Maharashtra Politics: मंत्रिमंडल विस्तार पर बोलकर कहीं फंस न जाएं, महाराष्ट्र बीजेपी के नेता मौन क्यों? जानिए

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Maharashtra Politics: मंत्रिमंडल विस्तार पर बोलकर कहीं फंस न जाएं, महाराष्ट्र बीजेपी के नेता मौन क्यों? जानिए

Maharashtra Politics: मंत्रिमंडल विस्तार पर बोलकर कहीं फंस न जाएं, महाराष्ट्र बीजेपी के नेता मौन क्यों? जानिए

मुंबई: देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के फिर मुख्यमंत्री बनने के सपने को धता बताकर उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाने वाले बीजेपी (BJP) आलाकमान के बारे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह मंत्रिमंडल के मामले में सभी को चौंकानेवाला दांव भी खेल सकता है। महाराष्ट्र (Maharashtra) बीजेपी के कई बड़े नेता मंत्रिमंडल विस्तार के मामले में इसलिए लगभग सहमे हुए हैं और मौन भी हैं। बीजेपी की अंदरूनी राजनीति के जानकारों की राय में ज्यादातर नेता मौन इसलिए कि बोलने भर से ही कहीं कोई बड़ा नुकसान न हो जाए। वैसे भी बीजेपी नेतृत्व कब किसके बारे में क्या फैसला करेगा, इसका अंदाज लगाना आसान नहीं है।

मंत्रिमंडल में नए चेहरों को मिल सकता है मौका
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का तख्ता पलटकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बने तीन सप्ताह से ज्यादा वक्त हो गया हैं, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो रहा है। माना जा रहा है कि बीजेपी इस मामले में कई एंगल से देख रही है, जिसमें सबसे अहम है नए और युवा नेताओं को मौका देकर अगली बार फिर से बहुमत से सत्ता में आने के लिए शिवसेना को कमजोर करना। इस कारण बहुत संभव है कि नई सरकार के मंत्रिमंडल में वे कई चेहरे हों ही नहीं, जो बहुत संभव माने जा रहे हैं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रिमंडल के नामों पर और खासकर गुजरात के पूरे मंत्रिमंडल के मामले में बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व जिस तरह से हर बार सभी कयासों का खारिज करता रहा है, कहीं उसी तरह से महाराष्ट्र में भी न हो जाए। इसीलिए सभी की नजरें केवल नई दिल्ली की तरफ हैं।

यह सार्वजनिक मान्यता है कि बीजेपी आलाकमान के दबदबे और पार्टी पर पकड़ को देखते हुए बीजेपी का कोई भी नेता किसी भी मामले में अपनी मार्केटिंग करने से पहले हजार बार सोचता है। इसी कारण प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मराठा नेता चंद्रकांत पाटील, बीजेपी में मुंबई के सबसे दमदार नेता आशीष शेलार, विदर्भ के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार, उत्तर महाराष्ट्र के गिरीश महाजन और ऐसे ही कुछ वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाएं भले ही चलती रही हैं, लेकिन किसी ने भी सरकार में शामिल होने की अपनी संभावना पर न तो कोई लॉबिंग और न ही कोई टिप्पणी की है।

बीजेपी में ऐसा नहीं होता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व, खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का पूरा फोकस अगले लोकसभा चुनाव में फिर से 300 पार सीटें लाने पर है। साथ ही, बीजेपी की नई पौध के विकास के साथ-साथ महाराष्ट्र में शिवसेना को धराशाई करना है। फिर, कुछ मामलों में उनके पैटर्न को देखें, तो ‘जो हो इक बार, वो हर बार हो, ऐसा नहीं होता’ की तर्ज पर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व चलता रहा है।

इसलिए, कोई जरूरी नहीं कि बीजेपी आलाकमान महाराष्ट्र में भी पूरे मंत्रिमंडल में ही ज्यादातर नए चेहरों को जगह देकर सभी बड़े और ताकतवर नेताओं को पार्टी की मजबूती बढ़ाने और अगला चुनाव लड़ने के काम में लगा दे। ऐसे में, महाराष्ट्र भाजपा के दिग्गज चुप्पी साधना ही बेहतर मानकर मीडिया के मंत्रिमंडल विस्तार के सवालों पर केवल यही कहते हैं कि पार्टी का निर्णय सर्वोपरि है।

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