Maharashtra Crisis: बगावत से परेशान उद्धव ठाकरे ने किया था फडणवीस को फोन ? जानिए कहां पर अटकी बात

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Maharashtra Crisis: बगावत से परेशान उद्धव ठाकरे ने किया था फडणवीस को फोन ? जानिए कहां पर अटकी बात

Maharashtra Crisis: बगावत से परेशान उद्धव ठाकरे ने किया था फडणवीस को फोन ? जानिए कहां पर अटकी बात

मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत में सत्ता का फेरबदल हो चुका है। अब महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) बन चुके हैं। जो कभी शिवसेना (Shivsena) के कद्दावर नेता और ठाकरे परिवार के वफादार हुआ करते थे। हालांकि उन्होंने 40 विधायकों समेत पार्टी से बगावत कर अपना एक अलग गुट बना लिया है। यह कहानी अब पुरानी हो चुकी है। लेकिन बगावत के उस दौर के किस्से आज भी एक- एक सामने आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो जब तक ठाकरे को यह लगने लगा है कि अब सरकार को बचाना बेहद मुश्किल है। तब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी बातचीत करने का प्रयास किया था। हालांकि, उन्हें दोनों ही नेताओं की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल पाया था।

इस दिन हुई बगावत
21 जून 2022 को ही यह स्पष्ट हो चुका था कि एकनाथ शिंदे लगभग 26 विधायकों के साथ मुंबई से सूरत के लिए निकल चुके हैं। सूत्रों की मानें तो इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मोर्चा संभाला और बचे हुए विधायकों को अपने पक्ष में करने का प्रयास शुरू किया। लेकिन उनके प्रयासों पर तब पानी फिर गया जब सूरत से विधायकों को गुवाहाटी भेजा गया। इतना ही नहीं खुद उद्धव ठाकरे गुट के कई विधायक उनसे अलग होकर गुवाहाटी के लिए रवाना हो गए। इसके बाद उद्धव ठाकरे काफी घबरा गए थे।

फडणवीस को उद्धव का फोन
तेजी से बिगड़ते हालात को संभालने के लिए उद्धव ठाकरे ने अपने एक करीबी और पूर्व कैबिनेट मंत्री के जरिए देवेंद्र फडणवीस से भी संपर्क किया। सूत्र बताते हैं कि उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की बातचीत भी हुई। दरअसल उद्धव ठाकरे को यह एहसास हो चुका था कि अब विधायकों को रोक पाना उनके लिए असंभव है और पार्टी में बड़ी बगावत का होना तय है।

उस दौरान उद्धव ने देवेंद्र फडणवीस को यह प्रस्ताव दिया था कि बीजेपी को मुझसे निपटना चाहिए ताकि एकनाथ शिंदे को समर्थन देने की बजाय पूरी पार्टी उद्धव के साथ आ सके। हालांकि फडणवीस ने तब यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि अब बात हाथ से काफी दूर निकल चुकी है। पिछले एक साल में फडणवीस और उद्धव के बीच यह पहली आमने-सामने की बातचीत थी।

कभी उद्धव ने भी नहीं दिया था जवाब
बीजेपी की तरफ से उद्धव ठाकरे को अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करने की सलाह दी गई थी। जिसके बाद उन्होंने अमित शाह और पीएम मोदी को फोन भी किया। लेकिन दोनों ही नेताओं की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। यह भी कहा जाता है कि साल 2019 में इसी तरह से बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी लगातार उद्धव ठाकरे से बातचीत करना चाह रहा था। लेकिन उन्होंने किसी भी बात का जवाब नहीं दिया था। शायद अब बीजेपी यह तय कर चुकी है कि उन्हें बिना उद्धव ठाकरे के ही शिवसेना चाहिए।

सांसदों के भी पार्टी छोड़ने का खतरा
कुछ दिनों पहले शिवसेना सांसदों ने एनडीए के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की मांग की थी। इस बाबत मातोश्री में बैठक भी हुई थी और बाद में उद्धव ठाकरे ने औपचारिक ऐलान भी किया था कि वह द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देंगे। इस दौरान उन्होंने इस दौरान सांसदों ने मध्यस्थता का प्रस्ताव भी रखा था। सूत्र बताते हैं कि जब सांसदों ने उद्धव से मुलाकात की तो उन्होंने सांसदों को तीन विकल्प दिए थे। लेकिन सांसदों ने बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया।

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