ मे आता है कि बीजेपी के तथाकथित मातृ संगठन में ‘जी’ लगाने का रिवाज बहुत पहले से है, और वहां पर सभी कार्यकर्ताओं को, चाहे वो उम्र में छोटा हो या बड़ा, जी लगाकर ही संबोधित करते है. हो सकता है कि असल मे राहुल गांधी का व्यंग उसी जगह से प्रेरित हो, हो सकता है कि वह बीजेपी की मातृ संस्था की तरफ इशारा कर रहें हो.

Print media -

वैसे मसला यह नही है कि मसूद अजहर को ‘जी’ संबोधित किया गया या नही बल्कि मसला यह है कि किसी एक व्यक्ति की बात को सही तरह से समझा गया या नहीं. बातो को समझने से ही हम बात की तह तक पहुचते है और वैसे भी अगर हम बातों को समझेंगे ही नही तो फिर ‘विरोध’ कैसे होगा?