Maharashtra Politics: शरद पवार के एक दांव से सुप्रिया सुले हिट, अजित चित, समझिये एनसीपी चीफ का सियासी गणित

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Maharashtra Politics: शरद पवार के एक दांव से सुप्रिया सुले हिट, अजित चित, समझिये एनसीपी चीफ का सियासी गणित

Maharashtra Politics: शरद पवार के एक दांव से सुप्रिया सुले हिट, अजित चित, समझिये एनसीपी चीफ का सियासी गणित

मुंबई: शरद पवार के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के ऐलान के बाद एनसीपी में जो तूफान मचा था, वह आखिरकार उनके इस्तीफा वापस लेने से बिना किसी नुकसान के शांत हो गया। पवार के इस दांव ने उनके भतीजे अजित पवार को फिलहाल चित कर दिया है और बेटी सुप्रिया सुले इस पूरे प्रकरण में पवार के बाद पार्टी नेताओं की पहली पसंद बनकर उभरी हैं। इस पूरे प्रकरण के चार हासिल तो साफ दिखाई पड़ रहे हैं।

1- चार दिन चले इस पूरे एपिसोड में यह साबित हो गया है कि अजित पवार एनसीपी में भले ही बड़े और मजबूत नेता हैं, लेकिन पार्टी अब भी पूरी तरह शरद पवार पर ही निर्भर है। पवार के रहते अगर एनसीपी टूट जाती, तो उनकी राजनीति के चतुर खिलाड़ी वाली छवि को जबरदस्त झटका लगता।

2- यह स्थापित हो गया है कि शरद पवार के बिना पार्टी का टिके रहना भी मुश्किल है। खासकर तब, जब चुनाव आयोग ने पिछले दिनों ही एनसीपी का राष्ट्रीय दर्जा खत्म कर दिया है। पवार के अलावा ऐसा कोई नेता नहीं, जिसकी अन्य राज्यों में थोड़ी बहुत भी स्वीकार्यता हो।

3- यह भी तय हो गया है कि शरद पवार के बाद अगर उनका कोई सर्वमान्य उत्तराधिकारी बनता है, तो वह शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले होंगी। क्योंकि, पार्टी के ज्यादातर नेताओं ने शरद पवार के फैसला वापस न लेने की स्थिति में सुप्रिया सुले के नाम पर सहमति जताई और राष्ट्रीय राजनीति में उनके काम को रेखांकित किया। सुप्रिया के बारे में पार्टी फोरम पर खुलेआम यह बातें रिकॉर्ड पर आईं।

4- शरद पवार ने अपने एक तीर से अजित पवार को बैलेंस कर दिया है और सुप्रिया सुले को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय परिदृश्य में सबसे ऊपर ला दिया है। अजित पवार के लिए अब शरद पवार की मर्जी के खिलाफ कोई भी फैसला लेना पहले से और ज्यादा मुश्किल हो गया है। पवार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी साफ कर दिया कि अगर कोई छोड़कर जाना चाहता है, तो उसे कोई रोक नहीं सकता, फिर चाहे वह कोई भी पार्टी हो। पवार ने कहा, मैं यह मानता हूं कि जब भी ऐसी स्थिति पैदा होती है, तो उसे बदलने के लिए पहल करना जरूरी होता है।

विश्लेषकों का मत
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अजित पवार की महत्वाकांक्षाओं के चलते वर्तमान में जिस तरह की राजनीतिक चुनौती एनसीपी के सामने अचानक आ खड़ी हुई, उसका फायदा उठाना और उसका इस्तेमाल लिटमस टेस्ट की तरह करना शरद पवार जैसे मजे हुए धुरंधर राजनीतिक खिलाड़ी के लिए ही संभव था। खासकर तब जब वह मुंह के कैंसर की गंभीर बीमारी से ग्रस्त होकर उम्र की ढलान पर हैं।

विपक्षी मोर्चा का गणित
शरद पवार के पार्टी के अध्यक्ष पद छोड़ने की खबर राष्ट्रीय खबर इस तरह प्रचारित हुई कि जैसे वह सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं। इससे 2024 के आम चुनावों के लिए विपक्ष के साझा मोर्चा गठित करने में जुटे नेता भी बेचैन हो गए। देश भर के तमाम विपक्षी नेता फोन करने लगे और शरद पवार से फैसले पर दोबारा विचार करने की सलाह देने लेगे। इस तरह से विपक्षी खेमे में एक बार फिर शरद पवार अपने महत्व को रेखांकित करने में सफल रहे। महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी में भी अब पवार पहले से और ज्यादा मजबूत होंगे।

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