दरअसल 12 सितंबर को चेन्नई में 23 साल की महिला इंजीनियर पर एक अवैध होर्डिंग गिर गया, जिस कारण उसका संतुलन बिगड़ गया और वह सड़क पर गिर गई। इस दौरान पानी के टैंकर ने उसे कुचल दिया। इसी मसले पर अदालत ने सरकार से तीखा सवाल पूछा।
अदालत ने पूछा कि सड़कों को पेंट करने के लिए सरकार को और कितने लीटर खून की जरूरत? ये सवाल मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है। इतना ही नहीं अवैध होर्डिंग को लेकर तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने ये भी पूछा कि इस तरह के बैनरों से और कितनी जानें जाएंगीं जो लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं।

हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायण और न्यायमूर्ति एन. शेशासाय ने आश्चर्य जताया, ‘‘राज्य सरकार को सड़कों को पेंट करने के लिए और कितने लीटर खून की जरूरत है।’’ अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि पीड़ित के परिवार को पांच लाख रुपये अंतरिम मुआवजा दिया जाए। साथ ही सरकार को यह राशि इसके जिम्मेदार अधिकारियों से वसूलने की छूट भी दी।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिए कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित उचित कार्रवाई की जाए, चाहे वे पुलिस विभाग के हों या चेन्नई निगम के हों। अदालत ने पूछा कि क्या अब कम से कम मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ऐसे अनधिकृत बैनरों के खिलाफ बयान जारी करना चाहेंगे।
अदालत ने ‘‘घोर नौकरशाही उदासनीता’’ की तरफ इंगित करते हुए कहा, ‘‘इस देश में जीवन का कोई मूल्य नहीं है। हमारा इस सरकार में विश्वास नहीं है।’’ अदालत ने यह टिप्पणी सामाजिक कार्यकर्ता ‘ट्रैफिक’ रामास्वामी की याचिका पर की। अदालत ने पूछा, ‘‘सोचिए लड़की देश की जीडीपी में क्या योगदान कर सकती थी। क्या वह नेता बिना बैनर के अपने परिवार में शादी आयोजित नहीं कर सकता था।’’