Maharashtra: चार साल में 4 पावरफुल पॉलिटिकल स्टंट, महाराष्ट्र की राजनीति के बिग बॉस कैसे बने शरद पवार, समझिए

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Maharashtra: चार साल में 4 पावरफुल पॉलिटिकल स्टंट, महाराष्ट्र की राजनीति के बिग बॉस कैसे बने शरद पवार, समझिए

Maharashtra: चार साल में 4 पावरफुल पॉलिटिकल स्टंट, महाराष्ट्र की राजनीति के बिग बॉस कैसे बने शरद पवार, समझिए

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में आया तूफान शांत हो गया है। शरद पवार ने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा वापस ले लिया है। भतीजे अजित पवार सहित पार्टी ने उनके नेतृत्व का समर्थन किया है। पार्टी में कोई भी शरद पवार की जगह लेने को तैयार नहीं था। प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, जयंत पाटिल और यहां तक कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने भी अपने पिता की जगह नहीं ली। इस घटनाक्रम से एक बार फिर यह साफ हो गया है कि शरद पवार राजनीति के चाणक्य हैं। शरद पवार राजनीति भी करते हैं और फैसले भी लेते हैं। बिना साफ बोले विरोधियों और बागियों को चारों खाने चित करने के लिए शरद पवार के राजनीतिक स्टंट सुर्खियां भी बनते हैं। शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का अच्छा अनुभव है। अपने इस अनुभव के बल पर उन्होंने कई लोगों को पानी पिलाया है। शरद पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री और मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया है। वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में कांग्रेस से अलग होने के बाद की थी। राज्यसभा में भी सांसद हैं। इसलिए उनके विरोधी भी उन्हें राजनीति का चाणक्य कहकर उनकी प्रशंसा करते हैं। आइए जानते हैं शरद पवार के बीते चार सालों के चार बड़े सियासी स्टंट।

1) इस्तीफे का ड्रामा
एनसीपी के अध्यक्ष के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा के बाद शरद पवार सुर्खियों में थे। शरद पवार ने बिना किसी पूर्व सूचना के इस्तीफ़ा देने का फैसला कर लिया। शरद पवार के इस इस्तीफे के बाद लगातार उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने आंदोलन किये। शरद पवार ने सोच विचार के लिए कुछ दिन का समय मांगा। इसी बीच अध्यक्ष चयन समिति ने उनका इस्तीफ़ा अस्वीकार करते हुए यह कहा कि फ़िलहाल वही पार्टी के प्रमुख बने रहें। फ़िलहाल इस बात की चर्चा जोरों पर है कि शरद पवार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। शरद पवार द्वारा इस्तीफा वापस लेने की घोषणा को अजित पवार के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि अजित पवार ही ऐसे शख्स थे। जो खुलकर और सार्वजनिक रूप से शरद पवार का इस्तीफा स्वीकार करने के पक्ष में बोले थे। अजित पवार ने इसके लिए शरद पवार की उम्र और सेहत का हवाला दिया था। अजित पवार बीजेपी के करीबी माने जाते हैं। ऐसी चर्चा थी कि वह एनसीपी के कुछ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होंगे। इसलिए शरद पवार ने उन्हें यह अहसास दिलाया कि पार्टी अभी भी मेरे नियंत्रण में है। अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नदारद थे।

2) जब सुबह-सुबह बनी सरकार
2019 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना-बीजेपी अलग हो गई थी। इस वजह से बीजेपी के लिए सरकार बनाने की मुश्किल खड़ी हो गयी थी। उस दौरान देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी से मिलकर सरकार बनाने की मांग की थी। हालांकि, एनसीपी और बीजेपी के रिश्ते हमेशा वैचारिक रूप से अलग ही रहे हैं। इसलिए शरद पवार सत्ता की स्थापना के लिए ऐसे किसी भी गठबंधन के लिए हामी नहीं भरी। इसी बीच अजित पवार ने कुछ विधायकों के सहयोग से बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बनाई और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक बड़ा भूचाल था। इसके बाद अजित पवार की बगावत को शरद पवार ने मात दी। शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति की बिसात पर चाणक्य की चाल चली। जिससे बीजेपी और एनसीपी के बागी विधायकों मंसूबों पर पानी फेर दिया। इसके बाद शरद पवार ने कांग्रेस और शिवसेना की मदद से महाविकास अघाड़ी की स्थापना की। वह महाविकास अघाड़ी के संयोजक बने। तीनों दलों ने उनकी देखरेख में खासा शक्ति प्रदर्शन भी किया। इससे अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस के पैरों तले जमीन खिसक गई। अंत में अजित पवार-फडणवीस की डेढ़ दिन की सरकार बहुमत के अभाव में गिर गई। इस तरह शरद पवार की चाल कामयाब हो गई। शरद पवार यहीं नहीं रुके, उन्होंने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया। बीजेपी और शिवसेना के बीच जंग मुख्यमंत्री पद से शुरू हुई थी। उन्होंने अजीत पवार के विद्रोह को भी शांत किया और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया। शरद पवार के इस फैसले से देवेंद्र फडणवीस की राष्ट्रीय स्तर पर भी किरकिरी हुई थी।

