Maharashtra politics: चाचा शरद पवार की पीसी में क्यों नजर नहीं आये अजित पवार, फिर गर्म हुआ अटकलों का बाजार h3>
मुंबई: शरद पवार के भतीजे अजित पवार एनसीपी के बड़े नेता माने जाते हैं। पिछले दिनों जब शरद पवार ने पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया था, तब अजित पवार उनके साथ थे। उन्होंने शरद पवार के अध्यक्ष पद छोड़ने के फैसले का खुलेआम स्वागत कर सबको चौंका दिया था, लेकिन शुक्रवार को शरद पवार के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की अपनी पेशकश वापस लेने संबंधी घोषणा के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई, तो उस वक्त अजित पवार उनके साथ नहीं थे। इतने अहम मौके पर अजित पवार की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बन गई। जब पत्रकारों ने शरद पवार से अजित पवार की अनुपस्थिति के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि मेरे तमाम सहयोगी यहां हैं, किसी की अनुपस्थित का कोई अन्य अर्थ न निकाला जाए।
बता दें कि एनसीपी में शरद पवार का इस्तीफा, फिर चार दिन तक पवार को मनाने की कोशिश, पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा एनसीपी का नेतृत्व करने के लिए शरद पवार के अलावा किसी और को स्वीकार न करने की बातें, यह सारा एपिसोड जब शुरू हुआ था, तब इसके पीछे अजित पवार के एनसीपी छोड़ बीजेपी संग जाने की अटकलें ही प्रमुख वजह थी। लेकिन शरद पवार इस्तीफा देने के बाद अजित पवार पार्टी में पूरी तरह से अकेले पड़ गए। सारी पार्टी शरद पवार के साथ खड़ी नजर आई। यहां तक कि जिन विधायकों का अजित के साथ बीजेपी में जाना तय माना जा रहा था, वह भी सहम गए।
अब बीजेपी में भी अजित पवार की उपयोगिता शून्य
पार्टी के चीफ विप अनिल पाटील, जो अजित पवार के खासमखास माने जाते हैं, उन्होंने भी पार्टी सुप्रीमो को मनाने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। एनसीपी के विधायकों के बीच यह मैसेज गया कि पवार के इस्तीफे की घोषणा के बाद अगर उन्होंने अजित पवार के लिए पार्टी छोड़ी, तो उनका फिर से चुनकर आना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, तब पार्टी का समर्थक वोटर उन्हें नायक की जगह खलनायक मानेगा और इस उम्र में पवार को दुख पहुंचाने के वह आरोपी बन जाएंगे। हालांकि, पार्टी में अजित पवार समर्थक विधायकों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन ताजा घटनाक्रम से उनके कदम भी ठिठक गए हैं। अब अजित पवार के अगले कदम पर सबकी नजर है, क्योंकि बिना विधायकों का समर्थन लिए बीजेपी में भी अजित पवार की उपयोगिता शून्य ही है।
शिंदे गुट खुश
अजित पवार के बीजेपी के साथ आने की अटकलों से सबसे ज्यादा शिवसेना (शिंदे) गुट में बेचैनी थी। शुक्रवार के घटनाक्रम के बाद शिंदे शिवसेना के प्रवक्ता और विधायक संजय शिरसाट ने कहा कि एनसीपी में जो राजनीतिक नाटक चल रहा था वह पवार का पावर गेम था। एनसीपी की अंतर्कलह को रोकने के लिए शरद पवार ने यह मास्टर स्ट्रोक खेला था। अब अजित पवार के साथ जो विधायक विचलित हो रहे थे, उन पर ब्रेक लग गया है। उनके पास शांति के साथ पार्टी में ही बने रहने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है।
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बता दें कि एनसीपी में शरद पवार का इस्तीफा, फिर चार दिन तक पवार को मनाने की कोशिश, पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा एनसीपी का नेतृत्व करने के लिए शरद पवार के अलावा किसी और को स्वीकार न करने की बातें, यह सारा एपिसोड जब शुरू हुआ था, तब इसके पीछे अजित पवार के एनसीपी छोड़ बीजेपी संग जाने की अटकलें ही प्रमुख वजह थी। लेकिन शरद पवार इस्तीफा देने के बाद अजित पवार पार्टी में पूरी तरह से अकेले पड़ गए। सारी पार्टी शरद पवार के साथ खड़ी नजर आई। यहां तक कि जिन विधायकों का अजित के साथ बीजेपी में जाना तय माना जा रहा था, वह भी सहम गए।
अब बीजेपी में भी अजित पवार की उपयोगिता शून्य
पार्टी के चीफ विप अनिल पाटील, जो अजित पवार के खासमखास माने जाते हैं, उन्होंने भी पार्टी सुप्रीमो को मनाने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। एनसीपी के विधायकों के बीच यह मैसेज गया कि पवार के इस्तीफे की घोषणा के बाद अगर उन्होंने अजित पवार के लिए पार्टी छोड़ी, तो उनका फिर से चुनकर आना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, तब पार्टी का समर्थक वोटर उन्हें नायक की जगह खलनायक मानेगा और इस उम्र में पवार को दुख पहुंचाने के वह आरोपी बन जाएंगे। हालांकि, पार्टी में अजित पवार समर्थक विधायकों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन ताजा घटनाक्रम से उनके कदम भी ठिठक गए हैं। अब अजित पवार के अगले कदम पर सबकी नजर है, क्योंकि बिना विधायकों का समर्थन लिए बीजेपी में भी अजित पवार की उपयोगिता शून्य ही है।
शिंदे गुट खुश
अजित पवार के बीजेपी के साथ आने की अटकलों से सबसे ज्यादा शिवसेना (शिंदे) गुट में बेचैनी थी। शुक्रवार के घटनाक्रम के बाद शिंदे शिवसेना के प्रवक्ता और विधायक संजय शिरसाट ने कहा कि एनसीपी में जो राजनीतिक नाटक चल रहा था वह पवार का पावर गेम था। एनसीपी की अंतर्कलह को रोकने के लिए शरद पवार ने यह मास्टर स्ट्रोक खेला था। अब अजित पवार के साथ जो विधायक विचलित हो रहे थे, उन पर ब्रेक लग गया है। उनके पास शांति के साथ पार्टी में ही बने रहने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं है।
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