Maharashtra news : महाराष्ट्र में सियासी घमासान तेज, उद्धव ठाकरे जाएंगे या रहेंगे, क्या होगा स्पीकर का रोल? जानें दलबदल कानून

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Maharashtra news : महाराष्ट्र में सियासी घमासान तेज, उद्धव ठाकरे जाएंगे या रहेंगे, क्या होगा स्पीकर का रोल? जानें दलबदल कानून

मुंबई : महाराष्ट्र के सियासी संकट में हर रोज नया मोड़ सामने आ रहा है। बागी नेता एकनाथ शिंदे ने 50 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है। वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने बागियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दे दी है। अब सवाल उठता है कि राज्य में आखिर उद्धव ठाकरे सरकार का क्या होगा?आइए जानते हैं महाराष्ट्र की राजनीति में जुड़े ये बड़े सवाल और जवाब…

सवाल- दलबदल कानून क्या कहता है?
जवाब- अगर एकनाथ शिंदे शिवसेना के दो तिहाई यानी 37 विधायकों को बीजेपी की सदस्यता दिलवा देते हैं, तो दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होगा। ऐसी स्थिति में उद्धव सरकार बहुमत खो देगी और महाअघाड़ी सरकार गिर जाएगी।

सवाल- स्पीकर की भूमिका क्या होगी?
जवाब- महाराष्ट्र विधानसभा में अभी स्पीकर नहीं हैं। ऐसे में डेप्युटी स्‍पीकर नरहर‍ि ज‍िरवाल की भूमिका बड़ी हो जाएगी। जिरवाल ने गुरुवार को कहा भी था कि वह विधायकों के हस्ताक्षर की जांच करेंगे।

सवाल- बागी विधायकों को अलग गुट में मिलेगी मान्यता
जवाब- डेप्युटी स्पीकर नरहरि जिरवाल के पास ये अधिकार है कि वे बागी विधायकों को अलग गुट के रूप में मान्यता दे दें। लेकिन, वो ऐसा नहीं भी कर सकते हैं। साथ ही वह विधायकों को वोटिंग के लिए योग्य या अयोग्य भी घोषित कर सकते हैं। जिरवाल एनसीपी के विधायक हैं।

सवाल- डेप्युटी स्पीकर अगर बागी गुट को मान्यता नहीं देते हैं तब क्या होगा?
जवाब- अगर डेप्युटी स्पीकर नरहरि जिरवाल शिंदे के नेतृत्व वाली बागी गुट को मान्यता नहीं देंगे तो मामला अदालत तक जाएगा। एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ अदालत जा सकते हैं।

सवाल- चुनाव आयोग की क्या भूमिका
जवाब- एकनाथ शिंदे गुट चुनाव आयोग में दावा कर सकता है कि वही असली शिवसेना है और पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटन की मांग भी कर सकता है। हालांकि, ये प्रक्रिया लंबी है।

सवाल- राज्यपाल की क्या भूमिका होगी?
जवाब- अगर अल्पमत के कारण मौजूदा सरकार विधानसभा भंग करने की सिफारिश करती है तो उसपर राज्यपाल को फैसला लेना होगा। ऐसी स्थिति में राज्यपाल अपने विवेक से फैसला ले सकते हैं।

सवाल- विधानसभा भंग करने पर संविधान क्या कहता है?
जवाब- संविधान में भी कहा गया है कि अगर दूसरे दल के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत न हो तो ही भंग करने की स्थिति बनती है। यानी अगर एकनाथ शिंदे गुट बीजेपी को समर्थन दे दे तो राज्यपाल बीजेपी को फ्लोर टेस्ट के लिए कह सकते हैं।

सवाल- उद्धव ठाकरे आगे क्या कर सकते हैं?
जवाब- उद्धव अभी बागी विधायकों को मनाने की कवायद में जुटे हैं। अगर वह इसमें सफल हो जाते हैं तो सरकार बच सकती है। या फिर अगर वह बागी विधायकों की मांग मानकर महाअघाड़ी सरकार से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के फैसला कर लेते हैं तो भी सरकार बच जाएगी, लेकिन अगर वो बागी को मनाने में सफल नहीं हुए तो सरकार जानी तय है।

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