3) बारिश भीगते हुए दिया भाषण
साल 2019 विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान शरद पवार ने महाराष्ट्र के सतारा जिले में बारिश में भीगते हुए भाषण दिया था। शरद पवार के इस भाषण ने उन पर पड़ी बारिश की एक एक बूँद वोटों में बदलकर उनके पास आयी। चुनावी नतीजों में शरद पवार की पार्टी एनसीपी को 53 सीटें मिली थी। बीजेपी और शिवसेना के बाद एनसीपी तीसरी बड़ी पार्टी थी। एनसीपी छोड़कर बीजेपी में गए पार्टी के बड़े नेताओं के लिए भी यह सभा होश उड़ाने वाली थी। सबको लग रहा था कि मोदी लहर में एनसीपी भी बह जाएगी। हालांकि, नतीजों ने सबको चौंका दिया। शरद पवार के बचपन के दोस्त श्रीनिवास पाटिल के मुताबिक बारिश में शरद पवार का भाषण उनके और उनकी पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ। साल 2019 में चुनाव प्रचार के दौरान शरद पवार रोजाना करीब तीन से चार सभाएं करते थे। उनका उत्साह हर सभा में दिखाई देता था और वह अपनी रैलियों में बीजेपी पर जमकर निशाना साध रहे थे। शरद पवार ने कोल्हापुर से नागपुर और सोलापुर से मुंबई तक सभाएं कीं। ईडी की नाक में दम करने वाले शरद पवार का नाम चुनाव से पहले ही सुर्खियों में था। कांग्रेस जैसी सबसे पुरानी पार्टी जहां राज्य में गठबंधन में लड़ रही थी, वहीं इस चुनाव में बीजेपी के निशाने पर सिर्फ एनसीपी और शरद पवार ही थे।

जब शरद पवार ने ईडी ऑफिस जाने का ऐलान किया
सितंबर 2019 में ईडी ने शरद पवार के खिलाफ मामला दर्ज किया था। तब शरद पवार ने खुद ने ईडी दफ्तर जाने का ऐलान किया था। पवार के इस कदम से राज्य के बीजेपी नेता भी तनाव में आ गए थे। उन्हें लग रहा था कि अगर शरद पवार ईडी दफ्तर जाते हैं तो तय है कि पूरा महाराष्ट्र सड़क पर उतरेगा। उस दौरान ईडी और मुंबई पुलिस ने अनुरोध किया था कि शरद पवार पूछताछ के लिए दफ्तर न आएं। जब जरूरत होगी तो उन्हें बताया जायेगा। दरअसल तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने की आशंका जताई थी। इसलिए शरद पवार ईडी दफ्तर नहीं गए। लेकिन इस बीच शरद पवार मीडिया में सुर्खियां बने रहे। शरद पवार 24 सितंबर से 27 सितंबर तक मीडिया के केंद्र बने रहे। शरद पवार ने बिना डरे ईडी दफ्तर जाने का ऐलान किया था। हालांकि, बाद में वह पुलिस के अनुरोध के बाद नहीं गए। एक तरह से शरद पवार ने सीधे ईडी को चुनौती दी थी। इस दौरान एनसीपी कार्यकर्ताओं में भी उत्साह देखा गया था। इसका फायदा एनसीपी को चुनाव में हुआ। शरद पवार ने भावुक बयान दिया था कि वह दिल्ली की गद्दी के आगे नहीं झुकेंगे। शरद पवार ने राजनीति में इमोशनल कार्ड खेला था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के खिलाफ मामला दर्ज होने से जमीनी कार्यकर्ता भी आक्रामक हो गए थे।

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